अब हरियाणा में पानी की खपत के आधार पर तय की जाएंगे दरें

Wednesday, Aug 10, 2022 - 09:03 PM (IST)

चंडीगढ़,(बंसल/पांडेय): हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन आज 4 विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022; हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022; हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 तथा हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2022 शामिल हैं। वहीं हरियाणा पुलिस संशोधन विधेयक 2022 को विपक्षी विधायकों की आपत्ति पर सेलैक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया है, जिसे अगले सत्र में पेश किया जाएगा। इनमें हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण अधिनियम, 2020 को संशोधित करने के लिए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 में अब प्राधिकरण द्वारा बल्क और उपचारित अपशिष्ट जल के लिए शुल्क का निर्धारण किया जाएगा। संशोधन के अनुसार, प्राधिकरण मितव्ययता, दक्षता, समानता और स्थिरता के सिद्धांतों और सतही जल और उपचारित अपशिष्ट जल के अत्यधिक मात्रा में उपयोग के लिए दरें तय करेगा। ये दरें पानी की खपत के आधार पर तय होंगी। प्राधिकरण व्यक्तिगत घर, उद्योग या वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के लिए पानी के उपयोग के हिसाब से पानी की खुदरा दरें भी तय करेगा।

 


हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक-2022  
हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 1994 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है। हरियाणा नगर निगम विधेयक, 1994 की धारा 330, 331, 335, 336 तथा 352 के साथ द्वितीय और तृतीय अनुसूची में संशोधन किया गया है। वित्त विभाग द्वारा सूचित किया गया कि पालिका क्षेत्रों में स्थित अचल संपत्तियों के पंजीकरण पर 2 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क संबंधित नगर निगम या शहरी स्थानीय निकाय विभाग को 1-1 प्रतिशत की दर से समान रूप से सीधे तौर पर स्थानांतरित किया जाएगा। इस प्रक्रिया को 1 अप्रैल, 2021 से लागू किया गया था। इससे पहले शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा पालिकाओं स्टाम्प शुल्क दिया जा रहा था।

 


हालांकि प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा), हरियाणा ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा नगर निगम तथा निदेशालय को वितरित किए जा रहे स्टाम्प शुल्क की प्रक्रिया उचित नहीं है क्योंकि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्टाम्प शुल्क संबंधित नगर निगम को ही दिया जाना है। इस विसंगति को दूर करने तथा इस संबंध में सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं में अनुरूपता लाने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 1994 की धारा 87 की उप-धारा (1) के खंड (ग) में संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई। हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1904 में व्यापार/व्यावसायिक लाइसैंस के प्रावधान पंजाब नगरपालिका अधिनियम, 1911 के अनुरूप हैं। हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की संबंधित धाराओं में व्यापार/व्यावसायिक लाइसैंस प्राप्त करने व इनके वाॢषक आधार पर नवीनीकरण करवाने का प्रावधान है। वर्तमान में नगर निगमों को अपने सदन की बैठकों में प्रस्ताव पास करके व्यापार/व्यवसायिक लाइसैंस फीस की दर निर्धारित करने की शक्तियां प्राप्त हैं। इससे राज्य की नगर निगमों में व्यापार/व्यवसायिक लाइसैंस फीस का निर्धारण करने में भिन्नताएं हो गई हैं, जिससे जन-साधारण में भ्रांति होती है। यह नियामक प्राधिकरणों की बहुलता को समाप्त करके शहरी क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को आसान करेगा। इसके अतिरिक्त, पशु-पक्षियों को नगर निगमों की सीमा में रखने और पालने की पाबंदियों के लिए प्रावधान किया गया है।
 

 

निकाय क्षेत्रों में अचल संपत्तियों के हस्तांतरण पर 1 से 3 फीसदी तक होगा शुल्क  
हरियाणाा नगरपालिका अधिनियम, 1973, को संशोधत करने के लिए हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया। विधेयक के प्रारूपों में तय किया गया है कि अधिकांश नगरपरिषदों के क्षेत्रफल व जनसंख्या में वृद्धि हुई है, जिससे कार्यों एवं निगरानी का दायरा कई गुणा बढ़ गया है। इसलिए नगर परिषद का संपूर्ण कार्य एक वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को सौंपे जाने की आवश्यकता है, जो इन नगर परिषदों के कार्यो को कुशलता एवं समयबद्धता तरीके से कर सके। इसलिए संबंधित जिला नगर आयुक्त, जिला मुख्यालय की नगरपरिषद का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा तथा संबंधित मंडल आयुक्त को जिला मुख्यालय की नगर परिषद के मामले में अपीलीय तथा अन्य शक्तियां जो कि वर्तमान में जिला नगर आयुक्त के पास हैं, सौंपी जाएंगी। प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) हरियाणा ने अपने निरीक्षण रिपोर्ट में निदेशालय शहरी स्थानीय निकाय द्वारा पालिकाओं एवं निदेशालय को वितरित किए जा रहे स्टाम्प शुल्क की प्रक्रिया को गलत बताया है क्योंकि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्टाम्प शुल्क केवल संबंधित पालिका को दिया जा सकता है। इस विसंगति को दूर करने के लिए अधिनियम की धारा-69 की उपधारा-1 के खंड-ग में संशोधन की आवश्यकता है।

 


