कंपनी बोली: रेट नहीं बढऩे देगा निगम तो जाएंगे कोर्ट

Friday, Mar 23, 2018 - 09:52 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय): शहर में पेड पार्किंग रेट दोबारा बढ़ाने के मामले में पार्किंग ठेका चला रही कंपनी और नगर निगम में ठन गई है। कंपनी कह रही है कि 1 अप्रैल से पार्किंग के रेट फिर बढ़ाए जाएंगे, वहीं मेयर ने कहा है कि रेट में वृद्धि नहीं होने दी जाएगी। 

 

कंपनी का कहना है कि अगर निगम इसमें कोई अड़चन डालता है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। शहरभर में पार्किंग का ठेका संभाल रही मैसर्स आर्य टोल इंफ्रा लिमिटेड के बीच टकराव की स्थिति बनी गई है। कंपनी पेड पार्किंग के रेट बढ़ाने को लेकर पूर्व में हुए करार का हवाला देकर कड़ा रुख अपनाए हुए है। 

 

इतना ही नहीं, कंपनी के प्रोजैक्ट को-आर्डीनेटर संदीप बोरा ने साफ कहा है कि अगर करार के तहत 1 अप्रैल से रेट नहीं बढ़ाए गए तो कंपनी कानूनी विकल्प पर भी सोच रही है। कंपनी ने निगम के रवैये के विपरीत स्मार्ट पार्किंग के सॢटफिकेट और सभी पार्किंग स्थल स्मार्ट होने के दावे किए हैं। 

 

कंपनी अधिकारी का कहना है कि वह तो तय करार के तहत निर्धारित तिथि में बढ़े हुए रेट के अनुसार ही चार्ज करेंगे। कंपनी के इस रुख से आने वालों में दिनों में निगम और कंपनी के बीच टकराव बढ़ भी सकता है। कंपनी ने रेट बढ़ाने को लेकर खुद की अपने स्तर पर आंतरिक बैठक भी बुलाने का फैसला किया है, जिसमें शर्तों की उल्लंघना मानते हुए कानूनी राय भी ली जा सकती है। 

 

कंपनी का यह भी तर्क है कि पैसे चुकाना और रेट बढ़ाया जाना दोनों अलग-अलग चीजे हैं, बकाया पैसा देने से उन्होंने इंकार नहीं किया है। कंपनी के निगम के साथ हुए करार में एक तरह से कहीं न कहीं जनता की जेब पर ही असर पड़ा है। ऐसे में अब निगम और कंपनी आमने-सामने होते दिख रहे हैं। तल्खी ज्यादा बढ़ी तो निगम सदन की आगामी बैठक में इसे लेकर में खासा हंगामा हो सकता है। 

 

वहीं, मेयर देवेश मोदगिल ने सवाल उठाया है कि कंपनी कैसे रेट बढ़ा देगी, जब सुविधाएं स्मार्ट नहीं हुई तो फिर रेट कैसे बढ़ा सकते हैं, पार्किंग स्थल की जमीनें तो निगम के अधीन आती हैं। कंपनी के रवैये को देखते हुए वित्त एवं अनुबंध समिति के फैसले और बैठक का भी क्या औचित्य रह जाएगा, जिसने स्मार्ट पार्किंग को लेकर आ रही जनता को असुविधा और बकाया पैसे की देनदार की समीक्षा के आधार पर पार्किंग के रेट निर्धारित तिथि 1 अप्रैल से नहीं बढ़ाए जाने का फैसला लिया था। इस बैठक में कंपनी के अधिकारियों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई थी। 

Punjab Kesari

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