‘सीवरेज में घुसकर इंसान कर रहे सफाई, क्या यही है स्वच्छ भारत की तस्वीर’

Wednesday, Oct 02, 2019 - 01:34 PM (IST)

चंडीगढ़ (हांडा): यह देश का दुर्भाग्य ही है कि महात्मा गांधी का 150 वर्षों का सपना आज भी साकार नहीं हो पाया, आज भी इंसान सीवरेज के मैनहोल में घुसकर हाथों से सीवरेज की सफाई करता है वो भी बिना लाइफ सेविंग उपकरणों के। क्या यही है गांधी जी के सपनों का भारत और मोदी सरकार के स्वच्छ भारत की तस्वीर। 

 

इसी प्रकार के कई सवाल उठाता एक लेख राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ, जिसमें देश में सीवरेज में काम करने वालों के लिए वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद बने ‘प्रोबेशन ऑफ एप्लॉयमैंट एज मैनुअल स्कवेंजर्स एंड देयर रीहैबिलिटेशन एक्ट’ पर भी सवाल उठाए गए जोकि या तो कई राज्यों  में लागू नहीं हुआ या सही तरीके से इम्लीमैंट नहीं हो रहा, जिसकी वजह से हर माह देश में सीवरेज साफ करते हुए पांच लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं। सीवरेज में काम करने वालों को समाज में शूद्र माना जाता, जोकि कानूनन जुर्म है, लेकिन उसकी सजा का हकदार समाज है 

 

या सरकार? 
समाज देश व सरकारों पर कटाक्ष करते उक्त लेख का संज्ञान लेते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में 
लेते हुए उस पर मंगलवार को सुनवाई की। 


 

चंडीगढ़, पंजाब व हरियाणा को किया तलब
कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ प्रशासन को इस मामले में तलब किया था, जिनसे सीवरेज साफ करने वालों के अधिकारों व संरक्षण संबंधी एक्ट की जानकारी मंगवाई गई थी। पंजाब की और से पेश हुए अधिवक्ता ने कोर्ट को राज्य सरकार की और से प्रोबेशन ऑफ एप्लॉयमेंट एज मैनुअल स्केवेंजर्स एंड डेयर रीहैबिलिटेशन एक्ट 2013 की नोटिफिकेशन पेश करते हुए बताया कि सरकार की और से उक्त एक्ट की अनदेखी करने पर एफ.आई.आर. भी दर्ज हुई है। 


हरियाणा सरकार के अधिवक्ता व चंडीगढ़ प्रशासन की और से पेश हुई केंद्र सरकार की अधिवक्ता ने उक्त एक्ट संबंधी जानकारी एकत्रित करने के लिए एक दिन का समय मांगा जिसे स्वीकार करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस राजीव शर्मा पर आधारित खंडपीठ ने स्वीकार लिया। इस मामले में कोर्ट वीरवार को दिशा-निर्देश जारी करेगी।

pooja verma

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