PGI और सैक्टर-32 अस्पताल में जमा होने लगा कचरा

punjabkesari.in Thursday, Jul 25, 2019 - 03:19 PM (IST)

चंडीगढ़(राय) : शहर के एकमात्र ग्रीन टेक गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट के मिनी डंपिंग ग्राऊंड में तबदील होने, डंपिंग ग्राऊंड में कचरे के पहाड़ बनने और सहज सफाई केंद्रों में हजारों टन कचरा जमा होने से शहर में कभी भी महामारी फैल सकती है। अब हालात यह है कि गारबेज प्लांट द्वारा कचरा न लिए जाने के चलते शहर के प्रमुख अस्पताल पी.जी.आई. व सैक्टर-32 में भी कचरा जमा होना शुरू हो गया है।

उल्लेखनीय है कि शहर के प्रमुख अस्पतालों से बायोमैडीकल वेस्ट के अतिरिक्त अन्य सारा कचरा गारबेज प्लांट में ही जा रहा था। पिछले दिनों प्लांट प्रबंधकों द्वारा पी.जी.आई. से भेजा गया बायोमैडीकल वेस्ट पकड़े जाने के बाद से अस्पतालों का कचरा लेना बंद किया गया है और पी.जी.आई. को नोटिस भी भेजा गया है। अस्पतालों में बायोमैडीकल वेस्ट के लिए अपने इंसीनेटर लगे हैं। गारबेज प्लांट में यह कचरा नहीं भेजा जाता। 

गारबेज प्लांट के भीतर हालात बदतर :
इन दिनों गारबेज प्लांट के भीतर जो हालात हैं, वह शहर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। प्लांट के आसपास के सैक्टरों में रह रहे लोगों के लिए डंपिंग ग्राऊंड से उठने वाली बदबू ने मुसीबत खड़ी की थी अब गारबेज प्लांट के भीतर जमा कचरे से भी बदबू फैल रही है। 

सूत्रों के अनुसार प्लांट के भीतर हालात यह है कि वहां एक प्रोकलेन स्थाई रूप से खड़ी कर दी गई है और वहां आने वाले कचरे को उसकी सहायता से ढेर पर चढ़ा दिया जाता है। सूत्रों के अनुसार प्लांट के भीतर कचरे का निष्पादन न के बराबर हो रहा है। 

बरसात के इन दिनों में कचरे से निकलने वाली गंदा पानी (लीचड़) हर ओर बह रहा है। साथ लगती शूटिंग रेंज में भी यह पानी जा रहा है। यही हालात डड्डूमाजरा कालोनी में रहने वाले लोगों के हैं। बरसात के बाद कचरे के ढेरों से निकलने वाला गंदा पानी उनके घरों तक पहुंच रहा है।

न प्रशासन गंभीर न नगर निगम :
शहर की यह हालत देख कर भी न तो प्रशासन और न ही निगम अपनी किसी परियोजना को गति दे रहा है ताकि कचरे के ढेरों से शहर को निजात दिलाई जा सके। स्मार्टसिटी परियोजना के तहत डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राऊंड से कचरा हटाने के लिए वहां माइङ्क्षनग कर कचरा धरती में दबाने की योजना बनाई गई व निविदाएं भी आमंत्रित की गई। 

करीब दो माह पूर्व चार कंपनियों ने रुचि दिखाई। स्थित यह हो कि दो माह में केवल उनकी टैक्नीकल बिड की ही जांच की जा रही है व उसके बाद फाइनैंशियल बिड की जांच होगी व उसके बाद यह निदेशक मंडल में जाएगा व उसके बाद काम शुरू होगा। स्मार्ट सिटी के निदेशक एम.पी. शर्मा का कहना था कि बरसात के बाद ही यह काम शुरू हो पाएगा।

सहज सफाई केंद्रों में भी कचरे के ढेर :
इसके अलावा शहर के लगभग हर सैक्टर में बने सहज सफाई केंद्रों में भी कचरे के ढेर जमा हैं। पिछले दिनों निगमायुक्त ने आदेश दिए थे कि दो दिन में शहर के सभी सहज सफाई केंद्रों की सफाई की जाए। स्थिति यह है कि अगर सहज सफाई केंद्रों से कचरा उठाते हैं तो उसे डंपिंग ग्राऊंड में ही फैंका जाएगा।

निष्पादन न करने पर प्रबंधन को नोटिस :
निगम के संबंधित अधिकारी का कहना है कि प्लांट प्रबंधन के कचरा का निष्पादन न करने का नोटिस दिया गया है। कचरे के निष्पादन की टिप्पिंग फीस के रूप में प्लांट प्रबंधकों (जे.पी. एसोसिएट्स) ने नगर निगम से जो बैक गारंटी ली थी। 

उसे वापस लेने के लिए निगम आर्बीट्रेशन में गया व पिछले दिनों प्रशासन के गृह सचिव ने उसकी सुनवाई तो की लेकिन कोई फैसला नहीं किया। हालात यह है कि कचरे का ढेर बनते जा रहे शहर को इससे निजात दिलवाने के लिए कोई गंभीर प्रयास किसी स्तर पर दिखाई नहीं देते।


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Priyanka rana

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