स्ट्रीट वैंडर्स शब्द का अर्थ निकाला जाए तो पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं बचेगी

punjabkesari.in Thursday, Nov 29, 2018 - 09:14 AM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): द स्ट्रीट वैंडर्स (प्रोटैक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रैगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडिंग) एक्ट 2014 में स्ट्रीट वैंडर्स की परिभाषा को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सुओ मोटो लिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि केंंद्र सरकार द्वारा एक्ट की कानूनी शक्तियों को चुनौती देना जरूरी है, क्योंकि यदि स्ट्रीट वैंडर्स शब्द का अर्थ निकाला जाए तो शहर में पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं बचेगी। 

इस शब्द की परिभाषा को पुन: ड्राफ्ट करने की आवश्यकता पर बल देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि स्ट्रीट वैंडर लोगों को सिर्फ स्ट्रीट्स पर ही सेवा ऑफर नहीं कर सकता बल्कि लेन, साइडवॉक, फुटपॉथ, पेवमेंट, पब्लिक पार्क या किसी अन्य सार्वजनिक स्थल या निजी क्षेत्र पर अस्थाई रूप से बनाए गए ढांचे या एक जगह से दूसरी जगह जाकर(हॉकर, पेडलर) व अड्डा जमा कर भी काम कर सकता है। हाईकोर्ट ने बुधवार को मामले में केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को 18 जनवरी के लिए नोटिस जारी किया है। 

लोगों को फुटपाथ की जगह सड़कों पर चलना पड़ेगा 
हाईकोर्ट ने कहा कि फुटपाथ आदि पर जगह कम होने के चलते लोगों को सड़कों पर चलना पड़ेगा। वहीं इससे ट्रैफिक की समस्या बढ़ेगी और सड़क हादसे भी हो सकते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि चाय की दुकानों में मिलावटी सामान और फ्रू ट वैंडर्स द्वारा सिंथैटिक रंगों का प्रयोग करना, कूड़े के निपटारे की व्यवस्था न होना सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के खिलाफ है। वहीं खुले में लाऊंड्री और शौच करना बीमारियों का कारण बन सकता है। वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि स्ट्रीट वैंडर्स चाइल्ड लेबर की प्रैक्टिस से भी जुड़े हुए हैं। चंडीगढ़ में प्रत्येक वर्ष होने वाले रोज फैस्टीवल का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि प्रशासन और नगर निगम को आदेश दिए जाएं कि वैंडर्स को मेले में खाने-पीने का सामान और अन्य सामग्री बेचने से रोका जाए। मामले में चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी कि स्ट्रीट वैंडर्स को मेले में मंजूरी नहीं दी जाएगी। इसी मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि स्ट्रीट वैंडर्स की परिभाषा को पुन: परिभाषित करने की जरूरत है। 


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bhavita joshi

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