बिना ट्रेनिंग के स्कूलों में कार्यरत हैं मिड-डे मील वर्कर्स, जान जोखिम में डाल लिया जा रहा काम

punjabkesari.in Monday, Feb 19, 2018 - 11:19 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : चंडीगढ़ शिक्षा विभाग द्वारा मिड-डे मील वर्कर्स की जान जोखिम में डाल उनसे काम लिया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ही किचन शैड तो बना दिए, लेकिन पूरी जिम्मेदारी नहीं निभा पाया। शिक्षा विभाग द्वारा जिन स्कूलों में रसोई शुरू गई है उसमें से कई स्कूलों में मिड-डे मील तैयार होता है। 

 

अंदाजा लगाया जाए तो इन रसोईयों से हर रोज लगभग 3500 छात्रों के लिए मिड-डे मील तैयार होकर स्कूलों में जाता हैं, लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा मिड-डे मील पकाने वाले इन वर्कर्स को बिना किसी प्रकार की ट्रेनिंग के ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी हुई है। इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों चंडीगढ़ के गवर्नमैंट मॉडल सनियर सैकेंडरी स्कूल सैक्टर-44 में कुकर फटने की घटना सामने आई। 

 

केंद्र सरकार ने जारी किए थे ट्रेनिंग देने के निर्देश :
सभी स्कूलों में कार्यरत मिड-डे मील वर्कस को ट्रेनिंग देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र जारी कर स्कूलों में कार्यरत मिड-डे मील कुक को ट्रेनिंग देने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा अभी तक इस प्रकार की कोई ट्रंनिंग नहीं दी गई है। 

 

कुकर फटने के बाद से मिड-डे मील वर्कर्स हैं सहमे :
जी.एम.एस.एस.एस.-44 में पिछले दिनों कुकर फटने की घटना के बाद से स्कूलों में काम कर रहे मिड-डे मील वर्कर्स सहमे हुए हैं। मिड-डे मील वर्कर्स की चिंता का विषय यह भी है कि जैसा कुकर फटने से घायल हुई रीता के साथ हुआ कल को कहीं ऐसा उनके साथ हो जाए तो उन्हें चंडीगढ़ प्रशासन व सरकार से किसी की मदद नहीं मिलेगी और ऊपर से वेतन इतना की गुजारा भी ना हो सके। 

 

सरकार नहीं करती सुनवाई :
यू.टी. कैडर एजुकेशनल इम्प्लॉय यूनियन के प्रधान स्वर्ण सिंह कंबोज ने कहा कि  मिड-डे मील वर्कर्स की सैलरी इतनी कम है कि जिसे लेकर देशभर में कार्यरत मिड-डे मील वर्कर्स धरना व हड़ताल कर रहे हैं लेकिन सरकार है कि कोई सुनवाई नहीं कर रही। वहीं इन मिड-डे मील वर्कर्स से स्कूलों में कई प्रिंसीपल्स द्वारा घर का काम भी लिया जाता है।

 

2600 वेतन में कैसे होगा गुजारा :
गवर्नमैंट टीचर्स यूनियन के प्रधान संतोष ढुल्ल ने कहा कि महंगाई के समय में भी मिड-डे मील वर्कर्स की सैलरी मात्र 2600 है। इतनी कम सैलरी में भला कैसे वह अपने घर का गुजारा कर सकते हैं और ऊपर से जान जोखिम में अलग से। प्रशासन को वर्कर्स की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इनकी सैलरी बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए।


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