बजट के पैसे खर्च नहीं कर पाया नगर निगम, केंद्र से मांगा अतिरिक्त फंड

Sunday, Jan 14, 2018 - 08:50 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : नगर निगम जहां खजाना खाली होने की दुहाई देकर केंद्र सरकार से अतिरिक्त फंड मांग रहा है, वहीं कुछ विभागों में 2017-18 के लिए आबंटित बजट का उपयोग तक नहीं किया। 

 

निगम को योजनागत मद में 339 करोड़ रुपए मिले थे व उसमें से केवल 148 करोड़ रुपए ही अब तक खर्च हो पाए हैं। निगम ने विभिन्न विभागों द्वारा वार्षिक बजट खर्च करने संबंधी गत दिसम्बर में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी और वरिष्ठ अधिकारियों को अब यह रिपोर्ट भेजी है। 

 

निगम की रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक शिक्षा के लिए चालू वित्त वर्ष के बजट में करीब 5 करोड़ का प्रावधान किया था। अब तक इस मद में मात्र 0.2 प्रतिशत बजट अर्थात एक लाख रुपए ही खर्च हो पाया है, जबकि प्राथमिक शिक्षा के तहत बने विद्यालय बुनियादी ढांचे के अभाव में जर्जर भवनों में चल रहे हैं। 

 

इतना ही नहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य के लिए भी चालू वित्त वर्ष में 8 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई पर निगम ने केवल 1 करोड़ रुपए खर्च किए। ऐसे ही सार्वजनिक स्वास्थ्य के तहत निगम के बजट में 146 करोड़ रुपए थे पर उसमें से केवल 90 करोड़ खर्च किए। 

 

स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अधिकारी ने आबंटित 20 करोड़ रुपए में 4 करोड़ रुपए खर्च किए व बागवानी शाखा ने आबंटित 10 करोड़ रुपए में से सिर्फ 2 करोड़ खर्च किए। ऐसे सड़क निर्माण के लिए निगम ने सिर्फ 103 करोड़ रुपए में से मात्र 48 करोड़ रुपए खर्च किए। चालू वित्त वर्ष के बजट में निगम ने नए फायर स्टेशनों का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा था। 

 

इसके अलावा फायर कर्मियों की आग से बचाव की वर्दी और अग्निशमन वाहनों के नए टायरों के लिए 30 करोड़ का बजट रखा गया था। वित्त वर्ष अपने अंतिम चरण में हैं व इसमें से अब तक केवल 1 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 

 

प्रशासन से अभी तक केवल 269 करोड़ ही मिला :
निगम के बिजली विभाग को स्ट्रीट लाइटों तथा अन्य कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट दिया था पर उसमें से अब तक केवल 80 लाख रुपए ही खर्च हुए हैं। इस संबंधी निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि उन्हें कुल बजट में से प्रशासन से अभी तक केवल 269 करोड़ ही मिला है। उसी के अनुसार निगम में खर्च हुआ है। 

 

उनका कहना था कि निगम सदन में पारित कार्यों को आरंभ करवाने के लिए निगम को प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है, अत: कई बार उसमें भी देरी हो जाती है। उनका कहना था कि निगम का बजट लैपस नहीं होता व वह कैरीफार्वर्ड हो जाता है। 

 

निगम के लेखा विभाग के अधिकारी अभी आगामी वित्त वर्ष के बजट को तैयार करने में लगे हैं। पहले निगम अपना बजट बनाता है व फिर उसे प्रशासन को भेजता है। प्रशासन उसे अपने बजट में शामिल कर केंद्र को भेजता है व लोकसभा में आम बजट में इसे शामिल किया जाता है। 

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