फेसबुक पर दोस्ती, छह माह बाद पता चलने के बावजूद दोनों लड़कों ने की शादी, अब पी.जी.आई. में सैक्स चेंज सर्जरी के बाद बने पति-पत्नी

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 11:07 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना सेठी): 21वें साल की दहलीज पर कदम रखते ही मेरी दुनिया बदल गई थी। मैं मैं नहीं रहा था। मुझमें एक औरत सांस लेने लगी थी। पुुरुषों की तरफ आकर्षण बढऩे लगा था। मन में खौफ आने लगा कि कोई नहीं समझेगा। लेकिन अब मैं एक औरत हूं और यह अहसास बहुत ही सुखद है। पहले 20 साल मेरी पहचान एक पुरुष की थी। यह कहना है हिमाचल प्रदेश की रोशनी (काल्पनिक) का, जो पहले एक पुरुष थी।

रोशनी ने बताया कि फरवरी, 2018 में फेसबुक के जरिये वीरेंद्र (काल्पनिक) के साथ दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। वीरेंद्र से दोस्ती एक महिला के नाते हुई थी। प्यार का साथ कहीं बीच राह न छूट जाए इसलिए सच कहने से डर लगता था। 7 साल से पुरुष शरीर दिमाग से स्रावित होने वाले महिला हारमोंस के साथ जंग लड़ रहा था। दोस्ती के छह माह बाद वीरेंद्र को सच बता दिया कि उसकी दोस्ती महिला से नहीं बल्कि ऐसे पुरुष से है जिसका शरीर पुरुष का है लेकिन भाव महिला के हैं। इसके बाद वीरेंद्र टूट गया लेकिन सच्ची मोहब्बत के चलते शादी भी की।

इसके बाद दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश हर जगह चक्कर काटे लेकिन चंडीगढ़ पी.जी.आई. में उसके दर्द और मर्ज का इलाज मिला। गत सप्ताह पी.जी.आई. के यूरोलॉजी एक्सपर्ट डा. संतोष कुमार ने सैक्स चेंज सर्जरी की जिसके बाद रोशनी के जीवन में खुशी की लहर दौड़ गई। वीरेंद्र को भी सुकून मिल गया, क्योंकि अब वह भी एक महिला का पति बन चुका है।


गर्भ में पलने वाले बच्चे पर हो जाता है मां के हार्मोंस का असर
पी.जी.आई. के यूरोलॉजिस्ट डा. संतोष कुमार का कहना है कि 12 साल पहले पी.जी.आई. में सैक्स चेंज सर्जरी की शुरूआत हुई थी। अब तक 7 पुरुषों को महिला और 7 किन्नरों को पुरुष व महिला में तबदील किया जा चुका है। कई बार बच्चा कोख में विकसित हो रहा होता है, तब मां के दिमाग से स्रावित होने वाले फीमेल हारमोंस शारीरिक विकास को प्रभावित करते हैं। कोख में लड़का हो तो उसके शरीर पर मां के हारमोंस हावी हो जाते हैं। कई दफा हारमोंस का असंतुलन पुरुषों को महिला और महिला को पुरुष होने का अहसास दिलवाने लगता है। सर्जरी से पहले पेशैंट के दिमाग की स्थिति का आंकलन किया जाता है कि कहीं कुछ गड़बड़ी तो नहीं है। उसके बाद हारमोंस का स्तर जांचा जाता है। सब सामान्य होने पर सैक्स चेंज सर्जरी की जाती है।

हार्मोंस और शरीर के बीच शुरू हो गई थी जंग
रोशनी ने बताया कि 20 साल की उम्र के बाद अहसास हुआ कि उसके दिमाग में स्रावित होने वाले हारमोंस और पुरुष के शरीर का संतुलन बिगडऩे लगा था। महिलाओं से नफरत होने लगी थी। बहुत कोशिश की कि सब पहले जैसा सामान्य हो जाए लेकिन नहीं हो सका। डाक्टर्स से मिलकर हारमोंस से जुड़ी दवाएं खानी शुरू की। बाल लंबे रखने के साथ-साथ दाढ़ी, मूंछों को रोकने के लिए लेजर ट्रीटमैंट करवाए और दवाओं का कोर्स पूरा किया। धीरे-धीरे पुरुष के शरीर में कर्वस आने लगे। इसके बाद वीरेंद्र से मुलाकात हुई शादी कर ली पर शरीर के अधूरेपन को दूर करने की जिद थी। 

सर्जरी के बाद सपना पूरा हुआ है। अब भी शरीर में कमी है, क्योंकि बच्चे को जन्म नहीं दे सकती। अब विदेश जाकर यूटरस ट्रांसप्लांट करवाने का प्रयास किया जाएगा ताकि अपनी कोख से बच्चे को जन्म दे सकूं। वीरेंद्र का कहना है कि रोशनी से लगाव और स्नेह के चलते यह जानते हुए भी शादी की कि वह एक पुरुष है। जीवन में कई उलझनों का सामना भी करना पड़ा लेकिन अब संतुष्ट हैं कि उसकी पत्नी एक पुरुष नहीं रही महिला में तबदील हो गई है। रही बच्चे की बात तो गोद लेना पड़ेगा। उसके बाद परिवार पूरा हो जाएगा।

महिला बनना सस्ता जबकि पुरुष बनने में लगते हैं लाखों
डा. संतोष कुमार का कहना है कि पुरुष को महिला में तबदील करने पर कम खर्च आता है जबकि पुरुष का शरीर देने पर लाखों खर्च हो जाते हैं। महिला बनाने की सर्जरी पर 60 हजार तक खर्च आता है जबकि पुरुष में तबदील करने पर 7 लाख तक का खर्च होता है। महिला बनाते हुए सर्जरी से अंगों को आकार दिया जाता है जबकि पुरुष बनाने के लिए पेनाइल इंपलांट जोडऩे पड़ते हैं। महिला बनाने की सर्जरी पुरुष बनाने की सर्जरी के मुकाबले कम अवधि की होती है।


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bhavita joshi

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