लाल डोरे से बाहर रहने वालों के लिए खुशखबरी

punjabkesari.in Wednesday, Dec 05, 2018 - 10:23 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : प्रशासन द्वारा 13 गांवों को नगर निगम के हवाले किए जाने पर लाल डोरा के बाहर बने मकानों को ढहाए जाने को लेकर गांववासियों के मन में जो डर था, वह प्रशासन की अधिसूचना से अब दूर हो गया है। अधिसूचना के अनुसार अब इन गांवों की सारी जमीन निगम में शामिल होगी, जिससे लाल डोरा की समस्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी। 

अधिसूचना में पूरे गांव ही निगम के हवाले कर दिए गए हैं। गांवों के साथ लगती रैवेन्यू लैंड भी अब निगम के हवाले होगी। वर्ष 2006 में प्रशासन ने जो पांच गांव निगम को सौंपे थे, पहले उनको भी पूरी तरह से निगम के हवाले कर दिया था लेकिन वर्ष 2009 में एक अन्य अधिसूचना जारी कर इन पांचों गांवों की रैवेन्यू लैंड वापस ले ली थी और लाल डोरे के बाहर किए गए निर्माण कार्यों को गिराए जाने के नोटिस जारी कर दिए गए थे। 

प्रशासन द्वारा वर्ष 2009 की अधिसूचना के बाद निगम के अंतर्गत आते गांवों में ही दो तरह के कानून लागू हो गए थे। वर्ष 1996 में नगर निगम के गठन के समय जो चार गांव और मनीमाजरा निगम के अधिकार क्षेत्र में दिए गए, उनकी रैवेन्यू लैंड भी निगम को दी गई इसलिए वहां लाल डोरा जैसी समस्या नहीं रही थी और वहां लाल डोरा के बाहर किए गए निर्माणों को निगम ने नियमित भी किया था। 

वर्ष 2006 में जो गांवों निगम के हवाले किए गए उनकी रैवेन्यू लैंड भी निगम को सौंपी गई है या नहीं, इस पर प्रशासन ने अभी कोई स्पष्ट स्थिति साफ नहीं की है। प्रशासन के संबंधित अधिकारी के मुताबिक नए आदेश चंडीगढ़ के सभी गांवों व उनकी रैवेन्यू लैंड पर लागू हैं। इसका मतलब शहर में लाल डोरे की समस्या का अंत हो गया। 

निगम में शामिल हुए ये गांव :
निगम में शामिल होने वाले गांवों में किशनगढ़, मौलीजागरां, दरिया, रायपुर कलां, मक्खन माजरा, बहलाना, रायपुर खुर्द, धनास, सारंगपुर, खुड्डा अलीशेर, खुड्डा जस्सू, लाहौरा और कैंबवाला का एरिया शामिल है।  

चंडीगढ़ के अधिकारी पुराने एक्ट से कर रहे परेशान :
दीप कॉम्पलैक्स रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन के पूर्व सचिव बी.एस. रावत ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी कि पंजाब न्यू कैपिटल पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट-1952 का रिव्यू किया जाए और साथ ही चंडीगढ़ के गांवों में लाल डोरा के बाहर बने घरों को नियमित किया जाना चाहिए। 

इन लोगों का कहना था कि पंजाब पुनर्गठन के बाद पंजाब ने मोहाली व हरियाणा में पेरीफेरी में पंचकूला जैसे शहर विकसित हो गए लेकिन चंडीगढ़ के अधिकारी अभी तक उसी पुराने एक्ट को आधार बनाकर लोगों को परेशान कर रहे थे, जिससे उन्हें अब निजात मिल जाएगी।

गांवों में विकास के लिए डी.डी.पी.ओ. लगाए जाएंगे :
जो गांवों अभी भी प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में थे, वहां निगम के नहीं बल्कि पंचायत के चुनाव होते रहे हैं। अब जैसे ही वर्तमान पंचायतों की टर्म खत्म होगी, गांव निगम के हवाले माने जाएंगे। 

चंडीगढ़ में पंजाब न्यू कैपिटल पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट-1952 के संबंध में हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी, जो लाल डोरा सीमा के विरुद्ध थी। अभी निगम चुनाव में तीन साल का वक्त बाकी है। लिहाजा वार्डबंदी करने के लिए काफी समय है और निगम चुनाव तक गांवों में विकास के लिए डी.डी.पी.ओ. या अन्य अधिकारियों को लगाया जाएगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Priyanka rana

Related News