24 घंटे नहीं खुलता PU का हैल्थ सैंटर, ऑन कॉल बुलाने पड़ते हैं डाक्टर

punjabkesari.in Monday, Oct 23, 2017 - 09:19 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : पंजाब यूनिवर्सिटी के भाई घनैय्या जी इंस्टीच्यूट ऑफ हैल्थ सांइसिज (हैल्थ सैंटर) में 24 घंटे स्वास्थ्य संबंधी सुविधा उपलब्ध नहीं होती हैं। भले ही पी.यू. प्रबंधन लंबे समय से दावा कर रहा है कि हैल्थ सैंटर में 24 घंटे मरीजों को इलाज मिलेगा, लेकिन हैल्थ सैंटर 24 घंटे खुलता भी नहीं है। हैल्थ सैंटर के लिए हर साल करीब 3 करोड़ का बजट रखा जाता है, लेकिन इस बजट से हैल्थ सैंटर में कोई खास सुविधाएं नहीं बढ़ पा रही हैं। 

 

जानकारी के मुताबिक पी.यू. के हैल्थ सैंटर में न तो मरीजों को ग्लूकोज लगाया जाता है और न ही वहां किसी को चोट लगने पर टांके लगाए जाते हैं। कैंपस में छुट्टी का दिन होने पर डाक्टरों को मिलना ओर भी मुश्किल हो जाता है। स्टूडैंट व अन्य मरीजों को डॉक्टरों से इलाज करवाने के लिए उनसे फोन पर संपर्क करना पड़ता है। फोन करने पर स्टूडैंट या कैंपस के  कर्मचारियों को डॉक्टरों को बुलाना पड़ता है। 

 

पी.यू. प्रबंधन ने हैल्थ सैंटर में कांट्रैक्ट पर कई डॉक्टरों की नियुक्ति की है। हैल्थ सैंटर पी.यू. में सुबह और शाम दो समय के  लिए खुलता है। बाकी समय डाक्टर ऑन काल ही मौजूद रहते हैं। हैल्थ सैंटर पर मरीजों का एक्सरा तो कर दिया जाता है, लेकिन अन्य टैस्टों के लिए मरीजों को सैक्टर-16 के अस्पताल या अन्य अस्पतालों में भेज दिया जाता है।  

 

हैल्थ सैंटर का बजट :
पी.यू. के हैल्थ सैंटर के लिए इस बार करीब 3 करोड़ का बजट रखा गया है। इस बजट से 57 लाख रुपए दवाईयों के लिए, डेढ़ लाख रुपए कैमिकल, टैस्टिंग के लिए और 25 हजार रुपए सैमीनार व लैक्चर के लिए रखे गए हैं। इस बजट से 2 करोड़, 41 हजार रुपए  सैंटर पर कार्यरत डाक्टर्स के वेतन और पी.एफ. आदि में चले जाते हैं। 

 

कैंपस के नजदीक है पी.जी.आई. और सैक्टर-16 अस्पताल :
पी.यू. प्रबंधन का कहना है कि कैंपस के पास सैक्टर-16 अस्पताल व पी.जी.आई. होने के कारण इमरजैंसी पडऩे पर मरीजों को वहां पर सभी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं। 

                     

                   पिछले वर्षों में यह रहा बजट 
                     दवाइयां      कैमिकल         कुल बजट (करीब)        
2015-16       54 लाख      नब्बे हजार      2 करोड़, 34 लाख    
2016-17       57 लाख      डेढ़ लाख         2 करोड़, 82 हजार
2017-18       57 लाख      डेढ़ लाख        तीन करोड़, 66 हजार


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