फेक एनकाऊंटर में SHO को उम्रकैद और पांच लाख जुर्माना

punjabkesari.in Thursday, Feb 28, 2019 - 10:37 AM (IST)

मोहाली (कुलदीप): सी.बी.आई. कोर्ट ने 1993 में हुए फेक एनकाऊंटर के दोषी रोपड़ के उस समय के एस.एच.ओ. हरजिन्दरपाल सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसे पांच लाख रुपए जुर्माना भी किया गया है। उसे यह सजा आई.पी.सी. की धारा 302 तथा 218 में सुनाई गई है। पुलिस ने दो नौजवानों को आतंकी बताकर मार गिराया था।

 

अदालत ने इसी केस के तीन आरोपियों डी.एस.पी. जसपाल सिंह, कांस्टेबल करनैल सिंह और हवलदार हरजी राम को बरी कर दिया है। दो और आरोपियों डी.एस.पी. अवतार सिंह तथा ए.एस.आई. बचनदास को अदालत ने दो-दो वर्ष कैद की सजा सुना दी। 

 

लेकिन इन दोनों को अदालत ने एक वर्ष के प्रोबेशन पर छोड़ दिया है। इसके अलावा दोनों दोषियों पर 20-20 हजार रुपए लिटीगेशन चार्जिज भी लगाए गए हैं। दोषियों को यह सजा सी.बी.आई. के जज एन.एस. गिल की अदालत द्वारा सुनाई गई है।

 

चले कारतूसों के खोल सबूत के तौर पर पेश नहीं कर सकी पुलिस
जिला रोपड़ के गांव लोदीमाजरा निवासी कुलदीप सिंह (21 साल, जो कि थर्मल प्लांट घनौली में टैलीफोन आप्रेटर के तौर पर काम करता था), गांव कोटला निहंग निवासी गुरमेल सिंह को आतंकवादी बताकर पुलिस स्टेशन (सदर) रोपड़ की पुलिस ने 1 फरवरी 1993 की आधी रात 1 बजे के करीब गांव भद्दल के नजदीक से गुजरती संगराओ नदी में पुलिस मुकाबला दिखाकर मार दिया था। 

 

पुलिस ने उस समय कहानी बनाई थी कि गिरफ्तार किए गए दोनों नौजवानों से पुलिस उक्त नदी में छुपाकर रखे हुए हथियार बरामद करवाने गई थी जिस दौरान अज्ञात हमलावरों ने पुलिस पर हमला कर दिया। 

 

उस हमले में पुलिस ने दोनों नौजवानों को मरा हुआ दिखा दिया जबकि पुलिस उस हमले संबंधी अपनी ओर से गई फायरिंग बारे कोई चले हुए कारतूसों के खोल आदि सबूत के तौर पर पेश नहीं सकी। पुलिस ने उस समय 160 फायर किए जाने संबंधी रिकार्ड में एंट्री नहीं की थी।

 

रोपड़ थाने में दोनों के खिलाफ दर्ज था केस
पुलिस स्टेशन सदर रोपड़ में दोनों नौजवानों कुलदीप सिंह निवासी गांव लोदीमाजरा और गुरमेल सिंह निवासी गांव कोटला निहंग के खिलाफ वर्ष 1993 में एफ. आई. आर. नंबर 8 दर्ज की गई थी। 

 

उसके बाद जब पुलिस ने संगराओ नदी में पुलिस मुकाबला दिखाया तो हथियार बरामदगी संबंधी अज्ञात हमलावरों खिलाफ 1 फरवरी 1993 को एफ.आई.आर. नंबर 9 दर्ज कर दी गई थी।

 

लाशें भी अज्ञात बताकर कर दिया था संस्कार
पहले तो पुलिस उक्त दोनों नौजवानों की गिरफ्तारी संबंधी अपने रिकार्ड में नाम और एड्रैस दर्ज करती रही, लेकिन मुकाबले में दोनों की मौत दिखाने के बाद लाशें परिवारों को देने की बजाय पुलिस ने अज्ञात बताकर खुद ही संस्कार कर दिया था। 

 

हाईकोर्ट के आदेशों के बाद दर्ज किया था केस 
मृतक कुलदीप सिंह की पत्नी कुलबीर कौर तथा गुरमेल सिंह की पत्नी ने इंसाफ के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में केस दायर किया था, जिसके बाद हाईकोर्ट द्वारा एफ.आई.आर. नंबर 9 की जांच सी.बी.आई. को सौंप दी गई थी। 

 

सी.बी.आई. ने जांच पूरी करने के बाद उस समय रोपड़ के डी.एस.पी. जसपाल सिंह निवासी जालंधर, एस.एच.ओ. हरजिन्दरपाल सिंह निवासी माडल टाऊन कपूरथला, ए.एस.आई. अवतार सिंह निवासी रोपड़, ए.एस.आई. बचनदास निवासी गांव वरियाम नग्गल (अमृतसर), हरजी राम हवलदार निवासी गांव कीमाबास (रोपड़) तथा करनैल सिंह कांस्टेबल निवासी गांव गुरस माजरा (रोपड़) खिलाफ 4 जुलाई 1997 को केस दर्ज किया था। 

 

डी.एस.पी. जसपाल सिंह को धारा 302, 364 तथा 120बी में शामिल किया था जबकि बाकी आरोपियों को धारा 302, 218, 34, 120बी में शामिल किया गया था। उस उपरांत मई 2002 में सी.बी.आई. द्वारा अदालत में चालान पेश किया गया था। इस केस की सुनवाई सी.बी.आई. की अदालत में चल रही थी।

 

अपने साथी को मीडिया से छुपाती रही पुलिस
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद दोषी एस.एच.ओ. हरजिन्द्रपाल सिंह को पटियाला जेल भेज दिया गया। उसे जेल भेजने के लिए पुलिस द्वारा वी.आई.पी. ट्रीटमैंट दिया गया। उसे जेल भेजने के लिए पुलिस की अलग विशेष गाड़ी मंगवाई गई। दोषी को गाड़ी तक पहुंचाने के लिए पुलिस ने मीडिया से छुपा कर दूसरे रास्ते से निकाल कर उसे गाड़ी में बिठाया ताकि उसकी कोई फोटो न कर सके।


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pooja verma

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