लिवर सिरोसिस के मरीजों को अब मिल सकेगा सस्ता ईलाज, PGI न्यू क्लीयिर मैडीसन ने खोजा नया इलाज
punjabkesari.in Saturday, Dec 23, 2017 - 11:43 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : हफ्ते में दो बार चलने वाली पी.जी.आई. हैपोटलॉजी विभाग की ओ.पी.डी. में 20 से 25 मरीज लिवर सिरोरिस बीमारी का इलाज करवाने आते हैं। बीमारी में मरीज का लिवर पूरी खराब पूरी तरह खराब हो जाता है। मरीज के पास सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र इसके इलाज का तरीका है, लेकिन ट्रांसप्लांट मंहगा होने से हर कोई इसके बारें में नहीं सोचता।
लिवर सिरोसिस के मरीजों के लिए पी.जी.आई. न्यू क्लीयिर मैडीसन विभाग में नया ट्रीटमैंट कारगर साबित हो रहा है, जो मरीजों को 15 से 20 लाख रुपए में होने वाले ट्रांसप्लांट के मुकाबले सस्ता इलाज दे रहा है। लिवर एक सिक्रीशन (द्रव) बनाने वाला ओर्गन है जो खाने को डायजैस्ट करने में मदद करता है।
इस बीमारी में लिवर द्वारा खुद को ठीक करने की क्षमता खो देता है। डाक्टर्स की मानें तो जैसे स्मोकिंग लंग कैंसर का बड़ा कारण है ठीक वैसे ही शराब सिरोसिस की मुख्य वजह है। वहीं महिलाओं व कई दूसरे केसों में लिवर सिरोसिस की वजह हैपेटाइटिस सी भी बड़ा कारण है।
50 मरीजों पर हुई रिसर्च :
पी.जी.आई. न्यू क्लीयिर मैडीसन विभाग के प्रो. बलजिंदर व हैपोटलॉजी विभाग के प्रो. विरेंद्र के अंडर डा. अमृतजोत कौर ने लीवर सिरोसिस के 50 मरीजो पर यह स्टडी की है। डा. कौर ने बताया कि अभी तक लीवर सिरोसिस के मरीजों का लीवर कितना खराब हो चुका है इसे जांचने के लिए अब तक कोई गोल्ड स्टैंडर्ड टैक्नीक नहीं है। पुरानी टैक्नीक में हम ब्लड सैंपल्स की मदद से लिवर कितना खराब हो चुका है इसे जांचते हैं।
लेकिन यह टैक्नीक इतने अच्छे रिजल्ट नहीं देती है। सभी टैस्ट के आधार पर अंदाजा लगाया जाता है कि लिवर का कितना प्रतिशत हिस्सा खराब हो चुका है। हमने यही जांचने के लिए नई टैक्नीक (आई.सी.जी.) बनाई है जिसके इस्तेमाल से हम लिवर के खराब हो चुके हिस्से को इमेज की मदद से देख भी सकते हैं साथ ही कौन सा पर्टीकूलर हिस्सा कितने प्रतिशत खराब हो चुका है यह भी इसकी मदद से पता लगाया जा सकता है।
स्टडी में लिवर सिरोसिस के 20 से 65 वर्ष की आयु के 50 मरीज शामिल किए हैं, जिन्हें जांचने के बाद दो ग्रुपों में बांटा गया। स्कैनिंग के बाद एक ग्रुप को खराब हो चुके पार्टीकूलर हिस्से पर थैरेपी देकर जांचा कि उनमें काफी इंप्रूवमैंट आया है।
डा. कौर के मुताबिक सिरोसिस के मरीजों का डायग्रोस होने के बाद उनके पास लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र इलाज होता है लेकिन मंहगा होने व कई बार मैचिंग डोनर नहीं मिल पाता है। स्टडी में पाया गया है कि जिन मरीजों में यह थैरेपी दी गई है उनमें इंफैक्शन कम होने के साथ ही उनका सर्वाइवल रेट भी बढ़ा है। इसके साथ ही उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ में भी इजाफा हुआ है।