GMCH-32 का प्रबंधन होता जा रहा रामभरोसे, मरीजों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

Thursday, Oct 12, 2017 - 09:15 AM (IST)

चंडीगढ़(ब्यूरो) : मैडीकल कालेज व अस्पताल सैक्टर-32 का प्रबंधन रामभरोसे होता जा रहा है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा ही नजारा इन दिनों देखा जा सकता है बी ब्लॉक की दूसरी मंजिल पर चल रहे रेडियो थैरेपी ओ.पी.डी. में जहां मरीजों की ओ.पी.डी. के बीच दो कमरों में ब्लड कलैक्शन सैंटर चल रहा है। ओ.पी.डी. में आने वाले कैंसर ग्रस्त मरीजों को बैठने तक की जगह नहीं मिलती, क्योंकि वहां लम्बी कतारों के चलते खड़े तक होने की जगह नहीं है। 

 

गौरतलब है कि एक वर्ष पहले अस्पताल प्रबंधन ने रैनोवेशन की बात कहकर रेडियो थैरेपी ओ.पी.डी. में ब्लड कलैक्शन सैंटर अस्थाई रूप से शिफ्ट किया था लेकिन एक वर्ष बीत गया वह टैम्परैरी समय समाप्त ही नहीं हुआ। आज भी अस्पताल की ओ.पी.डी. के तमाम सैंपल टैम्परैरी कलैक्शन सैंटर में ही लिए जा रहे हैं, जिनमें हैमेटोलॉजी, पैथालॉजी, बायोकैमिस्ट्री टैस्ट शामिल हैं।  

 

ब्लड सैंपल लेकर आए लोग भटकते रहे : 
पहले ब्लड कलैक्शन सैंटर बी ब्लॉक की ग्राऊंड फ्लोर पर पर था, लेकिन सैंटर को रैनोवेट करने के चलते कलैक्शन सैंटर दूसरे तल पर रेडिओ थैरेपी ओ.पी.डी. में अस्थाई रूप से शिफ्ट किया गया था। जांच करने पर पाया कि स्थाई ब्लड कलैक्शन सैंटर को रैनोवेट हुए भी 8 माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी वहां सैंपल नहीं लिए जा रहे। दौरा किया तो पाया की रैनोवेट  हुए ब्लड कलैक्शन सैंटर में ताला जड़ा हुआ था। 

 

हैरानी तो तब हुई जब वहां ब्लड सैंपल लेकर आए लोग यहां-वहां भटकते देखे गए, जिन्हें आज भी ग्राऊंड फ्लोर पर ही सैंपल देने भेजा जा रहा था। बिमला अपने पति के ब्लड सैंपल देने आई थी, जिसकी पर्ची पर ग्राऊंड फ्लोर का ही जिक्र किया हुआ था। 

 

शमशेर सिंह अपने बेटे के सैंपल लेकर जांच के लिए देने के लिए खड़ा था, जिसे बताने वाला कोई नहीं था कि यहां रैनोवेशन के चलते सैंपल नहीं लिए जा रहे, दूसरे तल पर लिए जा रहे हैं, उसे भी हमने ही सही रास्ता दिखाया। वहीं रेडिओ थैरेपी ओ.पी.डी. में आए प्रदुमन सिंह ने बताया कि बेटी को दिखाने आए हैं, लेकिन जगह नहीं मिल पाने के चलते बेटी को दूसरे विभाग में बिठाकर आया हूं। डाक्टर आवाज देंगे तो बुला लाऊंगा। 

 

इलाज चल रहा तो खुलकर बोलने को कोई नहीं तैयार : 
विमल हुंदल भी मरीज के साथ आए हुए थे और एक घंटे से मरीज के साथ खड़े होकर नंबर का इंतजार कर रहे थे, जिनका कहना था कि दमघोंटू माहौल में मरीज को बेचैनी हो रही है, लेकिन यहां ब्लड देने वालों ने कब्जा जमाया हुआ है। मरीज को बैठने तक की जगह नहीं मिल रही। कई लोगों ने ओ.पी.डी. में ब्लड सैम्पल लिए जाने का विरोध तो किया लेकिन खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं हुआ क्योंकि इलाज जो चल रहा है। 

 

जरूरी सामान पहुंचते ही कलैक्शन सैंटर खोल दिया जाएगा :
तमाम पहलुओं पर जांच करने के बाद जब बायोकैमिस्ट्री विभाग की प्रमुख डाक्टर जसविंदर कौर से बात हुई तो उन्होंने बताया कि रैनोवेशन तो हो चुकी है लेकिन अभी जरूरी सामान नहीं पहुंचा है, जैसे ही पहुंचेगा कलैक्शन सैंटर खोल दिया जाएगा। 

 

सवाल यहां भी पैदा हुआ कि अगर ब्लड कलैक्शन सैंटर के लिए जरूरी सामान नहीं है तो दूसरे तल पर लिए जा रहे ब्लड सैंपल कैसे लिए जा रहे हैं और जो उपकरण व सामान पहले कलैक्शन सैंटर में था वो कहां गया। इंजीनियरिंग विभाग से बात हुई तो पता चला कि रैनोवेशन के बाद ब्लड कलैक्शन सैंटर की चाबी डाक्टर जसविंदर कौर को सौंप दी गई है, जोकि कलैक्शन सैंटर रैनोवेशन कमेटी की भी मुख्य सदस्य भी हैं। 


 

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