वर्षों से नहीं बढ़ा डंपिंग ग्राऊंड का दायरा गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट भी बंद
Monday, Jan 28, 2019 - 09:48 AM (IST)
चंडीगढ़(हांडा): चंडीगढ़ से एकत्रित गारबेज को ठिकाने लगाने के लिए 30 वर्ष पहले डड्डूमाजरा में 45 एकड़ में डंपिंग ग्राऊंड बनाया गया था। तब से शहर की आबादी चार गुना बढ़ चुकी है, लेकिन डंपिंग ग्राऊंड का दायरा नहीं बढ़ा जिस कारण डंपिंग ग्राऊंड ओवरफ्लो होने के कारण डंपिंग साइट में धुएं से निकल रही टॉक्सिक कई बीमारियां पैदा कर रही है। वहीं, पानी का ग्राऊंड लेवल भी दूषित हो रहा है। डंपिंग ग्राऊंड से निकल रही जहरीली गैस आसपास रहने वालों के फेफड़ों पर असर डाल रही है जिस कारण हर परिवार में सांस का रोगी है। आस पास की जमीन की उपजाऊ मात्रा कम होती जा रही है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एन.जी.ओ. युवसत्ता ने जनहित याचिका दाखिल कर चंडीगढ़ में वेस्ट मैनेजमैंट का न होना, डंपिंग ग्राऊंड की एन्वायरमैंटल प्रोटैक्शन न होना और बैन के बावजूद प्लास्टिक व उत्पादों की बिक्री जैसे मुद्दे उठाए हैं। याचिका में कहा है कि डंपिंग ग्राऊंड में आने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए गारबेज प्रोसैसिंग यूनिट स्थापित किया था, जो बंद हो गया है। वर्ष 2002 में नगर निगम ने सहज सफाई केंद्र और सहज खाद केंद्र स्थापित किए थे, लेकिन वह भी अब मिनी गारबेज सैंटर बनकर रह गए हैं। कचरे का सैग्रिगेशन भी नहीं हो रहा, यह मुद्दा भी याचिका का हिस्सा है। चंडीगढ़ प्रशासन ने समय-समय पर प्लास्टिक बैग्स, अन्य उत्पादों व वन टाइम यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स की बिक्री व प्रयोग पर रोक संबंधी कई नोटीफिकेशन जारी की, पर अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
कचरे का ब्यौरा दिया
याचिका में चंडीगढ़ में हर दिन निकलने वाले कचरे व प्लास्टिक वेस्ट का भी विस्तृत विवरण दिया है। बताया गया कि डंपिंग ग्राऊंड में रोज लगभग 400 मीट्रिक टन वेस्ट गिराया जा रहा है जिसमें 30 प्रतिशत के आसपास प्लास्टिक वेस्ट शामिल है जिसे समय रहते ठिकाने नहीं लगाया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। चीफ जस्टिस ने याचिका स्वीकार करते हुए गंभीर मसला बताया और चंडीगढ़ प्रशासन व नगर निगम कमिश्नर को अगली सुनवाई 5 फरवरी से पहले जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।