15 जड़ी-बूटियों से तैयार औषधि युक्त मास्क देगा कोरोना वायरस को मात
Sunday, Apr 26, 2020 - 10:36 AM (IST)
चंडीगढ़ (अर्चना) : औषधियों से युक्त मास्क अब कोरोना वायरस को मात देगा। मास्क में मजबूत जड़ी-बूटियां न सिर्फ वायरस के प्रवेश को रोकने में कारगर साबित होंगी बल्कि श्वास रोग से ग्रस्त मरीजों के लिए सांस लेना भी आसान हो जाएगा।
एनिमल वेलफैयर बोर्ड के कैबिनेट सदस्य और ग्वाला गद्दी संगठन के प्रधान डॉ.मोहन सिंह आहलूवालिया के मास्क के लिए पेटेंट आवेदन को कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट ने स्वीकार भी कर लिया है। यह मास्क अब पी.जी.आई. के डॉक्टर्स और आयुष मंत्रालय के अधिकारियों को पहनने के लिए भेजे जाएंगे।
आयुर्वेद के ग्रंथों से लिया फार्मूला :
डॉ.आहलूवालिया का कहना है कि मास्क को बनाने के लिए उन्होंने आयुर्वेद के ग्रंथों में दी गई औषधियों कोरोना वायरस से बचाव का एक हथियार बनाया है। वायरस नाक और मुंह के रास्ते से ही शरीर में प्रवेश करता है। अगर 7 परतों वाले मास्क को पहनकर रखा जाए तो किसी भी वायरस में इतनी क्षमता नहीं है कि वे शरीर में प्रवेश कर जाए।
यह मास्क श्वास रोगियों की श्वास क्रिया को बेहतर बनाता है, जो मोटापे की वजह से ठीक चल नहीं पाते थे और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आती थी। 2600 ऐसे मास्क तैयार कर लोगों को दिए जा चुके हैं। 200 मास्क ऐसे मोटे थुलथुले लोगों को दिए जिन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी और उन्होंने दावा किया कि मास्क पहनने की वजह से उन्हें सांस लेने में किसी किस्म की रुकावट नहीं हुई।
मास्क बनाने में लगा 1 महीना :
डॉ. मोहन सिंह आहलूवालिया ने बताया कि जब से कोरोना काल शुरू हुआ है वह आयुर्वेद का अध्ययन कर रहे हैं और उसमें लिखी औषधियों से वायरस को मात देने के लिए मास्क पर काम कर रहे थे। हर्बल मास्क बनाने में 1 महीने का समय लग गया।
मास्क के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। 7 परतों वाले इस मास्क को 2 महीने तक पहना जा सकता है। महीने में चार दफा इस मास्क को धोकर तेज धूप में 5 घंटे तक सुखाना भी है। मास्क से जड़ी-बूटियों की लगातार 2 महीने खुशबू आती रहेगी।
ये है मास्क की विशेषता :
मास्कके अंदर काला बनसा, वन तुलसी, तुलसी, कड़वा नीम, नीम तेल, लौंग, हरड़ पता, कुटी हुई हल्दी, सरसों, आंवला पत्ता, छोटी पीपली, कढ़ी पत्ता, अजवाइन, सौंठ, अर्जुन की छाल के गुण भरे गए हैं।
तुलसी, घी से रुकेगा कोरोना वायरस का प्रवेश :
कोरोना वायरस को शरीर से दूर रखने के लिए तुलसी घी का निर्माण भी किया गया है। नाक और पेट की नाभि पर घी की बूंदे लगाए रखने के बाद वायरस के प्रवेश को रोका जा सकता है।
डॉ. आहलूवालिया का दावा है कि घी को लगाने के बाद बच्चों को जुखाम और सर्दी खांसी की बीमारी से भी बचाकर रखा जा सकता है। गाय के घी में वन तुलसी, नीम, गिलोय, निम्बू रस, नगद बावरी, अपामार्ग, हल्दी, अमरूद, तुलसी रस को पकाकर घी तैयार किया गया है। इसी तरह से शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए भी औषधीय घी का निर्माण भी किया गया है।