हरियाणा के चिडिय़ाघरों में गूंजेगी बब्बर शेरों की दहाड़

punjabkesari.in Thursday, Feb 10, 2022 - 01:17 PM (IST)

चंडीगढ़,(अर्चना सेठी): हरियाणा में अब बब्बर शेरों की दहाड़ गूंजेगी। भिवानी चिडिय़ाघर में पहुंचे 4 साल 8 महीने के शेर शिवा के बाद अब बिलासपुर से पिपली चिडिय़ाघर के लिए भी शेर मंगवाने का फैसला किया गया है। दोनों शेरों से हरियाणा में शेरों की ब्रीङ्क्षडग को रफ्तार मिल सकेगी। 

 


क्वारंटाइन है 24 दिन के लिए शिवा 
5 दिन पहले हरियाणा के भिवानी चिडिय़ाघर में इंदौर के चिडिय़ाघर से शिवा को लाया गया था। शिवा के बदले में भिवानी से शेर अर्जुन को इंदौर भेज दिया गया है। शिवा को फिलहाल चिडिय़ाघर में ही 24 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर दिया गया है। क्वारंटाइन समय पूरा होने के बाद शेर शिवा को शेरनी सुधा और गीता के साथ एक ही बाड़े में रखा जाएगा। उम्मीद है कि सुधा और गीता के साथ शिवा को रखे जाने के कुछ महीनों बाद भिवानी चिडिय़ाघर में शेरों की आबादी बढ़ेगी। सुधा और गीता अब साढ़े तीन साल की हो चुकी हैं और उनके साथ जन्म लेने वाले अर्जुन को इस वजह से सुधा और गीता से अलग कर दिया गया है, ताकि भाई-बहनों के बीच ब्रीङ्क्षडग न हो सके। शिवा के भिवानी चिडिय़ाघर में आने के बाद अर्जुन अपने पिंजरे और सुधा व गीता से अलग होने को तैयार नहीं हो रहा था परंतु मजबूरन अर्जुन को शिवा के बदले में एनिमल एक्सचैंज प्रोग्राम के अंतर्गत इंदौर भेज दिया गया है। 

 


बिलासपुर से आने वाले शेर के लिए पिपली चिडिय़ाघर किया जा रहा तैयार
भिवानी चिडिय़ाघर में इंदौर से पहुंचे शेर शिवा के बाद अब पिपली चिडिय़ाघर के लिए बिलासपुर के कानन पेंडारी चिडिय़ाघर से साढ़े तीन साल के शेर को लाया जाएगा। पिपली चिडिय़ाघर में मौजूदा समय में दो शेरनियां और एक शेर है। इस चिडिय़ाघर में भी तीनों भाई-बहनों के बीच ब्रीडिंग को रोकने के लिए एनिमल एक्सचैंज प्रोग्राम के अंतर्गत पिपली के शेर को बिलासपुर और बिलासपुर के शेर को पिपली लाया जा रहा है। बिलासपुर से लाए जाने वाले शेर के स्वागत के लिए चिडिय़ाघर प्रबंधन इंतजाम कर रहा है। बिलासपुर से लाए जाने वाले शेर को क्वारंटाइन काल के दौरान जिस पिंजरे में रखना है उस पिंजरे को तैयार किया जा रहा है ताकि चिडिय़ाघर में मौजूद अन्य जानवरों से बिलासपुर के शेर को 24 दिनों के लिए दूर रखा जा सके। 

 


लॉयन एक्सचैंज प्रोग्राम रोकेगी इनब्रीङ्क्षडग
हरियाणा वन विभाग के एडिशनल पिं्रसीपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरैस्ट (ए.पी.सी.सी.एफ.) एम.एल. राजवंशी का कहना है कि प्रदेश के भिवानी और पिपली चिडिय़ाघर के पिंजरों में बंद शेरों में इन ब्रीङ्क्षडग न हो जाए, इसलिए एनिमल एक्सचैंज प्रोग्राम के अंतर्गत 2 शेर दूसरे चिडिय़ाघरों में भेजने और बदले में वहां के शेरों को हरियाणा लाने का फैसला किया गया था। भिवानी में सुधा, गीता और अर्जुन एक साथ खेलते रहते थे और अब बड़े हो गए थे, ऐसे में उन भाई बहनों को एक-दूसरे से अलग करना जरूरी हो गया था। इसी तरह पिपली में भी एक नर व दो मादा (शेरों) की जोड़ी को एक-दूसरे से दूर करना महत्वपूर्ण हो गया। भिवानी में तो इंदौर से शेर पहुंच चुका है और फरवरी के अंतिम सप्ताह में उम्मीद है कि बिलासपुर से भी शेर हरियाणा पहुंच जाएगा। 

 


शेरों में इनब्रीङ्क्षडग डिप्रैशन की वजह से प्रजाति के विलुप्त होने का रहता है खतरा
वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि शेरों में इनब्रीङ्क्षडग की वजह से कई किस्म की अनुवांशिक समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा रहता है। एक ही परिवार में हुई ब्रीङ्क्षडग से उत्पन्न होने वाली नस्ल या कमजोर होती है या उनकी पूंछें असामान्य ढंग से मुड़ी होती हैं या ऐसे शावक किसी अनुवांशिक रोग से ग्रस्त हो जाते हैं और कुछ सालों बाद शेरों की वह प्रजाति विलुप्त तक होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे अध्ययनों को ध्यान में रखते हुए हरियाणा वन्य जीव विभाग ने शेरों में इनब्रीङ्क्षडग को रोकने के लिए दूसरे राज्यों से शेरों को मंगवाने का फैसला किया है। आमतौर पर शेरों में ब्रीङ्क्षडग 3 से 4 साल की उम्र में शुरू होती है। 
 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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