पंजाब ने किया स्वीकार-चंडीगढ़ पर अधिकार नहीं, सिर्फ राजधानी

Thursday, Oct 31, 2019 - 08:44 AM (IST)

चंडीगढ़(रमेश) : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई दौरान पंजाब सरकार ने शपथपत्र देकर स्वीकार किया कि चंडीगढ़ पर कोई अधिकार या हक नहीं है। केवल पंजाब की राजधानी है, इससे अधिक कुछ नहीं। 

वहीं, केंद्र की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने एफिडैविट और वर्ष 1966 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में पारित बिल भी पेश किया, जिसमें स्पष्ट किया था कि चंडीगढ़ केवल पंजाब और हरियाणा की राजधानी रहेगी जबकि दोनों राज्यों का उस पर कोई अधिकार नहीं होगा और यू.टी. ही रहेगा। उक्त प्रस्ताव की अधिसूचना भी जारी हुई थी। 

वर्ष 1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था लेकिन 1966 में शयाम कृष्ण आयोग की सिफारिशों के बाद मनीमाजरा और चंडीगढ़ को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था। नए एक्ट की अधिसूचना में स्पष्ट है कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब और हरियाणा की राजधानी रहेगा, लेकिन दोनों में से किसी का चंडीगढ़ पर अधिकार नहीं रहेगा। 

हरियाणा की ओर से एडवोकेट जनरल ने पिछली तारीख पर कोर्ट में सरकार की ओर से एफिडैविट दाखिल कर चंडीगढ़ पर अधिकार से इन्कार कर दिया था। वहीं, चंडीगढ़ प्रशासन ने भी एफिडैविट दाखिल कर कोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ का खुद ज्यूडिशरी काडर नहीं है, बल्कि पंजाब और हरियाणा काडर से काम चलाया जा रहा है।

फूल सिंह ने उठाया था मुद्दा :
चंडीगढ़ निवासी फूल सिंह अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं, जिन्होंने डिस्ट्रिक्ट जज के लिए आवेदन किया था। वह पंजाब एवं हरियाणा में मैरिट में आते रहे लेकिन दोनों ही राज्य कहते हैं कि वह उनके राज्य का हिस्सा नहीं है। याचिकाकर्ता पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है जिसमें एम.बी.ए. के छात्र, जिन्होंने चंडीगढ़ से 12वीं पास की थी, वो पंजाब में योग्य नहीं माना जाता था। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और पंजाब का हिस्सा है इसलिए वो पंजाब मैडीकल कॉलेज में एडमिशन के लिए योग्य माना जाएगा। आदेश को ग्राऊंड बनाकर ही याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों को जवाब देने को कहा था कि कोई नोटीफिकेशन या कागजात दिखाएं जिससे ये साफ हो सके कि चंडीगढ़, हरियाणा या पंजाब की राजधानी बना हो।

राज्य तय करेंगे आरक्षण की सीमा :
हाईकोर्ट में दाखिल दस्तावेजों के बाद अब स्थिति स्पष्ट हो गई है कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा जिस पर पंजाब या हरियाणा का कोई अधिकार नहीं होगा। दोनों राज्य अपने हिसाब से आरक्षण तय करेंगे। यह कहते हुए कोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया है।

Priyanka rana

Advertising