PGI में मासूम को चढ़ाए खून में HIV, हालत चिंताजनक

Saturday, Aug 19, 2017 - 09:11 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमेश): पी.जी.आई. में नवजात बच्चे को चढ़ाए गए रक्त में एच.आई.वी. पॉजिटिव पाया गया है, जिसके बाद से बच्चे की हालत बिगड़ती जा रही है, जोकि जन्म से ही लिवर की बीमारी से ग्रस्त है। बच्चे को मई, 2017 में खून चढ़ाया गया था, जिसके बाद 22 व 27 जून को लिए गए ब्लड सैम्पल का रिजल्ट एच.आई.वी. पॉजिटिव आया, जिसमे संक्रमण की मात्रा 30 प्रतिशत तक है और पॉजिटिव साइलस की संख्या 1584 है। नवजात के मैडीकल रिकार्ड व उसका इलाज कर रहे बाल रोग विभाग के डाक्टरों ने बताया कि जन्म से ही बच्चे के लिवर से पित्ते में जाने वाली आंते नहीं बन पाई थी। 

 

जिसके लिए डाक्टरों ने ऑपरेशन करने का फैसला लिया था, लेकिन पेट चीरने के बाद जब सफलता नहीं मिली तो पेट बिना ऑपरेशन सील दिया गया। कमजोरी के कारण बच्चे को मई, 2017 में खून चढ़ाया गया, जो पी.जी.आई. ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग से ही लिया गया था। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद जब बच्चे के खून की जांच हुई तो सभी चकित रह गए, क्योंकि बच्चे के शरीर में एच.आई.वी. पॉजिटिव पाया गया। रिपोर्ट की सत्यता के लिए दो बार फिर से एच.आई.वी. टैस्ट किया गया पर हर बार रिजल्ट पॉजिटिव ही आया। 


 

पिता डाक्टरों के जवाब से नहीं सुंतुष्ट
बच्चे के पिता धर्मवीर ने डाक्टरों से बच्चे में एच.आई.वी. के कारण जानने चाहे, लेकिन आज तक वह जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। बच्चे का इलाज कर रही सीनियर डाक्टर दीप्ति का कहना है कि हजारों में एक आधा मामला ऐसा सामने आ जाता है, जिसमें मां-बाप एच.आई.वी. नेगेटिव होते हैं, लेकिन बच्चा पॉजिटिव होता है, कारण कई हो सकते हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण संक्रमित ब्लड रहता है। उन्होंने बताया कि एड्स के संक्रमण अगर चार पांच सप्ताह पहले किसी डोनर में गए हों और उसने ब्लड डोनेट किया हो तो उसके रक्त में एच.आई.वी. पॉजिटिव नहीं दिखता, लेकिन वास्तव में वह पॉजिटिव होता है। हो सकता है कि बच्चे को किसी ऐसे ही डोनर का ब्लड चढ़ा दिया हो, लेकिन उसके कोई सबूत नहीं है न ही कन्फर्म हो सकता है।


 

पूरे परिवार का करवाया एच.आई.वी. टैस्ट और डी.एन.ए. 
बच्चे में एच.आई.वी. के बाद पी.जी.आई. के डाक्टर चिंतित थे, जिसके बाद पूरे परिवार का एच.आई.वी. टैस्ट करवाया गया, जिनमें दो मासूम बच्चियां भी थीं। सभी का टैस्ट नेगेटिव आया, जिसके बाद कई तरह के सवाल पूछे गए, यहां तक कि बच्चा पिता धर्मवीर और मां शर्मिला का होने पर भी संदेह जताया गया। संदेह दूर करने के लिए बच्चे का डी.एन.ए. मां-बाप से मिलाया गया, जिसके बाद बच्चा उन्हीं का पाया गया। वहीं जब कार्रवाई की बात आती है तो डाक्टर यही कहते हैं कि इसका कोई सबूत नहीं मिलेगा कि पी.जी.आई. के खून से बच्चे में एच.आई.वी. गया है। डाक्टर यहां तक कह रहे हैं कि अगर पी.जी.आई. में विश्वास नहीं तो किसी दूसरे अस्पताल चले जाओ।


 

ट्रीटमैंट बिगाड़ रहा लिवर 
डाक्टरों के अनुसार बच्चे के लिवर में प्रॉब्लम है, जिसके चलते उसे एच.आई.वी. का ट्रीटमैंट देना कठिन हो रहा है, क्योंकि ए.आर.टी. ट्रीटमैंट देने के बाद लीवर में सूजन आ रही है। दवा बंद करने के बाद लीवर सामान्य होने लगता है, फिलहाल अभी एच.आई.वी. का इलाज नहीं किया जा रहा। डाक्टरों की पहली प्राथमिकता बच्चे के लिवर का इलाज करना है जिसके प्रयास जारी है। चार माह से नहीं बढ़ा वजनपैदा होने के बाद से ही धर्मवीर और शर्मिला का अधिकांश वक्त पी.जी.आई. में ही गुजर रहा है। दिहाड़ी करने वाले धर्मवीर की सारी जमा पूंजी बच्चे के इलाज में खर्च हो चुकी है, लेकिन बच्चे की तबीयत में सुधार नहीं हो रहा। बच्चे का वजन चार माह से नहीं बढ़ा, जो 4 किलो ही रह गया है, जबकि उसकी उम्र 8 माह की हो चुकी है। 

 

इलाज की खातिर शिकायत करने से भी कतरा रहा परिवार 
धर्मवीर व शर्मिला का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि उन्हें बेटे का सुख भोगने को मिलेगा। उनका कहना है कि उनके बच्चे में एच.आई.वी. पी.जी.आई. के खून से ही पहुंचा है, उन्हें पी.जी.आई. स्टाफ ने ही बताया था कि बच्चे को एच.आई.वी. ग्रस्त खून चढ़ाने से उसके भीतर एच.आई.वी. गया है, जो डाक्टर भी मान रहे हैं। धर्मवीर का कहना है कि वह पी.जी.आई. के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना चुका है, लेकिन बच्चे के इलाज के कारण खामोश है। 


 

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