गृह मंत्री ने लंबित केसों पर 21 जिलों के एस.पी. से मांगा स्पष्टीकरण

punjabkesari.in Thursday, Aug 04, 2022 - 10:17 PM (IST)

चंडीगढ़,(अविनाश पांडेय): हरियाणा में पुलिस अफसरों की ढीली कार्यप्रणाली से गृह मंत्री अनिल विज नाराज हैं। विज ने पुलिस थानों में दर्ज केसों केे निस्तारण में देरी पर नाराजगी जताते हुए 21 जिलों के पुलिस अधीक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम सी.सी.टी.एन.एस. के आंकड़ों में जहां राज्य के चरखी दादरी, कैथल, जी.आर.पी. और रेवाड़ी जिलों में पेंडिंग मामलों की संख्या न के बराबर है तो वहीं गुरुग्राम, सोनीपत और यमुनानगर में स्थिति बेहद कमजोर है। कमोबेश यही स्थिति अन्य जिलों में भी है, जहां लंबे समय से पुलिस थानों में दर्ज हुए मुकदमों का निस्तारण नहीं हो सका है। विज खुद हर महीने पेंडिंग केसों की मॉनिटरिंग करते हैं जहां उन्होंने डी.जी.पी. पी.के. अग्रवाल को पत्र लिखकर तुरंत प्रभाव से पेंडिंग मामलों का निपटारा करने के आदेश दिए हैं।

 


गौरतलब है कि प्रदेश के पुलिस थानों में लंबित केसों को लेकर महीनों पहले गृह मंत्री अनिल विज ने अफसरों को खास निर्देश दिए थे। उन्होंने एस.एच.ओ. से लेकर ए.डी.जी.पी. तक जवाबदेही तय की थी। उसके बाद से विज खुद सी.सी.टी.एन.एस. के जरिए पूरे मामले की मानीटरिंग कर रहे हैं। पिछले दिनों विज ने जब प्रदेश भर के लंबित केसों की पड़ताल की तो सिर्फ तीन जिले छोड़कर अन्य स्थानों पर लंबित केसों की संख्या ज्यादा नजर आई। इसके बाद विज ने सभी जिलों के एस.पी. को पत्र भेजकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। आंकड़ों में अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद फतेहाबाद, हांसी, हिसार, झज्जर, जींद, करनाल में सिविल लाइन थाना, कुरुक्षेत्र में डी.एस.पी. लाडवा और शाहाबाद, मेवात, पानीपत, पंचकूला, पलवल, रोहतक और सिरसा में काफी पेंडिंग केस पाए गए हैं। सोनीपत, गुरग्राम और यमुनानगर में सबसे ज्यादा मामले लंबित हैं।
 

 

इस तरह से तय की गई है जवाबदेही      
लंबित मामलों का निपटारा करने के लिए गृह मंत्री की ओर से टाइमलाइन तय की गई है। गृह मंत्री का कहना है कि पुलिस विभाग के पास 6-6 महीने व साल-साल भर से मामले लंबित रहते हैं और लोगों को इंसाफ नहीं मिलता है, जिसके कारण उनके पास पूरे हरियाणा से लोग मिलने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि एस.एच.ओ. का दायित्व बनता है कि उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों को वही निपटाएं लेकिन अन्य अधिकारी की जिम्मेदारी भी उतनी ही है। लिहाजा यदि 10 दिन से ज्यादा कोई मामला लंबित रहता है तो उसकी जिम्मेदारी व जवाबदेही संबंधित एस.एच.ओ. की तय की गई। इसी प्रकार, यदि 20 दिन से ज्यादा कोई मामला लंबित रहता है तो उसकी जिम्मेदारी व जवाबदेही संबंधित डी.एस.पी. रैंक के अधिकारी की होगी तथा यदि 30 दिन से ज्यादा कोई मामला लंबित रहता है तो उसकी जवाबदेही संबंधित ए.एस.पी. रैंक के अधिकारी की होगी। यदि 45 दिन से जयादा कोई मामला लंबित रहता है तो उसकी जिम्मेदारी संबंधित एस.पी. की होगी और एस.पी. को अमुक मामले की देरी के संबंध में अपनी टिप्पणी रिकार्ड सहित देनी होगी कि किस वजह से इस मामले के निस्तारण में देरी हुई है।

 

इसी प्रकार, यदि 60 दिन से ज्यादा कोई मामला लंबित रहता है तो उसकी जिम्मेदारी व जवाबदेही संबंधित आई.जी. या सी.पी. की होगी और संबंधित आई.जी. या सी.पी. को अमुक मामले की देरी के संबंध में अपनी टिप्पणी रिकार्ड सहित देनी होगी कि किस वजह से इस मामले के निस्तारण में देरी हुई है। विज ने कहा कि यदि 60 दिन से भी ज्यादा किसी मामले में देरी पाई जाती है तो उस मामले में संबंधित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को रिकार्ड सहित अपना जवाब देना होगा।


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News Editor

Ajay Chandigarh

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