ओवरएज होने के बाद मिला पायलट का लाइसैंस, केंद्र-हरियाणा सरकार से मांगा 100 करोड़ मुआवजा

Sunday, Apr 21, 2019 - 08:15 AM (IST)

चंडीगढ़(रमेश) : चंडीगढ़ में रहने वाले लखबीर सिंह ने केंद्र व हरियाणा सरकार के सिविल एविएशन विभाग, पिंजौर के सिविल एविएशन विभाग के फ्लाइंग इंस्टीच्यूट व वहां के पूर्व चीफ फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर कैप्टन जी.एस. चीमा पर उसका पायलट का करियर खराब करने का आरोप लगाते हुए 100 करोड़ के मुआवजे की मांग की है। केस चलने तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी मांगा है। 

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन भारत सरकार, भारत सरकार के सिविल एविएशन विभाग के महानिदेशक, हरियाणा के सिविल एविएशन सचिव, हरियाणा के सिविल एविएशन सलाहकार, सिविल एविएशन हरियाणा के पिंजौर स्थित फ्लाइंग संस्थान के मुख्य कार्यकारी निदेशक व पूर्व चीफ इंस्ट्रक्टर कैप्टन जी.एस. चीमा को नोटिस जारी कर 17 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

पिंजौर स्थित इंस्टीच्यूट में लिया था दाखिला :
लखबीर ने 100 करोड़ की कंपनसेशन लेने के लिए दाखिल की याचिका में बताया है कि उसने 1995 में पिंजौर स्थित फ्लाइंग इंस्टीच्यूट में हरियाणा फ्लाइंग कोटे से दाखिला लिया था। इसके तहत प्रावधान था कि हरियाणा का निवासी अगर 70 प्रतिशत खर्च वहन करता है तो वह 250 घंटे की फ्लाइंग ट्रेनिंग कर सकता है। हरियाणा सरकार ने वर्ष 1996 में इसकी अधिसूचना भी जारी की थी। लखबीर सिंह ने भी उसी कोटे से फ्लाइंग ट्रेनिंग पूरी की और जरूरी विषय भी पास किए।

साथियों की सैलरी 8 लाख :
लखबीर ने याचिका में कोर्ट को बताया कि उसके साथ सिविल एविएशन की ट्रेनिंग व कोर्स करने वाले उसके बैचमेट विक्रम बैंस, सुनील दत्त शर्मा, विकास चौधरी, संदीप सूरी, दीपक रज़ा और दिनेश बंसल बड़ी-बड़ी एयरलाइन कंपनियों में पायलट बनने के बाद आज कैप्टन व कमांडर तक बन चुके हैं, जिनकी  मासिक आमदनी 8 से 10 लाख के बीच है, जबकि याचिकाकर्ता पटियाला के फ्लाइंग क्लब में ग्राउंड इंस्ट्रक्टर की नौकरी कर रहा है। उसका मासिक वेतन मात्र 40000 है।

लाइसैंस लखबीर के लिए मात्र कागज का टुकड़ा :
लखबीर सिंह ने याचिका में कहा कि वह 1995 में हरियाणा से चंडीगढ़ आया था, उसका सपना पायलट बनना था और वह बन भी गया। उसने 1999 में सभी परीक्षाएं और फ्लाइंग ट्रेनिंग पास भी कर ली, लेकिन अधिकारियों की जिद और सरकार की लापरवाही ने उसका करियर बर्बाद कर दिया। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सिविल एविएशन विभाग ने अप्रैल 2018 में लखबीर को कमर्शियल पायलट का लाइसैंस जारी किया और बताया कि लाइसैंस वर्ष 1999 से ही वैध माना जाएगा। 

करीब 20 वर्ष बाद मिला लाइसैंस अब लखबीर के लिए मात्र कागज का टुकड़ा मात्र बनकर रह गया है, क्योंकि उसकी उम्र 43 के पार हो चुकी है और पॉयलट के लिए आवेदन की अधिकतम आयु सीमा 35 से 40 वर्ष होती है। लखबीर के साथ सिविल एविएशन का कोर्स करने वाले कैप्टन बन चुके हैं, जोकि हर माह औसतन 8 लाख रुपए कमा रहे हैं और ऐशो आराम का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 

हाईकोर्ट में केंद्र और हरियाणा सरकार का सिविल एविएशन विभाग जवाब नहीं दे सका और लखबीर को 20 वर्ष बाद पायलट का लाइसैंस मिल गया, जोकि अब उसके काम का नहीं रहा। यही कारण है कि लखबीर ने संबंधित लोगों से कंपनसेशन लेने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

Priyanka rana

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