कालका, पिंजौर पंचकूला निगम का हिस्सा होंगे या नहीं, जल्द ले फैसला -हाई कोर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Feb 04, 2020 - 11:23 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमेश): जनवरी, 2018 से पंचकूला नगर निगम के विभाजन को लेकर चल रहा विवाद जल्द सुलझता नजर आ रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंचकूला नगर निगम के विभाजन की सिफारिश पर लगी स्टे हटा दी है। हरियाणा सरकार को आदेश दिए हैं कि 6 माह में फैसला ले कि कालका और पिंजौर, पंचकूला नगर निगम का हिस्सा होंगे या नहीं। कोर्ट ने कहा है कि अंतिम निर्णय में नगर निगम के रह चुके पार्षदों की राय में शामिल की जानी चाहिए। विस्तृत आदेश आने अभी बाकी हैं।

 

कालका और पिंजौर की अलग एम.सी. के हक में थी सरकार 
हरियाणा सरकार कालका और पिंजौर को पंचकूला नगर निगम से अलग कर नगर निगम के गठन की तैयारी कर रही थी जिसके लिए 29 जनवरी, 2018 को प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी।

 

पिंजौर के पार्षद सतिंद्र ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
पिंजौर से पार्षद सतिंद्र टोनी ने राज्य सरकार की ओर से नगर निगम पंचकूला के विभाजन को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका पर हाईकोर्ट ने पंचकूला नगर निगम के विभाजन पर रोक लगा दी थी। तभी से पंचकूला नगर निगम कमिश्नर की देखरेख में चल रही है। पार्षद टोनी का कहना नगर निगम स्थापित करने के लिए कम से कम 3 लाख की जनसंख्या होनी चाहिए और कालका व पिंजौर को पंचकूला से अलग किया जाता है तो जनसंख्या 3 लाख से कम रह जाएगी, जो कानूनन गलत होगा। 

 

याचिककर्ता का कहना था कि सरकार ने पंचकूला नगर निगम के विभाजन से पहले न कानूनी पक्ष जाना और न ही पार्षदों को विश्वास में लिया। उनका कहना था कि नगर निगम की सदन में निर्णय लिया गया था कि पंचकूला नगर निगम से कालका और पिंजौर को नहीं हटाया जाए। उक्त प्रस्ताव अम्बाला के डी.सी. ने रिकार्ड में नहीं लिया। 

 

टोनी ने कोर्ट को बताया था कि सैंसस 2011 के हिसाब से पंचकूला की जनसंख्या 2.67 लाख थी जो नगर निगम बनाने के लिए काम है। ऐसे में कालका और पिंजौर को पंचकूला नगर निगम से अलग नहीं किया जा सकता। कालका की विधायक रही लतिका शर्मा की मुख्यमंत्री से सिफारिश के बाद कालका और पिंजौर की अलग नगर कौंसिल बनाने की कवायद शुरू हुई थी। 

 

2018 से कोर्ट में था मामला
याची का कहना था कि मामला वर्ष 2018 से कोर्ट में है जिसके चलते पंचकूला जिले के विकास कार्य थमे हुए हैं। इन्हें शुरू करने के लिए नगर निगम पर फैसला लेकर चुनाव करवाने अति आवश्यक हो गया है।.

 

कब क्या हुआ 
-17 मार्च, 2010 को सरकार ने पंचकूला नगर निगम की अधिसूचना जारी की, जिसमें कालका और पिंजौर भी शामिल किए गए थे। 29 अक्तूबर, 2010 को हाईकोर्ट ने अधिसूचना पर रोक लगा दी थी।  
-23 जून, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश खारिज कर दिए थे। 
-फरवरी, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने पंचकूला नगर निगम को मंजूरी दी थी।
-1 दिसम्बर, 2017 को लतिका शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कालका और पिंजौर की अलग नगर कौंसिल बनाने की मांग की थी। 
-8 दिसम्बर, 2017 को पंचकूला नगर निगम के विभाजन के लिए कमेटी का गठन हुआ। इसमें डी.टी.पी., डी.डी.पी.ओ., अकाऊंट ऑफिसर एम.सी., अम्बाला डिवीजन के कमिश्नर, पंचकूला के डी.सी., नगर निगम पंचकूला के कमिश्नर शामिल किए गए थे, जिन्होंने कालका और पिंजौर को पंचकूला नगर निगम से अलग करने की सिफारिश की थी। 
-29 जनवरी, 2018 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कमेटी की सिफारिश पर स्टे लगा दी थी। 
-3 फरवरी, 2020 हाईकोर्ट ने पंचकूला नगर निगम के विभाजन की सिफारिश पर लगी रोक हटाई। 6 माह के भीतर सरकार को फैसला लेकर चुनाव करवाने के आदेश जारी।

 


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pooja verma

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