अब भारतीय जवानों के लिए दुश्मनों को मार गिराना होगा आसान, पढ़ें पूरी खबर

Wednesday, Nov 22, 2017 - 09:23 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : अब भारतीय जवानों के लिए दुश्मनों को मार गिराना आसान होगा। देश का पहला ऐसा एविएशन वेलिडेशन प्लेटफार्म बनकर तैयार हो गया है जो लड़ाकू विमानों को सटीक वार के लिए तैयार करेगा। प्लेटफार्म के बल पर अब भारत हवाई युद्ध में शक्तिशाली बनेगा। एयरफोर्स, नेवी के लड़ाकू विमानों का एक भी बम ऐसा नहीं रहेगा जो निशाने से भटकेगा। 

 

सैंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गेनाइजेशन(सी.एस.आई.ओ) ने ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया है जो विदेशी एविएशन प्लेटफार्म के मुकाबले तीन गुणा ज्यादा फीचर्स वाला है, जबकि कीमत उनके मुकाबले तीन गुणा कम है। अमरीका, इजरायल, रशिया के एविएशन वेलिडेशन प्लेटफार्म की कीमत 10 करोड़ रुपए है, जबकि भारत में तैयार पहले प्लेटफार्म को सिर्फ 3.7 करोड़ रुपए में खरीदा जा सकेगा। 

 

सी.एस.आई.ओ. के फार्मूला पर पंचकूला में भारत इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बैल) द्वारा 15 वेलिडेशन प्लेटफार्म तैयार किए जाएंगे। तीन साल पहले सी.एस.आई.ओ. ने ही देश के पहले लड़ाकू विमान तेजस का कॉकपिट तैयार किया था। 

 

यह है प्लेटफार्म का काम :
सी.एस.आई.ओ. के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह प्लेटफार्म किसी भी जहाज का एविएशन डिस्पले वेलिडेट कर सकेगा। विमान के उड़ान भरने से पहले प्लेटफार्म ग्राऊंड पर उसकी टारगेट पोजिशन एक्योरेसी को परख लेगा और एक्योरेसी में हल्की सी भी गड़बड़ी मिलने पर उसे न सिर्फ पकड़ेगा बल्कि ठीक भी कर देगा। पहले लड़ाकू विमानों द्वारा जिस टारगेट को ध्यान में रखते हुए बंब फैंका जाता था उसमें 2 से 3 मिनट का अंतर रह जाता था, जबकि देसी प्लेटफार्म के दम पर महज 30 सैकेंड्स का अंतर ही रहेगा। 

 

उड़ान के दौरान विमान केडिस्पले के रंगों में न तो किसी तरह का फर्क आएगा, न तस्वीर हिलेगी और न ही गोस्ट इमेजेस (एक तस्वीर की तीन परछाईयां) दिखेंगी। पुरानी तकनीक जिसमें घोस्ट इमेज की वजह से बंदूक चलाने और बंब फैंकते हुए लक्ष्य छूट जाता था उस तकनीक को बदल दिया गया है। अब बंदूक की गोलियां भी निशाने पर ही वार करेंगी। 

 

ऐसे तैयार किया प्लेटफार्म :

ऑप्टिक्स आधारित इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के बगैर लड़ाकू विमान काम नहीं कर सकते हैं। पायलट को उड़ान, दिशा दर्शन, लक्ष्य भेदन संबंधी जानकारी यहीं से मिलती है। बुनियादी जानकारियां ऊंचाई, हवाई गति, आक्रमण कोण, कृत्रिम क्षितिज, दिशा दर्शन, गुरुत्वाकर्षण, लक्ष्य भेदन, राडार तथा अग्रगामी इंफरारेड कैमरे की तस्वीरों को प्रदर्शित करने के लिए यह किया गया।

-प्लेटफार्म में सिम्बल्स के सिस्टम (सिंबोलोजी टेस्ट पैटर्न)को जैनरेट किया गया। 

-गन साइट, ऑप्टिकल साइड इत्यादि के लिए टैस्ट बटन बनाए गए। 

-सॉफ्टवेयर की मदद से यह सारे फीचर्स कंप्यूटर में स्टोर कर दिए गए।

-सॉफ्टवेयर के ग्रेटीक्यूल से प्लेटफार्म की पोजिशनिंग व मॉनीटरिंग की गई।   -थियोडोलाइट सिस्टम की पोजिशनिंग सॉफ्टवेयर से की गई। 

 

बैल को ट्रांसफर कर दी है टैक्नोलॉजी :
एविएशन वेलिडेशन प्लेटफार्म की टैक्नोलॉजी सी.एस.आई.ओ. ने पंचकूला के भारत इलैक्ट्रानिक्स लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी है। अब बैल के वैज्ञानिक सी.एस.आई.ओ. की टैक्नोलॉजी के आधार पर एयरफोर्स के लिए 15 प्लेटफार्म तैयार कर के देगा। ऐसे 15 ग्राऊंड एक्वीपमैंट्स तैयार किए जाएंगे जो लड़ाकू विमान के उड़ान भरने से पहले जहाज के सारे पैरामीटर और हारमोनाइजेशन भी चैक कर लेगा। 

 

विमान को चलाने वाला पायलट डिस्पले की तरफ देखते हुए ही फ्लाई करता है। विमान कितने एलटीच्यूट पर उड़ान भर रहा है? उसकी स्पीड क्या है? जहाज टारगेट से भटक तो नहीं रहा? उसके अंदर फ्यूल की मात्रा कितनी है? यह सब पायलट को विमान के डिस्पले स्क्रीन पर दिख जाता है, परंतु डिस्पले पर आने वाले पैरामीटर सटीक रखने का काम एविएशन वेलिडेशन प्लेटफार्म का रहेगा। 

 

ऑप्टिकल सिस्टम का सटीक होना है अनिवार्य :
सी.एस.आई.ओ. के वरिष्ठ वैज्ञानिक विनोद करार का कहना है कि विमानों में ऑप्टिकल सिस्टम का सटीक होना अनिवार्य होता है। सिस्टम में हल्की सी चूक घातक परिणाम दे सकती है। पायलट के उड़ान भरते हुए अगर सूरज की हल्की सी चौंध भी स्क्रीन पर आ जाए तो नुकसान पहुंच सकता है। पायलट अपने लक्ष्य से भटक सकता है ऐसे में विमानों के उड़ान भरने से पहले ग्राऊंड पर ही सारे पैरामीटर्स को चैक करना जरूरी होता है।

 

विदेशी वैज्ञानिक सालों पहले एविएशन वेलिडेशन प्लेटफार्म बना चुके हैं, परंतु वे बहुत कीमती हैं और उनमें भारत के इस प्लेटफार्म के मुकाबले बहुत कम फीचर्स हैं। न सिर्फ लड़ाकू विमानों की सटीकता बल्कि हर किस्म के विमानों के पैरामीटर्स इस प्लेटफार्म के जरिए चैक किए जा सकेंगे। बैल को टैक्नोलॉजी दे दी गई है अब इसी के आधार पर प्लेटफार्म बनेंगे। 

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