अगर कराना है किडनी ट्रांसप्लांट तो न ले ब्लड ग्रुप टेंशन

Thursday, Oct 06, 2016 - 09:20 AM (IST)

चंडीगढ़, (रमेश हांडा): लोगों में भ्रम है कि सिर्फ परिवार का सदस्य ही किडनी डोनेट कर सकता है, वह भी उस स्थिति में जब उसका व मरीज का ब्लड ग्रुप एक हो लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है आज ए ग्रुप वाला बी ग्रुप वाले व्यक्ति को भी किडनी डोनेट कर सकता है संक्षेप में कहें तो किसी भी ब्लड ग्रुप का व्यक्ति अब किडनी डोनेट कर सकता है। प्रो. गुप्ता ने बताया कि डोनर के ब्लड ग्रुप वाले प्लाजमा सैल मरीज के शरीर में फिल्टर के जरिए प्लाज्मा परवर्तित कर दिए जाते हैं जिसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट हो सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया में काफी खर्च आता है जो आम व्यक्ति नहीं कर पाता। 

ऑर्गन रिप्लेसमैंट सर्जरी हुई संभव पर पी.जी.आई. अभी तैयार नहीं : 
अब शरीर के कट चुके अंगों की रिप्लेसमैंट सर्जरी भी संभव है, लेकिन भारत में अभी तक ऐसी एक मात्र सर्जरी हुई है, जोकि कोच्चि के डाक्टर सुब्रमण्यम अय्यर ने की है। जिन्होंने एक मरीज के कट चुके हाथ की जगह सड़क हादसे में जान गंवा चुके एक व्यक्ति का हाथ मरीज को लगाया था, जो सफल रहा और आज वह मरीज आम व्यक्ति की तरह हाथ का इस्तेमाल कर रहा है। सिर्फ हाथ ही नहीं कंधे तक पूरी बाजू को भी रिप्लेस किया जा सकता है लेकिन पी.जी.आई. में अंगों को बदलने की प्रक्रिया अभी संभव नहीं है, जिसके लिए अभी इंतजार करना होगा। यह कहना है पी.जी.आई. के नैफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफैसर के.एल. गुप्ता का जोकि चंडीगढ़ में पहली बार एक साथ होने जा रहे 7 विभागों के सम्मेलन के विषय में जानकारी दे रहे थे। 

दिमाग को छोड़ शेष अंगों का प्रत्यारोपण संभव : 
प्रो. के.एल. गुप्ता के अनुसार आज चिकित्सा इतनी उन्नति कर चुकी है कि दिमाग को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग का प्रत्यारोपण किया जा सकता है, बशर्ते कि डोनर उपलब्ध हो। उन्होंने बताया कि हाथ पांव से लेकर चेहरे तक का ट्रांसप्लांट संभव है, जिसके माध्यम से किसी कारण बिगड़े हुए चेहरे को नया रूप दिया जा सकता है। 

डोनर ही नहीं पैसा भी है ट्रांसप्लांट में बाधा :
प्रो. के.एल. गुप्ता के अनुसार भारत में किडनी या अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट के लिए सिर्फ डोनर ही नहीं पैसा भी बड़ी बाधा है, कई मामलों में परिवार के सदस्य किडनी या कोई दूसरा अंग डोनेट करने को तैयार हो जाते हैं लेकिन जब ट्रांसप्लांट के खर्च और उसके बाद दवाओं के खर्च की बात आती है तो मरीज सर्जरी से इंकार कर देता है। उन्होंने बताया कि पी.जी.आई. में ही 80 से 85 प्रतिशत मरीजों की ट्रांसप्लांट सर्जरी वित्तीय कारणों से नहीं हो पाती और वह मौत के मुंह में चले जाते हैं। 

गुजरात में निशुल्क होता है किडनी ट्रांसप्लांट :
देश में कई राज्यों में गरीब मरीजों के ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त फंड्स हैं, जिन्हें सर्जरी के बाद सरकार दवा का खर्च भी देती है, दिल्ली में मरीज को पांच लाख तक की अनुदान राशि का प्रावधान है, जबकि गुजरात में किडनी ट्रांसप्लांट निशुल्क किया जाता है पर अफसोस पी.जी.आई. के पास इस तरह का कोई फंड नहीं है। 

पाकिस्तानी डॉक्टरों को नहीं मिला वीजा :
ओर्गन ट्रांसप्लांटेशन सम्मेलन में पकिस्तान के चिकित्सा संस्थान से भी डाक्टरों के दल ने शामिल होना था, जिन्हें दोनों देशो के बीच बने तनाव भरे माहौल के कारण वीजा नहीं मिला है। हालांकि जिस संस्थान से डाक्टरों ने यहां आना था उसका संचालन डोनेशन से होता है और सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। 

रोबोट करेगा 8 को किडनी ट्रांसप्लांट :
चंडीगढ़ में 7 से 9 अक्तूबर तक होने जा रहे अंतराष्ट्रीय ओर्गन ट्रांसप्लांटेशन सम्मेलन में अहमदाबाद से ट्रांसप्लांट सर्जन प्रांजल मोदी भी शिरकत करने आ रहे हैं, जिन्हें देश में सर्वाधिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी का अनुभव है। डा. प्रांजल और पी.जी.आई.के डॉक्टर आशीष शर्मा किडनी ट्रांसप्लांट की दूसरी रोबोटिक सर्जरी करेंगे, जिसकी तैयारी हो चुकी है और मरीज का चयन भी। सर्जरी का लाइव डेमो भी डैलीगेट्स देख सकेंगे। 

एक साथ 7 विभागों के विशेषज्ञ होंगे एक मंच पर :
ऐसा पहली बार देखने को मिलेगा जब एक ही सम्मलेन में सात विषयों के विशेषज्ञ एक साथ शिरकत करेंगे, इनमें ट्रांसप्लांट सर्जरी, हैपेटोलॉजी, पल्मनरी मैडिसिन, कार्डियोलॉजी, कार्डियो- थोरेसिक सर्जरी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी व प्लास्टिक सर्जरी विभाग शामिल हैं। सभी के अलग-अलग सैशन होंगे और एक सत्र सामूहिक चर्चा का होगा। सम्मेलन में अमरीका, फ्रांस, इगलैंड व सार्क देशों से 25 एक्सपर्ट शिरकत करेंगे। 

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