भारत के रिश्तों का संकट: जासूस सुरेंद्र जो डिजिटल मोहब्बत के अंधेरे राज़ खोल रहा है

punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 09:57 AM (IST)

चंडीगढ़। जहाँ कभी प्यार की शुरुआत आंखों से होती थी, अब वो अंगूठे की हरकत से होती है। रिश्तों की दुनिया में अब दिल नहीं, डाटा बोलता है। और जब भरोसे की दीवार खिसकती है, तब लोग एक खास शख्स को याद करते हैं सुरेन्द्र सिंह।

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और प्राइवेट डिटेक्टिव सुरेन्द्र सिंह आज के रिश्तों की नई हकीकत को सबसे करीब से देख रहे हैं। पिछले 12 वर्षों में उन्होंने 1,220 से ज़्यादा केस सुलझाए हैं, जिनमें प्यार, धोखा, और डिजिटल जालसाज़ी का मिला-जुला रंग है।

“अब धोखा देना उतना ही आसान हो गया है जितना कि किसी को टेक्स्ट करना,” सुरेन्द्र बताते हैं। “पर सबूत भी उसी फोन में छिपे होते हैं।”

जब प्यार ऑनलाइन हो गया, तो धोखा भी डिजिटल हुआ

आज की रिलेशनशिप्स चैट नोटिफिकेशन से बनती और टूटती हैं। डेटिंग ऐप्स, इंस्टाग्राम डीएम और व्हाट्सएप की ब्लू टिक—इन सबने शक को और गहरा कर दिया है।

सुरेन्द्र बताते हैं, “अक्सर लोग एक असली और एक नकली ज़िंदगी जीते हैं—ऑफलाइन कुछ और, ऑनलाइन कुछ और। हम उन परतों को हटाते हैं जो सच्चाई को छुपा रही होती हैं।”

कई बार तो उनके पास ऐसे मामले आते हैं जहाँ कोई व्यक्ति दो अलग-अलग पहचान के साथ अलग-अलग शहरों में रिश्ते निभा रहा होता है—सिर्फ फोन और इंटरनेट के सहारे।

लॉकडाउन में अकेलापन और धोखे की बढ़ती कहानियाँ

कोविड-19 ने सिर्फ शरीर को नहीं, दिलों को भी दूर किया। लोग भले ही एक ही घर में थे, लेकिन भावनात्मक रूप से अलग हो गए। इसी खालीपन में बहुतों ने सोशल मीडिया पर पुराने दोस्तों, एक्स या अजनबियों से दिल लगाना शुरू किया।

“हमने देखा कि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन अफेयर्स और भावनात्मक धोखे के मामलों में लगभग 40% की बढ़ोतरी हुई,” सुरेन्द्र बताते हैं।

वीडियो कॉल, सीक्रेट चैट्स और अचानक बदलते पासवर्ड—ये सब शक की वजहें बनकर उनके पास लाए जाते हैं।

शादी से पहले अब भरोसे की नहीं, जांच की ज़रूरत

जहाँ पहले प्यार में आंख बंद करके विश्वास किया जाता था, अब शादी से पहले लोग आंख खोलकर हर पहलू की जांच कर रहे हैं। खासकर मेट्रो शहरों में, सुरेन्द्र हर महीने 60–70 प्री-मैरिज वेरिफिकेशन केस संभालते हैं।

इन जांचों में नौकरी, वित्तीय स्थिति, सोशल बिहेवियर, पुराने रिश्ते और आपराधिक पृष्ठभूमि तक की जानकारी शामिल होती है।

“अब ये शक नहीं समझदारी मानी जाती है,” सुरेन्द्र कहते हैं। “कई बार हमने ऐसे राज़ खोले हैं जो अगर समय रहते सामने न आते तो ज़िंदगी तबाह कर सकते थे।”

साइबर अपराध: रिश्तों में छिपा नया खतरा

आज प्यार में धोखा सिर्फ दिल तोड़ता नहीं, बल्कि पहचान भी चुरा सकता है। सुरेन्द्र के पास ऐसे मामले भी आते हैं जहाँ फोटो मॉर्फिंग, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग, और फर्जी प्रोफाइल बनाकर इमोशनल या फाइनेंशियल नुकसान किया गया।

“एक लड़की का केस था जहाँ उसके निजी फोटो एक एक्स-बॉयफ्रेंड ने मॉर्फ करके सोशल मीडिया पर डाले,” वे याद करते हैं। “हमने उसे टेक्निकल और लीगल दोनों तरह से मदद की।”

वे ज़ोर देते हैं कि डिजिटल सुरक्षा अब तकनीकी जानकारी नहीं, आत्म-सुरक्षा का हिस्सा है। खासकर महिलाओं और किशोरों के लिए, पासवर्ड, प्राइवेसी सेटिंग्स और कंटेंट शेयर करने की आदतें बेहद जरूरी हैं।

सिर्फ सबूत नहीं, साथ भी देते हैं

हालाँकि सुरेन्द्र का काम तथ्यों पर आधारित होता है, पर वे जानते हैं कि हर केस एक भावनात्मक कहानी भी होता है। यही वजह है कि वे खुद को सिर्फ एक जासूस नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक भी मानते हैं।

“लोग हमारे पास ग़ुस्से या उलझन में आते हैं, लेकिन जाते हैं सच्चाई के साथ,” वे कहते हैं। “हम सिर्फ उन्हें धोखा नहीं दिखाते हम उन्हें उससे उबरने में मदद भी करते हैं।”

कभी कानूनी सलाह, कभी साइबर क्राइम रिपोर्ट फाइल करने में मदद, या कभी बस एक सहानुभूतिपूर्ण कान—सुरेन्द्र हर केस को इंसानियत के साथ संभालते हैं।

बदलती सोच, बढ़ती समझदारी

कभी जासूस को बुलाना शर्म की बात मानी जाती थी। लेकिन आजकल सुरेन्द्र के पास डॉक्टर्स, वकील, बिज़नेस वुमन और स्टूडेंट्स तक पहुंचते हैं। खासकर महिलाएं अब अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रही हैं।

“अब लोग हमें जासूस नहीं, अपनी डिजिटल और भावनात्मक सुरक्षा के साथी मानते हैं,” सुरेन्द्र बताते हैं।

एक ऐसे दौर में जब धोखा एक अनजान कॉल या एक गुप्त चैट से भी आ सकता है, सुरेन्द्र सिंह जैसे लोग सिर्फ सच्चाई नहीं लाते वे लोगों को अपनी ज़िंदगी का नियंत्रण दोबारा सौंपते हैं।

क्योंकि इस डिजिटल दुनिया में, प्यार भले ही वर्चुअल हो गया हो, पर दर्द आज भी असली है—and sometimes, only the truth can heal.


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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