GMCH-32 में 24 दिन बाद भी अधूरी दवाओं के अवैध धंधे की जांच

Friday, Nov 17, 2017 - 09:05 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 में चलने वाले दवाओं के अवैध धंधे की जांच 24 दिन बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। जांच के लिए गठित बोर्ड को हॉस्पिटल प्रबंधन ने 7 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था। 

 

सूत्रों की मानें तो जांच बोर्ड की एक बैठक के बाद दूसरी बैठक नहीं हो सकी, क्योंकि हॉस्पिटल को जांच में न तो पुलिस की मदद मिल रही है और न ही स्वास्थ्य विभाग ही सहयोग दे रहा है। 

 

जांच बोर्ड के अध्यक्ष प्रो.हरीश दासारी मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस और ड्रग कंट्रोलर से उन दवाओं की लिस्ट मांग चुके हैं जो मामले में सस्पैंड नर्स वारिस की कार से बरामद हुई थी, परंतु पुलिस लिस्ट नहीं सौंप रही है। उधर, ड्रग कंट्रोलर ने कार से बरामद दवाओं की लिस्ट पुलिस को तो सौंप दी थी, परंतु बोर्ड को यह लिस्ट सौंपने में असमर्थता जताई है। 

 

50 फीसदी कम दाम का देते हैं लालच :
एक तरफ मामले की जांच सही मायनों में शुरू नहीं हो सकी है दूसरी तरफ ई.एन.टी. विभाग के पेशैंट्स को बाहर की कैमिस्ट शॉप्स के कारिंदों ने ठगना शुरू कर दिया है। 

 

ई.एन.टी. के पेशैंट्स जिन्हें सर्जरी के लिए वार्ड में भर्ती किया जाता है उन्हें अवैध धंधा करने वाले कारिंदे फोन कर लालच देते हैं कि वह हॉस्पिटल के अंदर की कैमिस्ट शॉप के दाम के मुकाबले 50 फीसदी कम दाम पर सर्जरी का सामान बेचेंगे। कारिंदों का संंबंध अंदर तक है और वह यह भी जानते हैं कि हॉस्पिटल के डाक्टर किस कंपनी का सामान पेशैंट को लिखेंगे और पेशैंट को सर्जरी के सामान की लिस्ट दोपहर 3 से 4 बजे के बीच सौंपी जाएगी। 

 

‘पंजाब केसरी’ के पास वो ऑडियो रिकार्डिंग भी है जिसमें कारिंदा नाक की हड्डी की सर्जरी के लिए 50 फीसदी कम दाम पर सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को बेचने की बात कह रहा है। मोबाइल नंबर 9779996230 ई.एन.टी. के पेशैंट्स को वार्ड का ही स्टाफ सरकुलेट कर रहा है और पेशैंट्स को सामान खरीदने के लिए कहीं दूर भी नहीं जाना पड़ रहा। 

 

नर्स ने ड्रग कंट्रोलर के कहने पर भी नहीं दिए बिल :
ड्रग कंट्रोलर जसबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने नर्स की कार से जो भी सामान पकड़ा था, उनमें ज्यादातर चीजें सर्जरी से संबंधित थीं। उन सबकी उन्होंने तीन लिस्ट तैयार की थी। एक लिस्ट उन्होंने डायरैक्टर हैल्थ सर्विस, दूसरी लिस्ट पुलिस और तीसरी लिस्ट ड्रग कंट्रोल डिपार्टमैंट के पास है। लिस्ट में दवाओं और सर्जिकल उपकरण के नाम और बैच नंबर भी हैं। 

 

ड्रग कंट्रोलर का कहना है कि नर्स का कहना था कि कार में रखा सामान उसके पिता जी की पी.जी.आई. की दुकान से संबंधित है, परंतु यह बात तब ही पुख्ता हो सकती थी जब सामान के बिल नर्स दिखा पाता, परंतु आज तक नर्स ने कार से मिली एक भी दवा या उपकरण का बिल नहीं दिखाया है हालांकि नर्स को इस बात नोटिस भी दिया जा चुका है कि वह सामान के बिल जमा करवाए। 

 

जांच बोर्ड की तरह ड्रग कंट्रोल डिपार्टमैंट भी जांच कर रहा है जो नर्स की वजह से पूरी नहीं हो सकी है। रही बात डॉ. दासारी जांच बोर्ड को लिस्ट देने की तो वह सिर्फ डायरैक्टर हैल्थ सर्विस के निर्देशों पर ही बोर्ड को दी जा सकती है उससे पहले नहीं।

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