PGI अपने कचरे से खुद बनाएगा कम्पोस्ट

punjabkesari.in Tuesday, Apr 10, 2018 - 10:41 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो आने वाले दिनों में पी.जी.आई. संस्थान में खुद का कम्पोस्ट प्लांट लगाएगा। पी.जी.आई. प्रशासन इस योजना पर काफी वक्त से विचार कर रह था। 

7 मार्च को निरी (नैशनल एन्वायर्नमैंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट) के साइंटिस्टों ने पी.जी.आई. का दौरा किया था। अगले दो हफ्ते तक साइंटिस्ट अपनी रिपोर्ट संस्थान को सौंप देंगे। पी.जी.आई. हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन प्लांट लगाने को लेकर काफी पॉजीटिव है। 

हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर डा. पंकज अरोड़ा की मानें तो सभी जरूरी चीजों की जांच कर ली गई है। विभाग लगातार साइंटिस्टों के संपर्क में है। उम्मीद है कि जल्द ही इस प्रोजैक्ट पर काम शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पी.जी.आई. स्कूल ऑफ नर्सिंग (नाइन) के पास वाली जगह पर इस प्लांट को लगाने के लिए चुना गया है। 

प्लांट में तैयार होने वाली खाद का इस्तेमाल पी.जी.आई. नर्सरी के साथ ही दूसरे विभागों में केयरी व गमलों में किया जाएगा। अभी तक बाहर से ही खाद मंगवाई जाती रही है अगर प्लांट संस्थान में लगता है तो इससे बाहर खर्च होने वाला पैसा भी बचाया जा सकेगा। 

40 लाख की आएगी लागत :
पी.जी.आई. में अस्पताल व कैंपस से रोजाना 5 हजार किलोग्राम सॉलिड वैस्ट मैटेरियल पैदा होता है। इसे डिस्पोज करने के लिए संस्थान को रोजाना 4 ट्रक बाहर भेजने पड़ते हैं। पी.जी.आई. का वैस्ट मैटीरियल डड्डूमाजरा स्थित प्लांट में डिस्पोज किया जाता है। 

विभाग की माने तो कई बार सारा कचरा अस्पताल से बाहर नहीं जा पाता है ऐसे में अगर संस्थान का खुद का प्लांट को होगा तो इस दिक्कत का भी सामना नहीं करना पड़ेगा। डा. अरोड़ा ने बताया कि प्लांट पर 35 से 40 लाख रुपए का खर्च आने की संभावना है। 

फिलहाल अस्पताल में कम्पोस्ट तैयार करने के लिए एक छोटा प्लांट है लेकिन उसकी क्षमता बहुत ही कम है। वह पी.जी.आई. द्वारा पैदा किए जाने वाले कचरे को डिस्पोज नहीं कर सकता। वहीं, नया प्लांट अपग्रेडेड तो होगा ही साथ ही उसकी क्षमता काफी बड़ी होगी। 


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