पशुओं एवं पक्षियों को पालिकाओं की सीमा में रखने एवं पालने की पाबंदियों के लिए भी प्रावधान किया गया है। इसके तहत चौपाया पशुओं या पक्षियों को समिति की सीमाओं के भीतर रखने या पालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। परंतु समिति से अनुमति उपरांत किसी बिल्ली, कुत्ता या पक्षी को पालतू के रूप में रखा जा सकेगा। नगरपालिका क्षेत्र की सीमाओं के भीतर स्थित अचल संपत्तियों के हस्तांतरण पर 1 से 3 प्रतिशत तक शुल्क लिया जाएगा। किसी नगरपालिका क्षेत्र के अंदर चर्बी पिघलाना, कच्चा चमड़ा साफ करना, हड्डियां या रक्त उबालना, साबुन के कारखाने, तेल उबालने के कारखाने, चर्मशोधन के कारखाने, ईंट भट्टे, मिट्टी के बर्तनों के कारखाने, भंडार या कारोबार के ऐसे स्थान, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों या जिनसे गंद, गैसें या धुआं निकलता हो ऐसी इकाइयां निषेध होंगी। इसके अतिरिक्त, अनबुझा चूना, सूखी घास, लकड़ी, काठ, कोयला या अन्य खतरनाक सामग्री में व्यापार करने के लिए डिपो, किसी विस्फोटक के लिए या पैट्रोल या स्प्रिट के लिए भंडार गृह निषेध होगा। यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करेगा, तो उसे 6 महीने कारावास या कम से कम 1000 रुपए और अधिक से अधिक 5,000 रुपए तक जुर्माना देना पड़ेगा। किसी भी नगरपालिका क्षेत्र के भीतर कोई भी व्यक्ति समिति की अनुमति लिए बिना किसी नये कारखाने या कर्मशाला की स्थापना नहीं करेगा। यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करेगा, तो उसे कम से कम 2000 रुपए और अधिक से अधिक 10,000 रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। यदि दंड के बाद भी व्यक्ति इसे चालू रखता है, तो अतिरिक्त जुर्माने के रूप में उसे 1000 रुपए प्रतिदिन अतिरिक्त दंड वहन करना होगा।

 


किसी सिनेमैटोग्राफ अथवा अन्य चित्रों, जिनके प्रयोजन के लिए ज्वलनशील फिल्में उपयोग में लाई जाती हैं, किसी नगरपालिका क्षेत्र में ऐसे परिसरों को अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि कोई ऐसा करता है तो उसे कम से कम 250 रुपए और अधिक से अधिक 2000 रुपए जुर्माना वसूल किया जाएगा। पहले से बने भवनों के जीर्णोद्धार और पुननिर्माण के लिए संबंधित नगरपालिका समिति से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा। 
 

 

हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक-2022 
हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 को आगे संशोधित करने के लिए पारित किया गया है। हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम) को राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों की अंत: राज्य आपूॢत पर कर लगाने और संग्रह के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था। वित्त अधिनियम, 2022 (2022 का केंद्रीय अधिनियम 6) के द्वारा केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में किए गए संशोधनों की तर्ज पर हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में भी संशोधन की आवश्यकता थी। यह संशोधन जी.एस.टी. परिषद की सिफारिशों पर किया गया है। चूंकि जी.एस.टी. कानून केंद्र सरकार तथा राज्यों द्वारा समान रूप से लागू किया जाता है, इसलिए वित्त अधिनियम, 2022 में पहले से ही हो चुके संशोधन की तर्ज पर हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन अपेक्षित था। हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 में प्रावधान किया गया है कि किसी आपूॢत के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ केवल तभी लिया जा सकेगा, जब ऐसे क्रेडिट को धारा 38 के अधीन करदाता को संसूचित ब्यौरों में निबंधित न किया गया हो। इसके लिए अधिनियम की धारा 16 की उपधारा (2) में संशोधन करके एक नए खंड (खक) का प्रावधान किया गया है।

 


कोई पंजीकृत व्यक्ति उस वित्तीय वर्ष, जिससे ऐसा इनवायस या डेबिट नोट संबंधित है, की समाप्ति के पश्चात के 30 नवम्बर के बाद या सुसंगत वाॢषक विवरणी प्रस्तुत करने की तिथि के बाद, इनमें से जो भी पहले हो, के पश्चात किसी इनवायस या डेबिट नोट के संबंध में कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का हकदार नहीं होगा। इसके लिए अधिनियम की धारा 16 की उपधारा (4) में संशोधन किया गया है। धारा 10 के अधीन कर का भुगतान करने वाले व्यक्तियों द्वारा यदि विवरणी प्रस्तुत करने की नियत तिथि से 3 महीने के बाद किसी वित्तीय वर्ष के लिए विवरणी प्रस्तुत नहीं की जाती तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकेगा। इसके लिए अधिनियम की धारा 29 की उपधारा (2) के खंड (ख) में सशोधन किया गया है। गलत तरीके से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट पर ब्याज लगाने का उपबंध करने तथा ऐसे मामलों में 1 जुलाई, 2017 से ब्याज की गणना का तरीका निर्धारित करने का उपबंध करने के लिए अधिनियम की धारा 50 की उपधारा (3) के स्थान पर नई उपधारा जोड़ी गई है।
 

 

5 दिन पूर्व आने वाले विधेयक ही सदन में होंगे पेश: स्पीकर
विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने नेता सदन और मंत्रियों को दो-टूक कहा कि यदि विधानसभा में 5 दिन पहले विधेयक नहीं भेजे जाते हैं तो उसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। दरअसल सदन में कांगे्रस विधायक वरुण चौधरी ने विधेयक के आने की तिथि पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई विधेयक ऐसे रखे गए हैं जो एक दिन पहले ही भेजे गए जिसका किसी विधायक ने अध्ययन भी नहीं किया। वरुण के इस सुझाव पर स्पीकर ने गैलरी में बैठे वरिष्ठ अफसरों को भी कहा कि वह विधेयकों को लेकर उनकी ओर से जारी आदेशों की पालना सुनिश्चित करें।
 

Ajay Chandigarh

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