चंडीगढ़-पंजाब में 60 प्रतिशत लोग ज्यादा शराब पीने से लिवर सिरोसिस का शिकार

punjabkesari.in Monday, Oct 15, 2018 - 03:52 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : फैटी लीवर के अक्सर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लीवर में चोट, सूजन और जलन हो सकती है। इसे बढऩे से रोकने के लिए समय पर इलाज से फैटीलिवर की बीमारी के बढ़ते मामलों में कमी की जा सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण शराब है, जिसकी कारण लीवर डिसीज बढ़ रहे हैं।

पी.जी.आई हैपोटोलॉजी डिपार्टमैंट के प्रो. अजय दुसेजा की मानें तो चंडीगढ़ और पंजाब में 60 प्रतिशत लोग ज्यादा शराब पीने की वजह से लीवर सिरोसिस का शिकार हो रहे हैं। रविवार को 18वीं पी.जी.आई.-एम्स लिवर डिसीज सीएलपीडी 2018 कॉन्फ्रैंस का समापन हो गया। 

डा. दुसेजा ने बताया कि कैंसर के बाद लिवर डिसीज सबसे खतरनाक मानी जाती है। पी.जी.आई. में हर शुक्रवार को लगाए जाने वाले लिवर क्लीनिक में बहुत तेजी से लीवर सिरोसिस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। सिरोसिस के मरीजों का डायग्नोस होने के बाद उनके पास लिवर ट्रांसप्लांट ही एक मात्र इलाज होता है। ऐसे में मरीज अपना इलाज नहीं कर पाते। इस बीमारी में लिवर पूरी तरह खराब हो जाता है। 

यह बीमारी होने पर लिवर अपने आपको खुद ठीक करने की क्षमता खो देता है। डाक्टर्स की मानें तो जिस तरह स्मोकिंग लंग कैंसर का सबसे बड़ा कारण है ठीक उसी तरह शराब सिरोसिस की मुख्य वजह है। वहीं महिलाओं व कई दूसरे केसों में लीवर सिरोसिस की वजह हैपेटाइटिस सी भी एक बड़ा कारण है।

लिवर ओ.पी.डी. में मरीजों की संख्या 600 तक :
लीवर डिसीज का जितना जल्दी डायग्नोस होगा, उतना ही इसका इलाज आसान हो जाता है। डाक्टर्स की मानें तो देश में 2 लाख लोगों की बीमारी आखिरी स्टेज पर है जिससे सिर्फ लीवर ट्रांसप्लांट ही उनका एकमात्र इलाज है। 

पी.जी.आई. में लिवर ओ.पी.डी. में लिवर की बीमारियों को लेकर एक ओ.पी.डी. में रोजाना 500 से 600 मरीजों को रजिस्टर किया जाता है। मरीजों की इतनी बड़ी तादाद को देखते हुए पी.जी.आई. प्रशासन ने लिवर मरीजों के लिए अलग से लिवर ट्रांसप्लांट क्लीनिक भी खोला है। 

अब तक पी.जी.आई. में लिवर ट्रांसप्लांट मरीजों की देखभाल के लिए अलग कोई सुविधा नहीं थी। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पी.जी.आई. डाक्टर्स कई अरसे से इस क्लीनिक को खोले जाने की मांग कर रहे थे। 


 


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Priyanka rana

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