फायर कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए फायर प्रोक्सिमिटी सूट खरीदेगा निगम

Friday, Nov 24, 2017 - 08:17 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : नगर निगम फायर कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए फायर प्रोक्सिमिटी सूट खरीदने जा रहा है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया जिसे कल निगम की वित्त एवं अनुबंध समिति की बैठक में रखा जाएगा उसके बाद फाइनल स्वीकृति के लिए सदन की बैठक में लाया जाएगा।  

 

आगजनी की घटना के दौरान आग पर काबू पाने के समय फायर कर्मचारियों के लिए ये सूट पहनना जरूरी होता है, जो कि उन्हें आग से झुलसने से बचाता है। अभी फिलहाल निगम के पास ये सूट कम है। निगम के पास 15 के करीब फायर प्रोक्सिमिटी सूट है, जबकि उसे 45 के करीब सूट की जरूरत है। 

 

निगम फायर प्रोक्सिमिटी सूट खरीदने के लिए 21 लाख रुपए का प्रस्ताव तैयार किया है। एक सूट की कीमत 75 हजार रुपए के करीब है। निगम ने कुल 28 और सूट खरीदने है, जिसके चलते 21 लाख रुपए के करीब इस पर कुल खर्च आएगा। चीफ फायर ऑफिसर ने इन सूट को खरीदने के लिए हरी झंडी दे दी है।  


शहर में हैं 7 फायर स्टेशन :
अभी फिलहाल शहर में सात के करीब फायर स्टेशन हैं, जिसमें कि सैक्टर-11, 17, 32, 38, मनीमाजरा, इंडस्ट्रीयल एरिया फेज-1 और इंडस्ट्रीयल फेज-2 का फायर स्टेशन शामिल है। प्रत्येक फायर स्टेशन पर अभी फिलहाल 2-2 सूट है, जबकि एक स्टेशन पर कम से कम 6 सूट होने जरूरी है। इसके अलावा निगम सैक्टर-53 व आई.टी. पार्क में भी दो और नए फायर स्टेशनों का निर्माण करने जा रहा है, इसलिए निगम को और सूट खरीदने की आवश्यकता होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए निगम ने और सूट खरीदने का फैसला लिया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में सैक्टर-22 स्थित दुग्गल होमियो स्टोर में भीषण आग लग गई थी। 

 

इस दौरान आग पर काबू पाते हुए चार फायर कर्मी झुलस गए थे। इसके बाद ही ये मामला उठा था कि फायर कर्मियों के लिए फायर प्रोक्सिमिटी सूट जरूरी हैं और जो फायर कर्मी सबसे आगे फायर पर काबू पाने के लिए जाता है, उसको हर हालत में ये सूट पहनकर काम शुरू करना चाहिए। इसी तरह ऐसे ही शहर में कई और फायर हादसे हो चुके हैं, जिसमें कि फायर कर्मियों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। जिसके बाद ही निगम ने फैसला लिया था कि फायर कर्मियों की सुरक्षा के लिए ऐसे और सूट खरीदे जाएंगे। 

 

टैक्सी स्टैंडों के नियम व शर्तों को भी जाएगा बदला :
बैठक में शहर के टैक्सी स्टैंडों के नियम व शर्तों में बदलाव का एजैंडा भी डाला गया है। अभी शहर के आधे से अधिक टैक्सी स्टैंड बिना निगम की अनुमति के और बाकी टैक्सी स्टैंडों का ठेका पिछले दो वर्षों से समाप्त हुआ पड़ा है लेकिन निगम ने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। शहर में वर्तमान में जितने भी टैक्सी स्टैंड चल रहे हैं, उनमें से अधिकतर ने निगम से अनुमति तक नहीं ली हुई है। न तो यह अवैध टैक्सी वाले निगम को किसी तरह की फीस देते हैं, उल्टा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके बैठे हैं जिस ओर निगम ने कभी ध्यान नहीं दिया। 

 

शहर के लगभग हर चौक के किनारे अवैध टैक्सी स्टैंड बनाए गए हैं लेकिन निगम ने कभी इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। यह टैक्सी स्टैंड स्थापित भी निगम की ही भूमि पर किए गए हैं। इस समय शहर में लगभग 125 टैक्सी स्टैंड हैं, जिनमें से मात्र 55 वैध हैं जिन्हें निगम ने लाइसैंस जारी किया है लेकिन उनका भी समय पूरे हुए को दो वर्ष बीत चुके है। अन्य आप्रेटरों ने निगम से अनुमति लिए बिना ही विभिन्न सैक्टरों में मार्कीटों के पार्किंग स्थलों व अन्य खाली मैदानों में अपने अड्डे जमा रखे हैं।
 

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