क्या ट्रैक से बाहर चलने वाले साइकिलिस्ट पर भी कार्रवाई का प्रावधान है : हाईकोर्ट

Tuesday, Oct 16, 2018 - 08:05 AM (IST)

चंडीगढ़(बृजेन्द्र): शहर में साइकिल ट्रैक पर मोटर गाडिय़ों के चलने और उनके चालान से जुड़े मुद्दे के बीच पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एस.एस.पी. (ट्रैफिक  एंड सिक्योरिटी) शशांक आनंद से अहम सवाल किया है कि क्या साइकिल ट्रैक से बाहर जाकर साइकिल चलाने वाले चालकों पर भी कार्रवाई का कोई प्रावधान है। जिस पर एस.एस.पी. को केस की अगली सुनवाई पर जवाब पेश करने को कहा गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि साइकिलिस्ट ट्रैक पर चलेंगे तो मोटरसाइकिल वहां से गुजर ही नहीं पाएंगे। 

वहीं हाईकोर्ट ने एक उदाहरण पेश कर कहा कि दिन के समय भी टू व्हीलर चौक क्रॉस करने के लिए शॉर्ट कट मार साइकिल ट्रैक से गुजर रहे हैं। सुनवाई के दौरान ट्रैफिक पुलिस ने बताया कि रांग साइड, रांग पार्किंग और साइकिल ट्रैक पर टू व्हीलर्स ड्राइविंग के 24 हजार चालान 24 जुलाई से 13 अक्तूबर तक काटे गए हैं। इनमें से 10 हजार साइकिल ट्रैक पर  मोटर ड्राइविंग के हैं। 

वहीं शहरवासियों को साइकिल ट्रैक  के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। पर्याप्त पुलिस फोर्स लगाई गई है। इनके अलावा एन.जी.ओ. व एन.सी.सी. कैडेट्स का भी सहयोग लिया जा रहा है। केस की सुनवाई के दौरान यू.टी. के चीफ इंजीनियर मुकेश आनंद का एफिडेविट भी पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि पूरी तरह साइकिल ट्रैक के निर्माण में 4 महीने लगेंगे।  

कमिश्नर बताएं, सैक्टरों की पार्किंगों में कितने वाहन खड़े करने की मंजूरी
जस्टिस अमोल रतन सिंह ने बीते दो वीकेंड पर सैक्टर-17 मेंं अपने विजिट को लेकर कहा कि यहां फुल पार्किंग में गाडिय़ों के लिए स्पेस न होने के बावजूद कर्मी गाडिय़ां पार्क करवा रहे थे और वाकिंग एरिया तक पर पार्किंग करवा रहे थे। गाडिय़ां भी बेतरतीब लगी थी। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने पार्किंग कांट्रैक्टर को नोटिस जारी किया है और उससे पूछा है कि उल्लंघनाओं को लेकर उसका लाइसैंस कैंसिल क्यों न किया जाए। वहीं निगम कमिश्नर को इस संबंध में एफिडेविट पेश करने को कहा गया है। जिसमें बताए कि सैक्टर 17 की ओपन पार्किंग समेत अन्य सैक्टरों की पार्किंगों में कितने वाहनों को खड़ा करने की मंजूरी है। 

पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं, इसलिए पार्किंग समस्या, ट्रांसपोर्ट सैक्रेटरी से मांगा जवाब 
हाईकोर्ट ने बैंगलुरु की बेहतर ट्रैफिक मैनेजमैंट का उदाहरण पेश करते हुए शहर की ट्रैफिक मैनेजमैंट पर टिप्पणी की। कहा कि यह समझने की जरूरत है कि पार्किंग समस्या इसलिए हो रही है क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है। इसको लेकर ट्रांसपोर्ट सैक्रेटरी को एफीडैविट दायर करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि कई महत्वपूर्ण स्थानों पर आने-जाने के लिए 5-5 मिनट की बस सर्विस की जरूरत है। बड़ी और छोटी(मिनी) बसों की मुख्य सड़कों और सैक्टरों के बीच में आवश्यकता पर हाईकोर्ट ने बल दिया। वह साइकिल पार्किंग के मुद्दे पर भी जवाब देंगे। यह हाईकोर्ट ने उस संदर्भ में कहा जब लोग साइकिलें पर्याप्त संख्या में चलाने लगेंगे।

