पंजाब में 3.3 प्रतिशत तो देश में लीवर रोगों का आंकड़ा 1 फीसदी से भी कम

Saturday, Apr 20, 2019 - 12:37 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : पंजाब में सबसे ज्यादा लीवर के मरीज पी.जी.आई. आते हैं, जिसकी बड़ी वजह हैपेटाइटिस-सी और बी हैं। यही वजह है कि 3.3 लोग लीवर डिजीज के शिकार हैं, जबकि देशभर में इसका का आंकड़ा 1 प्रतिशत से भी कम हैं। यह कहना है पी.जी.आई. के डायरैक्टर प्रो. जगत राम का। उन्होंने यह बात पी.जी.आई. में वर्ल्ड लीवर डे के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि पंजाब में इस बीमारी के बढऩे की सबसे ज्यादा वजह अनसेफ इंजैक्शन का यूज, बॉडी पर टैटू गुदवाना, आई.वी. ड्रग्स का इस्तेमाल, अनसेफ सैक्स, अनसेफ डैंटल ट्रीटमैंट।

 वहीं उन्होंने कहा कि ज्यादा शराब पीने और जंक फूड के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से पी.जी.आई. में पिछले कुछ सालों में इसके मरीज बढ़े हैं। लोगों को हमने वर्ल्ड लीवर-डे के मौके पर जागरुक किया है कि इस बीमारी से बचने की वैक्सीन किसी भी उम्र में लगवा सकते हैं। हैपेटाइटिस सी और बी से बचने के लिए वैक्सीन मौजूद हैं। इसके तीन इंजैक्शन लगते हैं जो कि किसी भी उम्र में लगवाए जा सकते हैं।  वहीं पी.जी.आई. में वर्ल्ड लीवर-डे के मौके पर 200 लोगों की स्क्रीनिंग भी की गई। 

लीवर बॉडी का सबसे अहम ऑर्गन

पी.जी.आई. के डायरैक्टर प्रो. जगत राम ने कहा कि हैल्दी लाइफ के लिए हैल्दी लीवर का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि लीवर बॉडी का सबसे अहम ऑर्गन है। जितने भी मेटाबॉलिक फंक्शन हैं वे लीवर में ही होते हैं। जैसे खाना पचाने के काम और लीवर बॉडी की एक तरह से फैक्टरी जिसमें हम जो भी खाते हैं, उसे पचाने का काम करता है। खून का थक्का जमाने का काम भी लीवर ही करता है। प्रोटीन भी इसी में बनता है। जो हम दवाइयां लेते हैं, उसका डीटोक्सिफिकेशन भी लीवर में होता है। 

60-70 प्रतिशत लीवर खराब होने के बाद पता चलता है मरीज को
पी.जी.आई. हैपेटॉलोजी डिपार्टमैंट के एच.ओ.डी. प्रो. आर.के. धीमान ने बताया कि 80 प्रतिशत मरीज क्रॉनिक एल्कोहोलिक डिजीज के कारण लीवर डिजीज के शिकार होते हैं। इसका पता ज्यादातर मरीज को तब चलता है, जब लीवर 60 से 70 प्रतिशत खराब हो चुका होता है। 

bhavita joshi

Advertising