रिटायर्ड कर्मचारी को इंश्योरैंस कंपनी ने नहीं दिया क्लेम, फोरम ने ठोका हर्जाना

Friday, Oct 11, 2019 - 02:22 PM (IST)

चंडीगढ़(राजिंद्र) : रिटायर्ड कर्मी को इंश्योरैंस क्लेम की राशि का भुगतान नहीं करना दूसरे पक्षों को महंगा पड़ गया। उपभोक्ता फोरम ने पंजाब के सरकारी विभाग समेत कइयों को सेवा में कोताही का दोषी ठहराया है। सभी पर अलग-अलग राशि का जुर्माना भी लगाया है। फोरम ने शिकायतकर्ता को मुकदमे का खर्च भी देने के आदेश दिए हैं। 

चंडीगढ़ के सैक्टर-41 में रहने वाले रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी जगतार सिंह ने उपभोक्ता फोरम में स्टेट ऑफ पंजाब के प्रिंसीपल सैक्रेटरी हैल्थ, मिनी सिविल सैक्रेटिएट सैक्टर-9 (ओ.पी.-1), सैक्टर-34 स्थित पंजाब सरकार के हैल्थ एंड फैमिली वैल्फेयर के डायरैक्टर (ओ.पी.-2), मोहाली इंडस्ट्रीयल एरिया फेज-1 स्थित इंडिया हैल्थ इंश्योरैंस टी.पी.ए. प्राइवेट लिमिटेड के एमडी (ओ.पी.-3), सैक्टर-17 डी स्थित ओरिएंटल इंश्योरैंस कार्पोरेशन लिमिटेड (ओ.पी.-4) और सैक्टर-33सी स्थित लैंडमार्क हॉस्पिटल (ओ.पी.-5) के खिलाफ शिकायत दी थी। 

अस्पताल में बिल कैश के रूप में जमा करवाने पर जताई थी आपत्ति :
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह स्टेट ऑफ पंजाब, हैल्थ मिनी सिविल सैक्रेटिएट से रिटायर्ड कर्मचारी हैं। उनका बेटा उन पर निर्भर है और पंजाब सरकार के हैल्थ इंश्योरैंस पॉलिसी के साथ नॉमिनेट हुआ था। उनके बेटे का सैक्टर-33 के हॉस्पिटल में पायलोनिडल साइनस नाम की बीमारी का इलाज हुआ। ऑपरेशन इंश्योरैंस के तहत हुआ, जिसके बाद 36 हजार 34 रुपए का हॉस्पिटल ने बिल दिया। इसको शिकायतकर्ता ने जमा कर दिया। एमरजैंसी में सर्जरी भी की गई। 

बिल के भुगतान के लिए जब शिकायतकर्ता ने अपील की तो ओ.पी.-1 से ओ.पी.-3 ने आपत्ति जताई कि शिकायतकर्ता की तरफ  से अस्पताल में बिल कैश के रूप से क्यों जमा कराया गया, क्योंकि यह एक कैशलैस पॉलिसी है। एक और मामले में हॉस्पिटल की तरफ  से दिए गए 24 हजार 280 रुपए के बिल को भी कैश में जमा किया गया था, जिसके रिमबर्समैंट के लिए मना कर दिया गया।   

शिकायतकर्ता ने फोरम का रुख किया। ओ.पी. ने कहा कि पॉलिसी के टम्र्स एंड कंडीशन के तहत शिकायतकर्ता को कैश में पैमेंट नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि यह कैशलैस पॉलिसी है। फोरम ने सैक्टर-33 सी स्थित लैंड मार्क हॉस्पिटल को कोताही का दोषी नहीं पाया, जिसके चलते उसके खिलाफ शिकायत को डिसमिस कर दिया गया। 

सभी पर अलग-अलग जुर्माना लगाया :
फोरम ने ओ.पी.-3 और ओ.पी.-4 को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 36 हजार 34 रुपए देने के आदेश दिए। इसके अलावा ओ.पी.-1 और ओ.पी.-2 को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 15 हजार 800 रुपए देने के आदेश दिए। शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीडऩ झेलने के लिए फोरम ने ओ.पी.-1 और ओ.पी.-2 को 15 हजार रुपए देने के आदेश दिए। इसके अलावा ओ.पी.-3 और ओ.पी.-4 को भी 15 हजार रुपए देने होंगे। 

मुकदमा खर्च के रूप में भी ओ.पी.-1 और ओ.पी.-2 को 5 हजार और ओ.पी.-3 और ओ.पी.-4 को 5 हजार रुपए देने के आदेश दिए गए। उपभोक्ता फोरम के आदेशों की पालना 30 दिनों के अंदर करनी होगी नहीं तो राशि पर 12 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना पड़ेगा।

Priyanka rana

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