GMCH-32 में ऑटिज्म व डाऊन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों के लिए स्पैशल क्लीनिक शुरू

punjabkesari.in Monday, Apr 17, 2017 - 10:43 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : जी.एम.सी.एच. सैक्टर-32 अस्पताल में आटिज्म से प्रभावित बच्चों के इलाज के लिए एक स्पेशल क्लीनिक की शुरुआत की गई है। ऑटिज्म एक बेहद मुश्किल डिसऑर्डर है जो सामान्य तौर पर जिंदगी के पहले तीन वर्ष के दौरान सामने आता है। यह न्यूरोलॉजिकल प्रक्रियाओं का परिणाम है जो दिमाग की सामान्य कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। ऑटिज्म में सामाजिक मेलजोल और आपसी बातचीत के कौशल संबंधित क्षेत्रों में विकास पर प्रभाव पड़ता है। 

 

जी.एम.सी.एच.-32 अस्पताल के साइकैट्रिक विभाग के एच.ओ.डी. डा. चवन की मानें तो इस क्लीनिक के शुरू होने से ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस क्लीनिक में कई एक्सपर्ट डाक्टर्स इन बच्चों को ट्रीटमैंट देंगे। इससे पहले शहर में इन बच्चों के लिए गवर्नमैंट रीहेबलीटेशन इस्टीट्यूट फॉर इंटलैक्चुअल डिसएबीलिटीज (ग्रिड) में रोजाना ओ.पी.डी. चलती है। डा. चवन ने बताया कि ग्रिड में पहले फिलहाल ऑटिज्म से प्रभावित 242 बच्चों का डाटा बैंक है, जिन्हें नियमित तौर पर मैडीकल केयर और ट्रेनिंग प्रदान की जा रही है। 

 

डाऊन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों के लिए भी इलाज :
ऑटिज्म के साथ ही जी.एम.सी.एच. में डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए भी 6 स्पेशल क्लीनिक की शुरुआत हो गई है। क्लीनिक में आने वाले सभी मरीजों की फ्री जांच और सर्जीकल और मैडीकल प्रबंधन भी दिया जाएगा। सैक्टर 32 अस्पताल में वर्ष 2007 से डाऊन सिंड्रोम की स्क्रीनिंग शुरू की गई है। 

 

ग्रिड (गर्वनमैंट रीहैबलिएटेशन इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटीज) के संयुक्त निदेशक डा. बी.एस. चवन ने बताया कि उनके पास 280 से ज्यादा डाऊन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे ग्रिड में दाखिल हैं। इनकी पहचान ग्रिड द्वारा लगाए जाने वाले नियमित साप्ताहिक डाऊन सिंड्रोम क्लीनिक के माध्यम से की गई है। डा. चवन की माने तो डाऊन सिंड्रोम, नवजात बच्चों में पाया जाने वाला सबसे आम अनुवांशिक विकार है जो क्रोमोजोम असमानता के कारण होता है। 

 

आम लोग अक्सर इसको मानसिक रोगों के साथ जोड़ लेते हैं और डाऊन सिंड्रोम को बौद्धिक दिव्यांगता के साथ जोड़ा जाता है। अक्सर इस बारे में विशेषज्ञों से बात करने की बजाए इसे नजरअंदाज किया जाता है। साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने के लिए ग्रिड लगातार काम कर रहा है। 


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