कमिश्नर को सुझावों पर जवाब देने के आदेश
हाईकोर्ट की एक अन्य बैंच द्वारा मामले में हाईकोर्ट द्वारा मामले में ट्रैफिक एडवाइजर नियुक्ति किए गए नवदीप असीजा की रिसर्च बेस्ड योजनाओं, दस्तावेजों, व सुझावों की कॉपी प्रतिवादी पक्ष को देने के आदेश दिए गए। वहीं निगम कमिश्नर को एफीडैविट पेश कर बताने को कहा है कि उन सुझावों पर क्या विचार किया जा रहा है और यदि नहीं तो क्यों। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कि या कि शहर में ट्रैफिक मैनेजमैंट के लिए हाई डैफिनेशन कैमरा स्थाई प्रबंध है जिसमें टै्रफिक नियमों की उल्लंघना करने वाली गाडिय़ों के नंबर भी नोट हो जाए और ऐसे चालकों पर सख्ती से कार्रवाई हो सके । 


फैस्टीवल सीजन में सैक्टरों में जाम न लगे 
जस्टिस अमोल रतन सिद्धू ने सुनवाई के दौरान कहा कि फैस्टीवल सीजन चल रहा है और शहर के कई भीड़भाड़ वाले सैक्टरों में ट्रैफिक का काफी रश है। इसे लेकर हाईकोर्ट ने एस.एस.पी.(ट्रैफिक एंड सिक्योरिटी) शशांक आनंद को आगे बुला पूछा कि क्या शहर के भीड़भाड़ वाले सैक्टरों में फैस्टीवल सीजन में वन-वे ट्रैफिक करने का कोई विचार है? जिस पर एस.एस.पी. ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार करेंगे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शहर में फैस्टीवल सीजन में सैक्टरों में जाम न लगे। वहीं ट्रैफिक पुलिस को कहा कि पैडेस्ट्रियन पॉथ व अन्य रांग साइड खड़ी गाडिय़ों पर सख्ती से कार्रवाई करें।

रोड बंप्स के मुद्दे पर चीफ आर्कीटैक्ट को फटकार
चीफ आर्कीटैक्चर ने हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों पर रोड बंप्स को लेकर बॉयलॉज पेश किए। बताया कि नियमों के तहत रोड बंप्स होने चाहिए। जिस पर हाईकोर्ट ने फटकारते हुए कहा कि कुछ बिल्डिंग के आगे यह हैं और कुछ के आगे नहीं। नियम असमान क्यों। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी संस्थान में पार्किंग न हो तो लोग गाड़ी कहां पार्क करें। जिस पर एमिक्स क्यूरी ने सुझाव दिया कि संस्थानों में अंडरग्रांऊड पार्किंग भी विकल्प हो सकता है। 

जिस पर हाईकोर्ट ने सहमति जताई व साथ ही कहा कि जब तक यह नहीं बनते तब तक अस्थाई रूप से पार्किंग स्पेस उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि रोड बंप्स वाली जगह का न तो पैडेस्ट्रियन द्वारा इस्तेमाल हो रहा है और न ही वहां साइकिल ट्रैक हैं। इन्हें प्रयोग में लाना चाहिए। हाईकोर्ट ने चीफ आर्कीटैक्चर को आदेश दिए कि अगली सुनवाई पर बताएं कि पार्किंग के लिए रोड बंप्स को क्यों न हटाया जाए।

bhavita joshi

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