पोते व पोती का पोस्टमार्टम देख दादा का फूटा दर्द, कहा बेटा मर जाता तो अच्छा होता

punjabkesari.in Thursday, Nov 23, 2017 - 09:13 AM (IST)

पंचकूला (मुकेश): हरियाणा के पिहोवा में स्थित गांव सरसा के रहने वाले तीनों मासूम बच्चों को मोरनी के जंगलों में उन्हीं के चाचा ने ब्लाइंड रेंज से गोली पीछे से सिर में मारी थी। बुधवार को पोस्टमार्टम के दौरान तीनों बच्चों में से किसी भी बच्चे के सिर में गोली नहीं मिली। दरअसल नजदीक से गोली मारी गई थी, इसलिए गोली सिर को भेदती हुई, माथे के रास्ते बाहर निकल गई। पोस्टमार्टम करने से पहले बच्चों के शवों का एक्सरे भी करवाया गया ताकि गोली का पता चल सके। 

 

एक्सरे में भी गोली दिखाई नहीं दी। बुधवार दोपहर करीब दो बजे समीर, सिमरन और समर के शवों का पोस्टमार्टम कर उनके दादा जीता राम को सौंप दिए गए। एंबुलैंस में दादा अपने दो पोतों व एक पोती की लाश को लेकर गांव के लिए रवाना हो गया। बुधवार को पोस्टमार्टम के वक्त बच्चों का नाना धर्मपाल भी मोर्चरी के बाहर मौजूद थे। उनका कहना था कि दामाद सोनू को तो मोबाइल से ही फुर्सत नहीं थी। अपने ही खून को कत्ल करवाने वाला शख्स हैवान नहीं तो और क्या है।


 

एक्सीडैंट में बेटा मर गया होता तो आज मेरे पोता-पोती जिंदा होते
पंचकूला के सेक्टर-6 स्थित सामान्य अस्पताल की मोर्चरी के बाहर मौजूद इन बच्चों के दादा जीता राम से बात की गई तो उनके मुंह से निकले शब्द कि कुछ समय पहले उनके बेटे सोहन उर्फ सोनू मलिक का एक्सीडैंट हो गया था। उस एक्सीडैंट में अगर मेरा बेटा मर गया होता तो आज मेरे मासूम दोनों पोते व पोती मेरे साथ होते। मैंने जिंदगी में कभी सोचा नहीं था कि मेरी औलाद ऐसी निकलेगी। बच्चों का पिता एक समारोह में फोटो खींचने का कह कर घर से निकला था

 

बच्चों के दादा जीता राम ने बताया कि उनका बेटा और मासूम बच्चों का पिता सोनू घर से यह कह कर निकला था कि वह किसी का फंक्शन खींचने के लिए जा रहा है। उस समय किसी के में ऐसा कोई अंदाजा नहीं था कि उसके मन में अपने ही मासूम बच्चों को मौत के घाट उतारने की खुराफात चल रही है। सोनू पेशे से फोटोग्राफर है और कैथल में उसने फोटो स्टूडियो भी अपनी बेटी सिनरन के नाम से खोल रखा है।


 

बालियां देखकर आंखें हो गई नम
सिमरन के शव के पोस्टमार्टम के दौरान अस्पताल कर्मी ने उसके दोनों कानों की बालियां उसके दादा को सौंप दी। कागज में लिपटी बालियों को देखकर दादा के साथ-साथ अन्य रिश्तेदारों की आंखें भी नम हो गई। 

 

जगदीप ने कर दी थी बोलचाल बंद
जीता राम ने बताया कि उनके भाई के बेटे जगदीप का कुछ पता नहीं वह क्या काम करता था। हालांकि उसका चार साल का एक बेटा है। कुछ समय पहले उसने कुरुक्षेत्र में दुकान किराए पर ली थी, लेकिन वह दुकान का किराया देने की हालत में भी नहीं था। जब मैंने किराया देने से भी मना कर दिया तो जगदीप ने बोलचाल बंद कर दी थी। 


 

जगदीप के छोटे भाई ने लगाया था फंदा
मोर्चरी के बाहर मौजूद रिश्तेदारों व गांववासियों ने बताया कि जीता राम के भाई के बेटे एवं मासूम बच्चों की हत्या के आरोपी जगदीप के छोटे भाई की भी दो साल पहले फंदे से लटकी लाश मिली थी। वह आठवीं कक्षा में पढ़ रहा था लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं जगदीप ने ही तो कहीं अपने भाई की जमीन की खातिर वह हत्या की थी और लोगों को धोखा देने के लिए उसे खुदकुशी का रूप हो।


 

सजा-ए-मौत देनी चाहिए
गांव में साथ वाले घर में रहने वाले लीला राम ने कहा कि बच्चों को इस तरह से कत्ल करने वाले जगदीप ने तो आतंकवादियों और कसाइयों से भी घिनौना जुर्म किया है। ऐसे शख्स को सजा-ए-मौत देनी चाहिए। लीला राम ने बताया कि गांव वालों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर जगदीप इस तरह से बच्चों को ढूंढने का नाटक करता रहा कि किसी को उस पर शक भी नहीं हुआ।


 


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