जहां बच्चा बेचारा मां के लाड को तरसे, कुत्ता बैठे गोदी में, घूमे महंगी कारों में तो समझ लेना शहर आ गया

Saturday, Jun 17, 2017 - 06:55 PM (IST)

चंडीगढ़ (संघी): हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘साहित्य में हास्य व्यंग्य का समकालीन परिदृश्य’ विषय पर चर्चा व हास्य व्यंग्य पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन की अध्यक्षता प्रसिद्ध नाटककार डा. वीरेंद्र मेहंदीरत्ता ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय दिल्ली से पधारे। 
व्यंग्यकार दीपक खेतरपाल ने अपनी कविता ‘मुहूर्त’ में कहा, ‘‘नया-नया श्मशान घाट बना था, आज इसका मुहूर्त था, बना हुआ था संशय कि नेता जी खुद आएंगे या लोग उन्हें कंधों पर लाएंगे’। कवि वीरेंद्र ने कहा, ‘जहां बच्चा बेचारा मां के लाड को तरसे, कुत्ता बैठे गोदी में, घूमे महंगी कारों में तो समझ लेना शहर आ गया’। कवि तेजवीर अहलावत ‘वी.आई.पी. कल्चर होग्या देवों के दरबारों में, अंग्रेजी कानून चाहलरे खुद म्हारी सरकारों में’।
अध्यक्षीय भाषण में मेहंदीरत्ता ने कहा कि व्यंग्य ऐसी विधा है जिसमें परते खुलती हैं आज सही मायने में व्यंग्यकार कहीं गुम हो रहा है राजनैतिक पक्ष उस पर हावी है व्यंग्य स्वाधीनता में पनपता है। विशिष्ट अतिथि प्रेम जनमेजय जी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि-कबीर जैसा व्यंग्यकार आज भी कोई और नहीं है। व्यंग्य करना तो आसान है किन्तु व्यंग्य सुनना बेहद मुश्किल होता है। जब विरोध का स्वर मुखरित होता है तो व्यंग्य उत्पन्न होता है। अकादमी निदेशक कुमुद बंसल ने कहा कि ‘व्यंग्य में हास्य का पुट तो होना ही चाहिए किन्तु संदेश भी निहित होना चाहिए जो समाज पर गहरा असर छोड़े। अकादमी उपाध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने कहा कि व्यंग्यकार समाज को सही मानवीय दिशा प्रदान करता है। हास्य व्यंग्य पर चर्चा के बाद हास्य व्यंग्य पर कविताएं भी पढी गई। 
 इस कार्यक्रम में हरियाणा साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका ‘हरिगंधा’ का हास्य-व्यंग्य विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। 

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