मिड-डे मील व आंगनबाड़ी में मिलेगा राइस फोर्टीफिकेशन वाला मील

Tuesday, Nov 21, 2017 - 09:51 AM (IST)

चंडीगढ़ (रवि): बच्चों व गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी होना आजकल आम है लेकिन यह कमी एनिमिया की वजह बन रही है। ज्यादातर एनिमिया (खून की कमी का रोग) महिलाओं में पाया जाता है लेकिन शहर के 73 प्रतिशत बच्चे इन दिनों एनिमिया का शिकार हैं। नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे द्वारा किए सर्वे में सामने आया था कि शहर में 9 माह से लेकर 4 वर्ष 11 माह तक के बच्चे एनिमिया ग्रस्त हैं। अगर 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में एनिमिया की बात करें तो इसका प्रतिशत 75.9 प्रतिशत है जो काफी ज्यादा है। वहीं 15 से 49 वर्ष के पुरुषों में एनिमिया का प्रतिशत 19.3 है। डिपार्टमैंट ऑफ फूड एंड सेफ्टी के ऑफिसर सुखविंद्र सिंह की मानें तो बच्चों में एनिमिया के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उन्होंने राइस फोर्टीफिकेशन प्रोग्राम शुरू किया है। 

 

इसके तहत स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील व आंगनबाड़ी में मिलने वाले खाने में पहले से ही सभी जरूरी व पोषक विटामिन मिला दिए जाएंगे, ताकि बच्चों को अलग से आयरन न देना पड़े। पी.जी.आई. पैडएट्रिक विभाग की प्रो. भवनीत भारती ने बताया कि चंडीगढ़ में राइस फोॢटफिकेशन शुरू करने से पहले उन्होंने 300 बच्चों पर स्टडी की थी जिसके रिजल्ट हैरानी वाले हैं। 5वीं क्लास तक के बच्चों पर की गई स्टडी में सामने आया कि 50 प्रतिशत में एनिमिया पाया गया। प्रोग्राम शुरू हुए अभी थोड़ा वक्त ही हुआ है। थोड़ा वक्त और होने के बाद हम फिर से स्टडी करेंगे कि राइस फोर्टीफिकेशन का कितना असर हुआ। 

 

बच्चों की ग्रोथ पर होता है असर 
पी.जी.आई. एडवांस पैडएट्रिक सैंटर के हेमेटोलॉजी और सोशल पैडएट्रिक्स यूनिट की रिसर्च हाल ही में इंडियन जर्नल में पब्लिश हुई है। इसमें सामने आया है कि बच्चे में आयरन की कम से ग्रोथ प्रभावित होती है और व्यवहार, एकाग्रता व मैंटल ग्रोथ पर भी असर हो सकता है। पी.जी.आई. एडवांस पैडएट्रिक सैंटर की प्रोफैसर भवनीत भारती ने बताया कि दिमागी विकास, मांसपेशियों और शरीर में रैड ब्लड सैल्स के लिए भी आयरन काफी जरूरी है। डाक्टर्स की मानें तो भारत में 6 माह से 5 वर्ष के 58 प्रतिशत बच्चे एनिमिया का शिकार है। 

 

वहीं चंडीगढ़ में 73 प्रतिशत, हरियाणा में 72 प्रतिशत, पंजाब में 57 प्रतिशत हिमाचल में 54 प्रतिशत और दिल्ली में इसका आंकड़ा 67 प्रतिशत है। डाक्टर्स की मानें तो एनिमिया कोई नई बीमारी नहीं है आजकल के लाइफ स्टाइल की बदौलत यह बढ़ गई है। स्कूलों, अस्पतालों और हैल्थ सैंटर्स में लोगों को मुफ्त में दवाइयां भी जाती है। लेकिन गोली खा लेने से इसका हल नहीं निकलेगा। जब तक हम अपना खानपान नहीं सुधारते। जितना अच्छा हमारा खानपान होगा उतना एनिमिया दूर रहेगा। 


 

बुड़ैल जेल में लगाई मशीन 
फूड एंड सेफ्टी ऑफिसर ने बताया कि सर्वे के बाद आए आंकड़ों में पता लगा कि बच्चों में आयरन की कमी व गर्भवती महिलाओं में फोलिक एसिड, विटामिन डी और आयरन की कमी मिली। इस पर सरकार ने तय किया है कि जरूरी विटामिन्स की पूर्ति के लिए रोजमर्रा के खाने में ही इन्हें मिलाया जाए। चंडीगढ़ में इसके तहत राइस फोर्टीफिकेशन प्रोग्राम शुरू किया है, जिसमें एन.जी.ओ. पॉथ की मदद ली गई है। आंगनबाड़ी में खाने पहुंचाने के लिए शहर में चार बड़े सैंटर्स हैं जिनमें से सबसे बड़ी किचन बुड़ैल जेल में है। बुडै़ल जेल में फिलहाल एक राइस फोर्टीफिकेशन के लिए मशीन लगाई गई है। 

 

फूड सेफ्टी विभाग की मानें तो शहर में 500 के करीब आंगनबाड़ी हैं जिसमें गर्भवती महिलाओं के साथ 50 से 60 एवरेज बच्चे रहते हैं। आंगनबाड़ी में फिलहाल सिर्फ राइस फोर्टीफिकेशन ही की जा रही है। जबकि स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील में राइस के साथ ही व्हीट (गेहूं) फोर्टिफिकेशन भी किया जा रहा है। मिड डे मील के लिए जिसे आटा पीसने का टैंडर दिया जाता है उससे ही सभी जरूरी मिनरल्स व विटामिन्स मिलने के लिए कह दिया जाता है। 

Advertising