मंत्री-विधायकों के साथ आज चुनावी रणनीति बनाएंगे ‘मनोहर’

punjabkesari.in Monday, Oct 17, 2022 - 08:13 PM (IST)

चंडीगढ़, (अविनाश पांडेय): हरियाणा में आदमपुर विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव का किला फतेह करने के लिए भाजपा संगठन के साथ-साथ अब सरकार भी फ्रंट फुट पर आ गई है। सरकार की ओर से खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मोर्चा संभालते हुए मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई है। बैठक में मुख्यमंत्री की ओर से आदमपुर उपचुनाव और पंचायत चुनाव के पहले व दूसरे चरण को लेकर खास चर्चा की जाएगी। यही नहीं विधायकों से चुनावी फीडबैक लेने के अलावा उनके विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा जिला परिषद व पंचायत समितियों की सीटों पर जीत दर्ज करने के फार्मूले पर मंथन किया जाएगा। इसके अलावा केंद्र की ओर से किसानों को दी गई किसान सम्मान निधि की 12वीं किस्त के तोहफे के बारे में भी विधायकों को अवगत कराया जाएगा।

 


बता दें कि महीनों पहले हरियाणा दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने मुख्यमंत्री को महीने में 2 बार भाजपा विधायक दल की बैठक करने के आदेश दिए थे, जिसकी पालना में अब हर 15 दिन में बैठक शुरू हो गई है।  
 

 

चुनाव चिन्ह पर लडऩे से कतरा रही है भाजपा 
पंचायत चुनाव में भाजपा चुनाव चिन्ह कमल पर लडऩे से कतरा रही है। यही वजह है कि पहले चरण के जिला परिषद चुनाव में सिर्फ 3 जिलों में ही पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ेगी। 6 जिलों में बिना चिन्ह के भाजपा चुनाव मैदान में उतरेगी। जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य के लिए 30 अक्तूबर और पंच-सरपंच के लिए 2 नवंबर को मतदान होना है। पंचकूला, यमुनानगर और नूंह की जिला इकाइयों ने इसकी जानकारी प्रदेश नेतृत्व को दे दी है। बाकी 6 जिलों के सिंबल से दूरी बनाने के कई कारण सामने आए हैं। बताया गया कि इन जिलों में कैंडिडेट ज्यादा होने के कारण पार्टी चुनाव में सिंबल का प्रयोग नहीं करना चाहती। अगर एक नेता को सिंबल दे दिया तो दूसरे नाराज हो जाएंगे। वहीं बिना सिंबल जीतने वाले को ही अपना कैंडिडेट बता सकते हैं। बिना सिंबल के यदि चुनाव लड़ते हैं तो वह दूसरे दलों के वोटरों को भी हासिल कर सकते हैं। उधर, कई जिलों में किसान आंदोलन भी बड़ी वजह है। गांवों में अगर इसका असर दिखा तो सिंबल की वजह से भाजपा का विरोध होगा और उन्हें वोट नहीं मिलेगा। ऐसे में राजनीतिक नुक्सान होना तय है। वहीं दूसरे चरण के 9 जिलों के चुनाव को लेकर अभी तक पार्टी की ओर से रणनीति तैयार होना बाकी है। 
 

 

निकाय चुनावों में भाजपा को लग चुका झटका
राज्य में कुछ महीने पहले 46 नगर पालिकाओं के चुनाव हुए थे। इनमें से भाजपा ने 22 नगर निकायों पर जीत हासिल की थी। वहीं गठबंधन सहयोगी जेजेपी ने तीन नगर निकायों में जीत हासिल की थी। उक्त चुनावों से सबक लेते हुए अब भाजपा की तरह गठबंधन सहयोगी जेजेपी ने भी जिला परिषद के चुनाव सिंबल पर लडऩे का फैसला जिला इकाइयों पर छोड़ दिया है। हालांकि दोनों पार्टियों ने पंचायती राज संस्थाओं के ग्राम पंच, सरपंच और प्रखंड समिति के सदस्यों का चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं लडऩे का फैसला किया है। उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कोई भी चुनाव पंच, सरपंच, ब्लॉक समिति के सदस्य और जिला परिषद सदस्य पार्टी के चिन्ह पर नहीं लड़ेगी।


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News Editor

Ajay Chandigarh

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