मुख्यमंत्री ने किसानों से किया जल संरक्षण का आह्वान

Saturday, Apr 01, 2023 - 09:38 PM (IST)

चंडीगढ़,(पांडेय): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास से ऑडियो कांफ्रैंस के माध्यम से ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ के लाभार्थियों से संवाद करते हुए प्रदेश के लोगों से जल-संरक्षण करने का आह्वान किया। उन्होंने जल संरक्षण में योगदान देने वाले किसानों को ‘अमृत क्रांतिकारी मित्र’ की ‘उपाधि’ देते हुए कहा कि धरती को जलसंकट से बचाने की दिशा में सरकार अनेक कदम उठा रही है, सभी लोगों को भी इसमें साथ देना चाहिए। उन्होंने भूमिगत जल की मानव शरीर में खून से तुलना करते हुए कहा कि धरती पर जीव और प्रकृति के बने रहने के लिए जल अति आवश्यक है।  

 

 

 

उन्होंने जागरूक किसानों द्वारा इस योजना को अपनाकर लाखों गैलन पानी की बचत करने की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान समय में नदियां सूख रही हैं और भूमिगत जल भी समाप्ति की ओर है। हरियाणा में भी भूजल स्तर लगातार गिरने से 36 ब्लॉक डार्क जोन में आ गए हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने भूजल उपलब्धता की ग्रामवार रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्रदेश के कुल 7,287 गांवों में से 3,041 गांव पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। 

 

 


इनमें से 1,948 गांवों में भूजल गंभीर स्तर तक नीचे चला गया है। जल की कमी इसी तरह बढ़ती रही तो अन्न उपजाना तो दूर, पीने के लिए पानी भी नहीं बचेगा और आने वाली पीढिय़ों को भयंकर सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अनूठी योजना  ‘‘मेरा पानी मेरी विरासत’’ का शुभारंभ 6 मई, 2020 को किया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि फसल विविधिकरण करने वाले किसानों को इस योजना के तहत 7,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसानों को यह प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में सीधे बैंक खातों में दी गई है। 
 

 

 

-खरीफ-2022 में, 72,000 एकड़ क्षेत्र में की धान की सीधी बुवाई
मुख्यमंत्री ने बताया कि धान की खेती के लिए सीधे बिजाई करने से भी पानी की 20 से 25 प्रतिशत तक बचत होती है। इसलिए सरकार ने धान की सीधी बिजाई हेतु 4,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया है। उन्होंने उन किसानों का धन्यवाद किया जिन्होंने खरीफ-2022 में, 72,000 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बुवाई करके 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत की। उन किसानों को 29 करोड़ 16 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन खंडों में भूजल स्तर नीचे चला गया है और वहां धान की जगह अन्य फसल उगाने वाले किसान यदि ‘बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली’ को अपनाते हैं, तो उन्हें सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों की स्थापना के लिए 85 प्रतिशत सबसिडी दी जाती है।
 

 

 

 

-गन्ने की खेती के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य भी रखा
मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के हवा में वाष्पीकरण और भूमि में रिसाव को रोकने के लिए ‘भूमिगत पाइपलाइन स्कीम’ के तहत नालों के स्थान पर पाइप लाइनें बिछाई जाती हैं। इस योजना में किसानों को 10,000 रुपये प्रति एकड़, अधिकतम 60,000 रुपए प्रति किसान अनुदान राशि दी जा रही है। इस योजना के तहत अब तक 1957 किसानों को 8 करोड़ 34 लाख रुपए की राशि अनुदान के रूप में दी गई है। सरकार ने अगले 3 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से गन्ने की खेती के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य भी रखा है।
 

 

 

 

‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ से भूमिगत जल होगा रिचार्ज
मुख्यमंत्री ने किसानों को जानकारी दी कि प्रदेश के 14 जिलों के 36 चिह्नित खंडों में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भूजल सुधार के लिए ‘अटल भूजल योजना’ शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ के तहत भी भूमिगत जल स्तर को ऊंचा उठाने पर भी काम चल रहा है। इसके लिए प्रदेश के 8 डार्कजोन घोषित खंडों में 1,000 रिचार्ज कुओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसी प्रकार ,प्रदेश में 86 रेन वाटर हारवेस्टिंग ढांचे बनाये गये हैं। कृष्णावती नदी और मसानी बैराज में रिचार्जिंग के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस ढेसी, प्रधान सचिव वी. उमाशंकर, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा, प्रधान सचिव एवं सूचना, लोकसंपर्क विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल, उपप्रधान सचिव के.एम. पाण्डुरंग, निदेशक नरहरि सिंह बांगड़, भारत भूषण भारती, संयुक्त निदेशक गौरव गुप्ता भी उपस्थित थे।

Ajay Chandigarh

Advertising