हरियाणा की जेलों में खुद के कमाए पैसे खर्च नहीं कर सकते कैदी

punjabkesari.in Monday, May 09, 2022 - 10:17 PM (IST)

चंडीगढ़,(अर्चना सेठी) : हरियाणा की जेलों में बंद कैदियों को खुद के कमाए पैसे खर्च करने का अधिकार नहीं है। कैदी जेल की कैंटीन से वैसे तो एक महीने में 8000 रुपए की खरीदारी कर सकते हैं परंतु यह खरीदारी सिर्फ नाते रिश्तेदारों द्बारा जेल को जमा करवाए पैसों से ही की जा सकती है। जेल में मेहनत मशक्कत से कमाए गए खुद के पैसों को ही कैदी हाथ नहीं लगा सकता है। कैंटीन में कैदियों को मूलभुत सुविधाओं से लेकर खाने पीने की चीजें, बेकरी का सामान, दूध, अंडे, बिस्कुट मिलते हैं। जेल में काम कर कमाए जाने वाले पैसे कैदी को जेल से रिहाई के वक्त ही दिए जाते हैं ताकि कैदी जेल से बाहर जाने के बाद उन पैसों से अपने जीवन यापन के लिए कोई काम शुरू कर सके।

 

कौशल से परिपूर्ण काम भी करते हैं जेल में कैदी
हरियाणा की जेलों में मौजूदा समय में सजायाफ्ता कैदी फर्नीचर बनाने, हस्तशिल्प, चित्रकारी, सिलाई, बुनाई, टैंट निर्माण, बागवानी जैसे काम करते हैं और इन कामों के बदले में कैदियों को मेहनताना दिया जाता है। कैदियों को यह मेहनताना उनके कौशल के अनुरूप तीन वर्गों में दिया जाता है। स्किल वर्कर को 60 रुपए, सेमी स्किल 50 रुपए और अनस्किल वर्कर 40 रुपए दिहाड़ी जेल प्रशासन से अलग अलग वर्ग में दी जाती है। एक कैदी जिसे साल की सजा है या दस साल की कैद वह अपनी मेहनताने की राशि का इस्तेमाल कैद काल के दौरान नहीं कर सकता। जेल प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जेल में कमाए मेहनताने को कैदी के भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाता है ताकि बाहर जाने के बाद कैदी को आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़े और चाहे तो कैदी इस राशि से खुद का व्यापार शुरु कर सके और गलत चीजों से खुद को दूर रखे।

 

 

आयोग की सिफारिश-कैदियों को मिले खुद के कमाए पैसे खर्च करने का अधिकार
हरियाणा मानव अधिकार आयोग पिछले कुछ महीनों से लगातार प्रदेश की जेलों का निरीक्षण कर रहे हैं, आयोग ने निरीक्षण के दौरान पाया कि बहुत से कैदी ऐसे भी जेलों में हैं जिनके सगे संबंधी या नाते रिश्तेदार या तो है नहीं या वे लोग कैदी के अकाऊंट में कोई पैसा जमा नहीं करवाते हैं। आयोग ने जेल प्रशासन से सिफारिश की है कि कैदी जो पैसे जेल में काम करके कमाते हैं उन पैसों के इस्तेमाल का अधिकार कैदियों को दे दिया जाए। आयोग के सदस्य दीप भाटिया का कहना है कि निरीक्षण के दौरान आयोग ने पाया कि जेलों में बहुत से कैदी ऐसे भी हैं जिनके कोई रिश्तेदार या तो है नहीं या फिर वह कैदी के महीने के कैंटीन खर्च के लिए पैसे जमा नहीं करवाते हैं। ऐसे कैदी जेल में जब दूसरे कैदियों को कैंटीन की चीजें खाते देखते हैं तो वह हीन भावना का शिकार होते हैं। अगर कैदी खुद के कमाए पैसे खर्च करेंगे तो उनके दिमाग में साकारात्मक विचार बनेंगे। अच्छी सोच के साथ कैदियों के जीवन में परिवर्तन भी आएगा। दीप भाटिया ने यह भी कहा कि आज समय बदल चुका है जेल में मिलने वाले मेहनताने से कैदियों के लिए नया काम शुरु करना आसान नहीं रहा है ऐसे में जेल में ही अगर कैदियों को अपने कमाए पैसे खर्च करने का अधिकार मिलेगा तो अच्छा होगा।

 

 

एक-एक पैसा कैदी के खाते में होता है जमा
जेल विभाग के आई.जी. जगजीत सिंह का कहना है कि कैदी जेल में काम कर जो पैसा कमाते हैं, उस पैसे को कैदी के ही बैंक के खाते में डाल दिया जाता है। कैदी चाहे जैसे पैसों का उपयोग कर सकता है। पैरोल पर जाकर भी कैदी पैसे खर्च करते हैं और उनके परिवार के सदस्य भी वह पैसा निकालकर कैदी को दे सकते हैं। मेहनताने के एक एक पैसे का हिसाब कैदी के पास होता है।   

 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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