स्कूलों, होटलों और सार्वजनिक भवनों में नहीं है आग से निपटने के इंतजाम

punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 08:23 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ व इसके आसपास जब भी आग लगने की कोई बड़ी घटना होती है तो निगम का फायर एंड एमरजैंसी विभाग भी जाग जाता है। उसे सबसे पहले याद आते हैं पूर्व में दिए गए नोटिस। गुजरात के सूरत में आग लगने की दुर्घटना के बाद शहर के फायर विभाग को भी याद आया कि उन्होंने भी कई संस्थानों को नोटिस दिए हैं, जिन पर कार्रवाई करनी है। 

इससे औद्योगिक क्षेत्र में लगी आग के बाद विभाग ने शहर के सार्वजनिक भवनों की चैकिंग शुरू की व अनेक भवनों में फायर सेफ्टी एक्ट का उल्लंघन पाया है। इन भवनों में स्कूल भवन भी शामिल थे। विभाग के सूत्रों के अनुसार शहर में करीब 65 स्कूल भवन ऐसे हैं, जहां फायर सेफ्टी एक्ट का पूरी तरह से अनुसरण नहीं किया गया है। 

शैक्षिक संस्थानों के अतिरिक्त रैस्तरां, होटल, सरकारी भवन माइक्रोब्रीयूरीस आदि भी इस सूची में शामिल पाए गए।। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि  14 सार्वजनिक इमारतों में अचानक की गई चैकिंग के दौरान पाया गया कि यहां आग सुरक्षा प्रणालियों में अनेक विसंगतियां हैं। इनमें लगे अग्नि सुरक्षा उपकरणों में से अधिकांश को खराब पाया गया।

पी.यू. और भूमिगत स्टोरों की हालत सबसे खराब :
विभाग के सूत्रों के अनुसार सबसे खराब स्थिति पंजाब यूनिवर्सिटी व उसके भूमिगत बने स्टोरों की थी। हालांकि उसके बाद विभाग ने नोटिस भी दिया व एक बार दोबारा चैकिंग भी की बस उसके बाद फाइल बंद। 

सैक्टर-11 में लड़कियों और पोस्ट ग्रैजुएट गवर्नमैंट कॉलेज की जांच में भी इसी तरह की कमियां पाई गई थीं। सैक्टर-26 के अनेक रैस्तरां में आग बचाव के उपकरणों को केवल प्रदर्शन के लिए रखा गया था। यहां कर्मचारियों को पता ही नहीं था कि इन उपकरणों को चलाते कैसे हैं। अग्निशमन विभाग ने सभी इमारतों को चेतावनी पत्र जारी किए थे व उसके  बाद फाइल बंद।

होटलों में तो फायर सेफ्टी एक्ट का अनुसरण करने का सिस्टम ही नहीं :
सूत्रों के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में बने होटलों में तो फायर सेफ्टी एक्ट का अनुसरण करने का कोई सिस्टम ही नहीं है। यहां एक होटल ने खाली जगह पर स्थायी टैंट लगा रखा है। होटल ने बाहर इतनी कम जगह छोड़ी है कि फायर ब्रिगेड अंदर प्रवेश ही नहीं कर सकती। इसे पहले तो कथित रूप से मिलीभगत से अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया गया व अब नोटिस दिए जा रहे हैं।

अवैध गैस्ट हाऊस पर नहीं होती कार्रवाई :
शहर के गांवों व कॉलोनियों में अवैध रूप से खुले गैस्ट हाऊसिज के विरुद्ध कभी-कभी प्रशासन जागता है। फायर विभाग ने आज तक नोटिस तो कई दिए पर कार्रवाई के नाम पर फाइल बंद हो जाती है। 

सैक्टर-17 में कुछ वर्ष पहले लगी आग में फायर विभाग के अपने कर्मी की जान गई थी व उसके बाद सैक्टर-17 के अनेक भवनों को नोटिस दिए गए व कुछ भवनों को असुरक्षित भी घोषित किया गया पर उसके बाद सब ठप्प व असुरक्षित भवनों में कारोबार चल रहा है। फायर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि अब शहर में जोनों के आधार पर भवनों की चैकिंग शुरू की जाएगी व उसके बाद रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई के लिए ठोस नीति बनाई जाएगी।

स्कूलों में बच्चों की जिंदगी दांव पर :
फायर विभाग के सूत्रों के अनुसार मनीमाजरा के सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल द्वारा फायर सेफ्टी एक्ट के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के लिए संबंधित अधिकारी को लिखे पत्र ने यह साबित कर दिया कि स्कूल भवनों को किस प्रकार बच्चों की जिंदगी दांव पर रख कर एन.ओ.सी. दिया जा रहा है। 

फायर सेफ्टी उपकरण न होने के चलते पहले मनीमाजरा के उक्त स्कूल को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से इन्कार किया गया। उन्होंने संबंधित अधिकारी को पत्र लिख कर कहा कि सैक्टर-8, 35 व कुछ निजी स्कूलों को केवल सिलैडर देख कर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया है। सूत्रों के अनुसार कुछ स्कूल भवनों में तो केवल सिलैंडर दीवारों पर लटका लिए गए हैं पर उन्हें चलाने के लिए आवश्यक उपकरण ही नहीं हैं। पिछले दिनों कुछ स्कूलों को भी नोटिस दिए गए हैं।


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Priyanka rana

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