चार महीने से खराब पड़े हैं फायर अलार्म

Monday, Oct 22, 2018 - 11:24 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): पी.जी.आई. के नेहरू अस्तपाल की बिल्डिंग में लगे 80 फीसदी फायर अलार्म पिछले चार महीने से खराब हैं। ऐसे में अगर कोई आगजनी हो जाए तो बड़ा नुकसान हो सकता है। बता दें कि यह बिल्डिंग करीब 50 साल पुरानी है। इस संबंधी कई बार प्रशासन को शिकायत की है लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है। गौरतलब है कि नेहरू में 2000 मरीज एडमिट रहते हैं। ऐसे में फायर अलॉर्म न होने से कोई हादसा हो सकता है। यहां 400 से ज्यादा एग्जिट साइन बोर्ड खस्ताहाल हैं।

इंजीनियरिंग विभाग के मुताबिक नेहरू अस्पताल पिछले कई वर्षों से कुछ  इलैक्ट्रिशियन के सहारे ही चल रहा है। अस्पताल में रोजाना 20 से 25 शिकायत रजिस्टर की जाती हंै। इतनी बड़ी संख्या में शिकायत होने के बावजूद दोपहर व रात में सिर्फ 2 लोगों का स्टाफ ही अस्पताल को संभाल रहा है। 1992 में पी.जी.आई. को 94 पोस्ट सैक्शन की गई थी। इसके बाद से अस्पताल में पोस्ट क्रिएट नहीं की गई है। वर्तमान में अस्पताल के पास 40 लोगों का स्टाफ है, जो पूरे पी.जी.आई. को देख रहा है। 

150 से 200 स्टाफ की जरूरत

नेहरू अस्पताल की साथ इलैक्ट्रिशियन विभाग के कर्मचारियों को सभी एडवांस सैंटर्स, कैंपस, न्यू ओ.पी.डी., प्लांट्स, नाइन व पी.जी.आई. कर्मचारियों के मकानों की भी मैंटेनेंस देखनी होती है। इसके साथ ही स्टाफ को हफ्ते में एक बार नारायणगढ़ सैंटर्स में भेजा जाता है। नियमों की माने तो 5 प्लाइंट्स के पीछे एक इलैक्ट्रिशियन होना चाहिए। इसके मुकाबले में पी.जी.आई. के पास आधा स्टाफ भी मौजूद नहीं है। पी.जी.आई. को कम से कम 150 से 200 स्टाफ की जरूरत है, ताकि सभी सैंटर्स के काम को आसानी से किया जा सके। फायर अलॉर्म न होने से कई सैंसेटिव एरिया के मरीजों को खतरा हो सकता है। 

यहां लगे हैं फायर अलार्म
ए-ब्लॉक में एक्स-रे डिपार्टमैंट हैं, जहां मरीजों की तादाद ज्यादा है। 
बी-ब्लॉक में आई.सी.यू. न्यूक्लीयिर मैडीसन न्यूरोलॉजी, न्यूरो वॉर्ड, टैलीमैडीसन, बर्न यूनिट
डी-ब्लॉक में एस.एस. ऑफिस, जरनल ब्रांच, सी.एन.ओ. ऑफिस,
सी-ब्लॉक में लीवर आई.सी.यू., आर.आई.सी.यू. है, जहां सीरियस मरीज एडमिट रहते हैं।

bhavita joshi

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