GMCH-32 ने फ्लोरैंस नाइटिंगेल अवॉर्ड के लिए भेजा 12 नर्सों का नाम

punjabkesari.in Thursday, May 02, 2019 - 01:02 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : इस बार जी.एम.सी.एच.-32 गवर्नमैंट कॉलेज एंड हॉस्पिटल की ओर से नर्सिंग फिल्ड के सबसे बड़े सम्मान फ्लोंरैंस नाइटिंगेल के लिए नाम रिक्मैंडेशन किए गए हैं। यह पहली बार है जब जी.एम.सी.एच. ने इसके लिए अपने नर्सिंग स्टाफ से करीब 12 का नाम इस अवॉर्ड के लिए भेजा है। पिछले कई सालों से यहां का स्टाफ इस अवॉर्ड के लिए अप्लाई करना चाह रहा था लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन इसे सीरियसली नहीं ले रहा था। 

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पी.जी.आई. व जी.एम.ए.एच.-16 ही ऐसे शहर के ऐसे गवर्नमैंट हॉस्पिटल हैं, जो इसके प्राइवेट हॉस्पिटल के साथ इसे अप्लाई करते आ रहे हैं। नर्सिंग एसोसिएशन के प्रैजीडैंट डबकेश की माने तो अस्पताल में ऐसा बहुत-सा एक्सपीरियंस स्टाफ है, जो इस अवॉर्ड का हकदार है। ऐसे में पहली बार नाम भेजना स्टाफ के लिए भी बहुत बड़ी खबर है। 

जी.एम.एस.एच. को तीन बार मिला सम्मान :
जी.एम.एस.एच. शहर का एकलौता गवर्नमैंट हॉस्पिटल है। इसके लिए नर्सिंग स्टाफ को तीन दफा यह अवॉर्ड मिल चुका है। साल-2014, 2015, 2018 में जी.एम.एस.एच. की नर्सेज को फ्लोरैंस नाइटिंगेल का अवॉर्ड मिल चुका है।

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इस बार भी अस्पताल से 17 से 18 स्टाफ का बॉयो डाटा लिया गया। फिलहाल अभी तक एक नाम को फाइनल किया जा चुका है। फ्लोरैंंस नाइटिंगेल अवॉर्ड के लिए नैशनल लेवल 35 लोगों को यह सम्मान दिया जाता है। 

पी.जी.आई. को एक ही बार मिला है यह अवॉर्ड :
पी.जी.आई. बेश्क अपने बेहतरीन इलाज व रिसर्च वर्क के लिए कई बड़े सम्मान पा चुका है, लेकिन हैरत की बात है कि पिछले कई सालों में पी.जी.आई. को सिर्फ एक बार फ्लोरैंस नाइटिंगेल का अवॉर्ड मिला है। अमृता एडविन पी.जी.आई. की इकलौती नर्स थी, जिन्हें यह सम्मान दिया गया था। पिछले साल ही उनकी रिटार्यमैंट हुई है। 

कौन हैं फ्लोरैंस नाइटिंगेल :
इंसान की फितरत है कि वो सिर्फ अपने लिए जीता है, लेकिन वे सिर्फ दूसरों के लिए जीकर अमर हो गईं। आधुनिक नर्सिंग की जनक फ्लोरैंस नाइटिंगेल का जन्म 1820 को 12 मई को हुआ था। फ्लोरैंस नाइटिंगेल या ‘द लेडी विद द लैंप’ के नाम से मशहूर एक ऐसी नर्स की है, जो जंग में घायल मरीजों के लिए नर्स नहीं देवदूत थी। फ्लोरैंस नाइटिंगेल गणित की जीनियस थी। इसी कााबिलियत की वजह से फ्लोरैंस ने इतने लोगों की जान बचाई थी। 

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वह क्रीमिया के जंगी मैदान में गई थी और हजारों लोगों की जान बचाई। इस दौरान फ्लोरैंस नाइटिंगेल की हाथ में मशाल लिए हुए रात में घायल मरीजों की सेवा करने वाली तस्वीर अखबारों में छपी तो रातों-रात उसके हजारों फैन बन गए। फ्लोरैंस की किताब ‘नोट्स ऑन नर्सिंग ऐंड नोट्स ऑन हॉस्पिटल्स’ ने भी लोगों को जागरूक किया था कि वे कैसे बीमारी के दौरान एक-दूसरे के मददगार बन सकते हैं।   

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फ्लोरेंस नाइटिंगेल भारत में भी ब्रिटिश सैनिकों की सेहत को बेहतर करने के मिशन से जुड़ी रही थीं। गणित और सांख्यिकी का उसका ज्ञान सैन्य अस्पतालों और आम लोगों की सेहत की देख-भाल करने वाले सिस्टम को सुधारने में बहुत कारगर साबित हुआ। नर्सिंग क्षेत्र से जुडऩे वाली नई सिस्टर सबसे पहले मरीजों की सेवा से जुड़ी द नाइटिंगल प्लेज लेती हैं, जो फ्लोरैंस के नाम पर है। हर साल भारत में राष्ट्रपति शानदार काम करने वाली नर्सों को नैशनल फ्लोरैंस नाइटिंगेल अवार्ड से सम्मानित करते हैं। 


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Priyanka rana

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