GMCH-32 में करोड़ों का कंडम सामान नहीं लगाया ठिकाने

Tuesday, Oct 03, 2017 - 11:51 AM (IST)

चंडीगढ़ (अर्चना) : गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 ने सालों से करोड़ों रुपए का सामान ठिकाने नहीं लगाया गया है। हॉस्पिटल के विभिन्न विभागों में ऐसे कई उपकरण और सामान एकत्रित हो चुका है जिसकी ऑक्शन होने के बाद हॉस्पिटल को वित्तीय लाभ मिल सकता था। हॉस्पिटल ने करोड़ों रुपए के सामान के खराब हो जाने के बाद उस सामान को बेचने की तरफ ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से हॉस्पिटल को 3.30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 

 

हॉस्पिटल में हाल ही में किए गए ऑडिट के बाद खुलासा हुआ है कि हॉस्पिटल की लापरवाही की वजह से महंगा सामान न सिर्फ अस्पताल का वित्तीय नुकसान कर रहा है बल्कि वह जगह भी ब्लॉक कर रहा है जहां कीमती सामान को रखा गया है। हॉस्पिटल प्रबंधन से सवाल किया गया है कि पिछले कई सालों से हॉस्पिटल में रखे गए खराब सामान को ठिकाने क्यों नहीं लगाया गया है? 

 

यह कहती है रिपोर्ट
ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने विभिन्न विभागों में पड़े कबाड़ के सामान को ठिकाने लगाने के लिए किसी तरह के नियम का पालन नहीं किया है। विभागों में पड़ा सामान खराब हो रहा है जिसकी वजह से उनकी कीमत भी घटती जा रही है जबकि हॉस्पिटल कबाड़ के इसी सामान की वजह से वित्तीय लाभ उठा सकता था। बेकार सामान की रिपोर्ट जीएफआर17 फार्म में बननी चाहिए। जीएफआर रूल 201 के अंतर्गत हॉस्पिटल का जो भी सामान बेकार किया गया है उसका एक सेल अकाउंट भी जीएफआर18 रुल्स के अंतर्गत बनाया जाना चाहिए। 

 

नियम यह भी कहते हैं कि जिस अधिकारी के नेतृत्व में ऑक्शन की जानी है उसकी निगरानी में बेकार सामान की रिपोर्ट तैयार होनी चाहिए। हॉस्पिटल प्रबंधन ने बेकार सामान को ठिकाने लगाने के लिए किन्हीं नियमों का पालन नहीं किया है। रिपोर्ट कहती है कि हॉस्पिटल के विभिन्न विभागों में किए गए निरीक्षण के दौरान ऐसे बहुत से उपकरण मिले हैं जो सालों से खराब और बेकार पड़े हुए हैं। 

 

यह उपकरण किसी एक विभाग से संबंधित नहीं है बल्कि हॉस्पिटल के लगभग सारे विभागों का यही हाल है। हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही की वजह से इन उपकरणों को समय पर ठिकाने क्यों नहीं लगाया गया। अगर सामान को ठिकाने लगा दिया जाता तो खराब हुए उपकरणों की हॉस्पिटल को ज्यादा  कीमत मिल सकती थी। सिर्फ इतना ही नहीं खराब उपकरणों के विभागों में पड़े होने की वजह से विभागों की उस जगह का इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है जहां कबाड़ का यह सामान रखा गया है। 


 

दो कमेटियां देती हैं खराब उपकरणों को कबाड़ का नाम
उधर, सूत्रों का कहना है कि हॉस्पिटल के विभिन्न विभागों में पड़ा ऐसा बेकार सामान जिसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है उसको कबाड़ की संज्ञा देने के लिए दो कमेटियों का गठन किया जाता है। जूनियर कमेटी पहले ऐसे सामान की पहचान करती है जिसको ठीक नहीं किया जा सकता है और सीनियर कमेटी उस बेकार सामान को कबाड़ का नाम देती है। उसके बाद उस सामान को बेचने के लिए ऑक्शन की जाती है और उस सामान को कबाड़ में बेच दिया जाता है। कबाड़ को समय पर बेचे न जाने पर सामान की हालत इतना खस्त हो सकती है जिसे कबाड़ में भी काम नहीं लिया जा सकता। 


 

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