रौशनी के त्यौहार दिवाली ने कुम्हारों के लिए जगाई उम्मीदें

punjabkesari.in Monday, Oct 09, 2017 - 11:26 PM (IST)

चंडीगढ़, (नेहा): आधुनिकता के इस दौर में बाजार में काफी चीजें रेडीमेड उपलब्ध हैं। खासकर मिट्टी के बर्तन और दीये बाजार में अब कम ही नजर आते हैं। एक समय पर चाइनीज प्रोडक्टस ने जिस तरह से बाजार पर एकाधिकार कर रखा है उससे लग रहा था कि मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हारों की यह कला जल्द ही लुप्त हो जाएगी।

हालांकि अब फिर से चाइनीज उत्पादों का विरोध हो रहा है। इसके मद्देनजर इस दीवाली कुम्हारों को फिर से नई उम्मीद जगी है। कुम्हारों ने इस बार फिर से जोश के साथ दिवाली की तैयारियां शुरू कर दी हैं और वह मूर्तियां, मिट्टी के मंदिर बर्तन और अन्य चीजें बनाने में जुट गए हैं।

मलोया की कुम्हार कॉलोनी में रहने वाले शहर के कई ऐसे कुम्हार जो कई साल से यहां काम कर रहे हैं, इस बार वर्ष दिवाली की तैयारियों को लेकर जोश के साथ जुट गए हैं। पिछले 40 साल से मिट्टी के बर्तन व अन्य उत्पाद बना रहे मोहम्मद असिन की मानें तो एक वक्त था जब दिवाली से पहले ही काफी समय से कुम्हार दिवाली की तैयारियों में लग जाते थे।

 हालांकि वक्त बदलने के साथ-साथ कुम्हारों के लिए मुश्किलें बढ़ती गईं। असिन के मुताबिक इस बार भी हम इसी उम्मीद से काम कर रहे हैं कि यह दिवाली हम कुम्हारों के लिए भी उजाला लेकर आएगी।

2 साल से बढ़ रहा मिट्टी का बाजार :

मलोया स्थित कुम्बार कालोनी में जय श्री बालाजी के नाम से काम कर रहे कुमार के अनुसार बीते 2 वर्षों में मिट्टी के उत्पाद बनाने का कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। वहीं 40 साल के कुमार के मुताबिक यूं तो कई बार मिट्टी के दीए खरीदने स्वदेशी अपनाने की बात की जाती है लेकिन इनका असल जिंदगी में कितना अमल होता है यह कोई नहीं जानता। रक्षाबंधन पर स्वदेशी राखियों को मिले ग्राहकों के समर्थन और प्रोत्साहन के बाद उनकी उम्मीद जगी है। इस बार कुम्हार दिवाली से पहले काफी उत्साहित हैं।

 


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