सीनियर डिप्टी मेयर पर भारी पड़ सकता है मेयर व विधायक विवाद

Sunday, Jun 18, 2017 - 12:48 PM (IST)

मोहाली (नियामियां): स्थानीय नगर निगम के अकाली मेयर कुलवंत सिंह तथा क्षेत्रीय विधायक बलबीर सिंह सिद्धू में इन दिनों आपसी मन-मुटाव काफी बढ़ता जा रहा है। मेयर के कार्यों पर विधायक एक से ज्यादा बार अपनी अप्रसन्नता व्यक्त कर चुके हैं। इन दोनों में बढ़ रहे मन-मुटाव से सीनियर डिप्टी मेयर रिशभ जैन की कुर्सी को खतरा पैदा होने के आसार बन रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि अकाली भाजपा के पार्षद सीनियर डिप्टी मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर नगर निगमों के पंजाब में होने वाले चुनाव पर इसका अनुकूल प्रभाव डालने की फिराक में हैं। उल्लेखनीय है कि लगभग सवा 2 वर्ष पहले नगर निगम के जब चुनाव हुए थे तो प्रसिद्ध बिल्डर तथा नगर परिषद के अध्यक्ष रह चुके कुलवंत सिंह के उम्मीदवारों को अकाली दल ने उनकी इच्छानुसार टिकटें नहीं दी। 

 

इसलिए कुलवंत सिंह ने अपना अलग आजाद ग्रुप बनाकर यह चुनाव लड़े। उन्हें 11 सीटें हासिल हुई। अकाली भाजपा गठबंधन को 23, कांग्रेस को 14 तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को 2 सीटें मिली। सरकार होने के बावजूद भी अकाली दल नगर निगम के मेयर की कुर्सी पर काबिज नहीं हो सका। इसका मुख्य कारण यह था कि हरेक अकाली पार्षद खुद को मेयर समझता था। उधर, कुलवंत सिंह ने अपने पुराने तजुर्बे का प्रयोग करते हुए 2 निर्दलीय उम्मीदवारों तथा कांग्रेस के 14 उम्मीदवारों का समर्थन लेकर यह चुनाव जीत लिया था मेयर बन गए। कांग्रेस द्वारा दिए समर्थन के कारण सीनियर डिप्टी मेयर का पद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रिशभ जैन को दिया गया। जबकि निर्दलीय मंजीत सिंह सेठी को डिप्टी मेयर बनाया गया। कुछ समय बाद शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष तथा ततकालीन उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल अकाली भाजपा गठबंधन तथा कुलवंत सिंह ग्रुप के पार्षदों को एक मंच पर इकट्ठे किया तथा कुलवंत सिंह दोबारा अकाली दल में शामिल हो गए। 

 

इस तरह अकाली भाजपा गठबंधन के पार्षदों की संख्या 36 हो गई। उस समय अकाली भाजपा पार्षदों ने यह मुद्दा उठाया कि सीनियर डिप्टी मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर रिशभ जैन को इस पद से हटाकर किसी अकाली को सीनियर डिप्टी मेयर बनाया जाए। परंतु अकाली सदस्यों की ही आपस में सहमति नहीं हो सकी। इसलिए यह मामला सिरे नहीं चढ़ सका। अब एक बार फिर अकाली दल चाहता है कि सीनियर डिप्टी मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए। कुल 50 सदस्यों वाली नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए 34 सदस्य एकमत होने जरूरी हैं परंतु अकाली भाजपा के पास 36 सदस्य है। पता चला है कि यह रणनीति आगामी नगर निगम चुनावों के मद्देनजर तैयार की जा रही है। 


 

Advertising