अगले छह सप्ताह में निगम के हवाले कर दिया जाएगा प्लांट

Wednesday, Aug 31, 2016 - 09:39 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय) : चंडीगढ़ के डड्डूमाजरा में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड द्वारा स्थापित ग्रीन टेक प्रोसैसिंग प्लांट (गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट) अगले 6 सप्ताह में चंडीगढ़ नगर निगम के हवाले कर दिया जाएगा। आज दिल्ली में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ नगर निगम व प्लांट प्रबंधकों के बीच हुए समझौते के तहत अगले 6 सप्ताह में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड निगम को यह प्लांट सौंप देगा। जानकारी के अनुसार ट्रिब्यूनल द्वारा आज दिए गए आदेशों के तहत निगम व कंपनी की सहमति से मूल्यांकनकर्ता तैनात किए जाएंगे, जो प्लांट में लगी मशीनरी का मूल्यांकन करेंगे। इसके बाद निगम वह राशि प्लांट को अदा करेगा व प्लांट का प्रबंधन अपने हाथ में ले लेगा। 

 

ली जा सकती हैं कंपनी की सेवाएं :

मेयर का कहना था कि मूल्यांकनकर्ता की तैनाती दोनों पार्टियों की आपसी सहमति से होगी। इसके लिए किसी कंपनी की सेवाएं ली जा सकती हैं। उनका कहना था कि ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान निगम ने कंपनी को टिप्पिंग शुल्क देने से इंकार कर दिया, जिसके जवाब में कंपनी ने स्पष्ट कर दिया कि वह इन परिस्थितियों में प्लांट चलाने की स्थिति में नहीं हैं। इसके बाद दोनों पक्षों की सहमति के बाद ट्रिब्यूनल ने मामला निपटाने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है।

 

यह है मामला :

इस प्लांट की स्थापना के लिए 10 एकड़ भूमि निगम ने दी थी, जिस पर प्लांट स्थापित करने का खर्च जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड द्वारा किया गया था। वर्ष 2005 में स्थापित गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट की क्षमता लगभग 545 टन है। चंडीगढ़ नगर निगम प्लांट में प्रतिदिन 250-300 टन कचरा ही दे पा रहा है। कुछ माह पूर्व शिमला में ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार शिमला से 60 टन, सोलन से 15 टन व बद्दी से लगभग 20 टन कचरा प्रतिदिन प्रोसैसिंग के लिए चंडीगढ़ आ रहा है। गत वर्ष से प्लांट प्रबंधन ने नगर निगम को अनेक पत्र लिखकर चेताया था कि अगर निगम ने उन्हें टिप्पिंग शुल्क अदा करना आरंभ नहीं किया तो वह प्लांट बंद कर देंगे। बीच में कुछ दिनों के लिए प्लांट बंद भी रखा गया। फिर ट्रिब्यूनल के आदेशों पर प्लांट को चालू तो किया गया पर टिप्पिंग  शुल्क का मामला ट्रिब्यूनल में लंबित रहा। 

 

आज दिल्ली में सुनवाई के दौरान निगम व प्लांट प्रबंधन में प्लांट निगम के हवाले करने का निर्णय लिया गया। प्लांट प्रबंधन निगम से 1000 रुपए प्रति टन की दर से टिप्पिंग शुल्क मांग रहे थे। न केवल निगम अधिकारियों ने अपितु पार्षदों ने निगम सदन में भी उक्त शुल्क देने से इंकार कर दिया था। जबकि शिमला नगर निगम ने यह शुल्क देना आरंभ कर दिया था। प्लांट प्रबंधन की दलील थी कि वह शहर के कचरे के निष्पादन पर प्रतिमाह लगभग 50 लाख रुपए व्यय कर रहा है लेकिन अब उसकी वित्तीय स्थिति ऐसी है कि वह बिना टिप्पिंग शुल्क के प्लांट नहीं चला सकते। सूत्रों के अनुसार निगम जय प्रकाश एसोसिएट्स से प्लांट का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा व फिर इसे चलाने के लिए पुन: किसी निजी कंपनी को सौंपेगा। पिछले दिनों मेयर व निगमायुक्त इस संबंध में उत्तर प्रदेश में बाराबंकी में ऐसे ही एक प्लांट का निरीक्षण भी करने गए थे।

 
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