आखिरकार डेढ़ साल बाद 86 स्ट्रीट वैंडरों को मिले लाइसैंस

Wednesday, Oct 04, 2017 - 09:38 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : शहर में रेहड़ी-फड़ी वालों को स्ट्रीट वैंडर एक्ट के तहत उन्हें बिठाने के लिए नगर निगम की ओर आखिर डेढ़ वर्ष बाद ही सही आज वार्ड नंबर एक में पड़ते सैक्टर-1 से 11 के 86 स्ट्रीट वैंडरों को लाइसैंस जारी किए। आज से लाइसैंस जारी किए जाने की प्रक्रिया शुरू की गयी जिसमें वैंडरों से बनती फीस लेकर उन्हें लाइसैंस जारी किए गए। वैंडरों से 100 रुपए आई कार्ड और 100 रुपए लाइसैंस की फीस तथा उनकी तय श्रेणी के हिसाब से बनती फीस ली गई। आज जिन वैंडरों को लाइसैंस जारी किए गए उनमें मोबाइल वैंडर, आवश्यक सेवा प्रदाता तथा गैर-आवश्यक सेवा प्रदाता शामिल थे।  

 

जानकारी के अनुसार निगम की ओर से सैक्टर-8 की डिस्पैंसरी में शिविर लगाया गया था जहा लाइसैंस जारी किए जा रहे थे। इस वार्ड में कुल 600 वैंडर है जिन्हें आगामी दो दिनों के भीतर लाइसैंस जारी कर दिए जाएंगे। आवश्यक सेवा प्रदाता में नाई, धोबी, साइकिल रिपेयर, दूध वाला, अंडे-ब्रैड वाला व चाय वाला शामिल हैं। यह लोग जहां बैठे हैं उन्हें वहीं के लिए लाइसैंस जारी किए गए जबकि अन्य श्रेणी के वैंडरों को प्रशासन द्वारा निर्धारित जगह में बैठने के लिए लाइसैंस दिए गए। आज शिविर में वो वैंडर भी पहुंच गए जो संबंधित वार्ड के नहीं थे इससे लाइसैंस जारी किए जाने में समस्या उत्पन्न हुई। 

 

सभी स्ट्रीट वैंडरों को इसी माह लाइसैंस जारी कर दिए जाएंगे :
निगम द्वारा इस संबंध में वैंडरों को ठीक प्रकार से जागरूक न किए जाने के कारण ऐसा हुआ। वैंडरों को श्रेणियों के बारे भी जानकारी नहीं थी कि वे कौन सी श्रेणी में आते हैं और उनकी फीस कितनी बनती है। इसी कारण कई वैंडरों को शिविर से वापस भेजा गया। 

 

वैंडरों को लाइसैंस जारी किए जाने के लिए निगम की ओर से लंबा समय लग गया। इससे पूर्व निगम ने कहा था कि इन्हें पिछले माह और उससे पहले कई बार लाइसैंस जारी किए जाने का समय बदला गया जिससे वैंडरों को कभी निगम के ही इंफोर्समैंट विभाग तो कभी पुलिस ने तंग किया। पता चला है कि शहर के सभी स्ट्रीट वैंडरों को इसी माह लाइसैंस जारी कर दिए जाएंगे। 

 

प्रशासन ने स्वीकृति नहीं दी थी :
स्ट्रीट वैंडर एक्ट के तहत शहर के रेहड़ी फड़ी वालों के करवाए गए सर्वे के बाद उन्हें सैक्टरों में बैठाने के लिए जो वैंङ्क्षडग जोन बनाए गए थे उन जोन्स को प्रशासन द्वारा स्वीकृति प्रदान नहीं की थी। इससे पहले निगम ने कहा था कि वैंडरों को गत मार्च तक लाइसैंस जारी कर दिए जाएंगे लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। इन वैंडरों को लाइसैंस मिलने में देरी हो रही है थी और निगम को भी प्रतिमाह इन वैंडरों की फीस से आने वाले करोड़ों रुपयों का घाटा उठाना पड़ रहा था। 

 

निगम ने करवाया था सर्वे :
स्ट्रीट वैंडर एक्ट के तहत निगम द्वारा रेहड़ी फड़ी वालों का सर्वे करवाया गया था जिसमें शहर में 21622 वैंडर शामिल थे। निगम ने इन वैंडरों को बैठाने के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया है उसमें शहर को तीन श्रेणियों में बाटां गया है पहली ए, दूसरी बी व तीसरी सी श्रेणी शामिल है। 

 

ए श्रेणी में शहर के पॉश इलाके रखे गए है और यहां रेहड़ी फड़ी वालों से पहले 5000 रुपए प्रतिमाह फीस रखी गयी थी जिसे घटाकर अब 2000 रुपए कर दी गई है। बी श्रेणी में वो सैक्टर रखे गए है जिनमें रेहड़ी फड़ी वालों की कमाई कम होती है इसीलिए उनकी फीस भी ए श्रेणी वालों से कुछ कम होगी। तीसरी श्रेणी सी में रिहैब्लिटेड कालोनियां और स्लम एरिया रखा गया है। 

 

वैंडरों को भी दो श्रेणियों में बांटा गया है जिसमें मोबाइल वैंडर और परमानैंट वैंडर शामिल है। गरीब वैंडरों में चाय वाले, नाई, धोबी, साइकिल रिपेयर करने वाले रखे गए है जिनसे निगम प्रतिमाह लगभग 1500 की बजाय अब 1000 रुपए लेगा। 
 

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