हॉस्टल बनाने को शिक्षण संस्थानों का एफ.ए.आर. बढ़ाया पर 3 वर्ष से रेट तय नहीं कर पाया प्रशासन

punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2020 - 11:23 AM (IST)

चंडीगढ़(रमेश) : चंडीगढ़ प्रशासन की नालायकी कहें या लापरवाही कि 3 वर्ष में शिक्षण संस्थानों में हॉस्टल बनाने की डिमांड के बाद बढ़ाए गए फ्लोर एरिया रेशो के रेट तय नहीं हो पाए। 

अगर प्रशसन बढ़ाए गए एफ.ए.आर. की एवज में लिए जाने वाले रेट सुनिश्चित कर देता तो सैक्टर-32 जैसी घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लग सकता था। चंडीगढ़ प्रशासन से समय-समय पर शिक्षण संस्थानों की ओर से पत्र लिख कर शिक्षण संस्थानों का फ्लोर एरिया रेशो बढ़ाने की मांग की जाती रही है, जिसके बाद प्रशासक से मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2016 में फ्लोर एरिया रेशो 0.4 से बढ़ाकर 0.5 किया गया था।

शिक्षण संस्थानों ने इसे कम बताते हुए और बढ़ाने की मांग की थी, जिसके बाद 10 अगस्त, 2017 को चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ बिल्डिंग बायलॉज (अर्बन) में संशोधन करते हुए नोटीफिकेशन जारी की थी जिसमें फ्लोर एरिया रेशो 0.5 से बढ़ाकर 0.75 कर दिया गया था। नोटिफिकेशन में स्पष्ट कहा गया था कि उक्त एफ.ए.आर. सिर्फ शिक्षण संस्थानों के लिए बढ़ाया गया, जहां हॉस्टल या खेल गतिविधियों के लिए हाल आदि बनाने की अनुमति होगी।

4 किस्तों में पैसे लेने को कहा मगर कितने यह पता नहीं :
22 जुलाई 2019 को अतिरिक्त सम्पदा सचिव की ओर से चंडीगढ़ के सम्पदा अधिकारी को पत्र  संख्या यू.टी.एफ.आई. (3 ) -2019 /11665 भेजा था, जिसमें प्रशासन के मैमो नंबर 21 /1 /283 यू.टी.एफ.आई. (3) 2018 /7583 24 -05 -2018 का हवाला देते हुए बताया था कि प्रशासक की मंजूरी के बाद बढ़ाए गए एफ.ए.आर. की एवज में स्कूल व कालेज प्रबंधकों से कुल एफ.आई. के तय रेट 4 की किस्तों के रूप में 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर के साथ लेने होंगे। 

अगर कोई संस्थान एकमुश्त फीस देना चाहे तो उसे 15 दिन के भीतर बिना ब्याज के राशि जमा करवानी होगी और अगर चार बराबर किस्तें बनानी है तो 20 प्रतिशत राशि एक सप्ताह के भीतर जमा करवानी होगी और 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा। उक्त पत्र की मार्फत एस्टेट ऑफिसर को जरूरी एक्शन लेने को भी कहा गया था, लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हुआ, क्योंकि कहीं भी एफ.ए.आर. के रेट का जिक्र नहीं था।

रेट इतने थे कि इन्हें नोटिफाई नहीं किया :
सूत्रों के अनुसार प्रशासन ने बढ़ाए गए फ्लोर एरिया रेशो के लिए 3400 रुपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से तय की थी, जोकि बहुत अधिक थी। उदाहरण के लिए अगर सैक्टर-32 के एस.डी. कालेज कुल साढ़े 14 एकड़ में बना है अगर उसका फ्लोर एरिया रेशो .25 प्रतिशत बढ़ जाए तो उन्हें एफ.ए.आर. के बदले कॉलेज प्रशासन को अपनी ही जमीन के एफ.ए.आर. बढ़ाने के लिए करीब 70 करोड़ देना होगा जो कि संभव नहीं है। शिक्षण संस्थानों के संचालकों का कहना है कि इतनी राशि में तो वह चंडीगढ़ के आसपास खुद की जमीन लेकर नया कॉलेज बना सकते हैं। प्रशासन की ओर से रेट पर अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका। 

अभी रेट तय करना मुश्किल :
प्रशासन एफ.ए.आर. के रेट जमीन या संपत्ति के कलैक्टर रेट के तहत सुनिश्चित करता है यानी कि वर्तमान में उस इलाके में बिकी संपत्तियों के आंकलन के बाद। मगर चंडीगढ़ में कोई भी शिक्षण संस्थान बिका ही नहीं, न ही संस्थानों की जमीन की ऑक्शन हुई। सभी संस्थानों को जमीन अलॉट की गई है जिसकी उस वक्त की कीमत का आंकलन कर कलैक्टर रेट नहीं निकाला जा सकता।

रेट तय हो गए होते तो दो हॉस्टल बन जाते :
एस.डी. कालेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष उपकार कृष्ण शर्मा के अनुसार एफ.ए.आर. के रेट तय हुए हैं, ऐसी कोई जानकारी उनके पास नहीं है न ही प्रशासन की ओर से इस तरह की कोई पत्र ही जारी हुआ है। उन्होंने बताया कि अगर एफ.ए.आर. बढ़ाने के रेट तय हो जाते और हमारी रेंज में होते तो अभी तक हमारे कालेज परिसर में दो हॉस्टल बन गए होते। 

उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ में सरकारी हॉस्टल नहीं है न ही सरकारी कालेजों की संख्या बढ़ाई है इसलिए निजी कालेजों में स्टूडैंट्स की भीड़ बढ़ रही है जिनके रहने के लिए जगह नहीं है जिसके चलते मजबूरी में उन्हें मुंह मांगे दामों पर पी.जी. में रहने को विवश होना पड़ रहा है। 

स्थिति यह है कि एस.डी. कालेज की 200 गर्ल्स स्टूडैंट्स को देव समाज कालेज के हॉस्टल में ठहराया गया है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन एफ.ए.आर. के रेट निर्धारित कर दे और वह उनकी पहुंच में हो तो इसी सत्र से कालेज परिसर में दो हॉस्टल्स का निर्माण शुरू करवा दिया जाएगा। 


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Priyanka rana

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