हरियाणा के किसानों का धान की फसल से टूटा मोह

punjabkesari.in Tuesday, Jun 14, 2022 - 09:50 PM (IST)

चंडीगढ़,(अर्चना सेठी): हरियाणा के किसानों का धान से मोह टूटने लगा है। प्रदेश के 74,133 किसान धान की खेती को छोड़ फसल विविधिकरण के साथ जुड़ गए हैं। हरियाणा कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो अब किसानों ने मक्का, कपास, बाजरा, दाल और मूंगफली के अलावा सूरजमुखी के फूलों की खेती करना शुुरू कर दिया है। प्रदेश सरकार धान की बजाय वैकल्पिक फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7,000 रुपए सहायता राशि प्रदान कर रही है। आंकड़े कहते हैं कि वर्ष 2020 और 2021 के दौरान 46,249 हैक्टेयर जमीन पर धान की बजाय दूसरी फसलों की खेती करने पर प्रदेश सरकार ने किसानों को करीब 76 करोड़ रुपए सहायता राशि के तौर पर दिए।  

 


पानी की अधिक गहराई वाली जमीन पर भी हो रहा फसल विविधिकरण
हरियाणा में मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के अंतर्गत फसल विविधिकरण की शुरूआत वर्ष 2020 में की गई थी। हरियाणा के वह ब्लॉक जहां पानी की गहराई 40 मीटर से भी अधिक है, जैसे बबैन, रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, सिरसा, इस्माइलाबाद के किसान भी पहले धान की खेती कर रहे थे, उन किसानों ने भी धान की बजाय दूसरी फसलों की खेतीबाड़ी शुरू कर दी है। भूजल स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए फसल विविधिकरण पर विभाग जोर दे रहा है। जो किसान धान की खेती कर रहे हैं उन्हें डी.एस.आर. तकनीक के अंतर्गत धान की बिजाई के लिए कहा जा रहा है। इस तकनीक के तहत धान की बिजाई सीधे करने के लिए कहा है, क्योंकि धान के पौधों की बिजाई के दौरान 25 प्रतिशत पानी की ज्यादा खपत होती है। 

 


फसल विविधिकरण से जोड़े जा रहे किसान
हरियाणा कृषि विभाग के निदेशक डा. रोहताश सिंह का कहना है कि प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में किसानों को दालों और तिलहनों की खेती के लिए कहा जा रहा है। दालों व तिलहनों की खेती करने वाले किसानों को सरकार 4,000 रुपए प्रति एकड़ की सहायता राशि प्रदान कर रही है। दाल व तिलहनों की 34,245 एकड़ जमीन पर खेती के लिए किसानों को सरकार ने 13.69 करोड़ रुपए वित्तीय सहायता दी है। धान और गेहूं की फसलों की बिजाई के लिए मिट्टी से छीने पोषक तत्वों को वापस हासिल करने के लिए दैंचा की खेती को भी प्रोमोट किया जा रहा है। धैंचा फसल की जड़ें वातावरण से नाइट्रोजन ग्रहण कर मिट्टी को देकर उसकी उर्वरता को बढ़ाती है। 2.92 एकड़ जमीन पर धैंचा की खेती के लिए किसानों को 35000 किं्वटल बीज मुफ्त में बांटे गए हैं।

 

 
बाजरे व मूंगफली की खेती का रखा लक्ष्य
कृषि विभाग ने वर्ष 2022-23 के दौरान बाजरे की खेती 27,375 प्रति एकड़ जमीन पर करने का लक्ष्य रखा है। भिवानी में 3200 एकड़, गुरुग्राम में 1700 एकड़, हिसार में 3000 एकड़, जींद में 2400 एकड़, झज्जर में 2400 एकड़, महेंद्रगढ़ में 4175 एकड़, रेवाड़ी में 3650 एकड़, मेवात में 3250 एकड़, रोहतक में 3000 एकड़, चरखीदादरी में 1600 एकड़ जमीन पर बाजरा उगाने का लक्ष्य रखा गया है। मूंगफली की खेती 1250 एकड़ जमीन पर करने का लक्ष्य रखा है। हिसार में 225 एकड़, सिरसा में 280 एकड़, फतेहाबाद में 300 एकड़, भिवानी में 85 एकड़, झज्जर में 50 एकड़, चरखीदादरी में 50 एकड़, महेंद्रगढ़ में 110 एकड़, रेवाड़ी में 110 एकड़, पंचकूला में 40 एकड़ जमीन पर खेती करने का लक्ष्य है। 

 


वर्ष 2020 और 2021 के दौरान फसल विविधिकरण का ब्यौरा
   फसल- - --------   -जमीन (प्रति हैक्टेयर)
1. मक्का- - - - -- - - --2,602
2. कपास--------------27,998
3. बाजरा--------------4,895
4. दालें----------------582
5. तिलहन--------------154
6. चारा---------------4200
7. सब्जियां-------------4942
8. बंजर भूमि-----------876
   कुल--------------46,249

 

 

गेहूं व धान की लगातार खेती से मिट्टी थक जाती है 
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डा. हरदीप सिंह का कहना है कि धान एक ऐसी फसल है जो बहुत पानी पीती है। प्रदेश के ऐसे इलाके जहां पानी की गहराई बहुत नीचे पहुंच चुकी है वहां भी लोग धान ही बीजते रहते थे। इन दिनों किसान धान की बिजाई शुरू करते हैं, ऐसे किसानों को नई तकनीक से धान की बिजाई के लिए प्रोमोट किया जा रहा है लेकिन आज 74,133 किसानों ने धान को छोड़ दूसरी फसलों की खेती शुरू कर दी है। इन किसानों को सरकार ने 2 सालों में 76 करोड़ रुपए की आॢथक सहायता दी है। लगातार धान व गेहूं की खेती करने पर मिट्टी भी थक जाती है। माटी एसिडिटी का शिकार हो जाती है और उसकी उर्वरता भी कम होने लगती है। ऐसे में फसल विविधिकरण जरूरी है, ताकि मिट्टी की उर्वरता बची रहे। प्रदेश के 12 जिले ऐसे हैं जहां के 50 प्रतिशत किसान धान की खेती करते हैं, उन्हें दूसरी फसलों के प्रति प्रोमोट किया जा रहा है। धैंचा की खेती के लिए भी सरकार ने योजना शुरू की है। किसानों को धैंचा के बीच मुफ्त में बांटे गए हैं। धैंचा मिट्टी के लिए उर्वरता बनाने का काम करता है। 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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