FATHER''s DAY Spacial: सबसे प्यारा कौन है ... पापा मेरे पापा, पढ़ें कुछ दिलचस्प किस्से

punjabkesari.in Sunday, Jun 18, 2017 - 12:37 AM (IST)

चंडीगढ़ (नेहा): यूं तो सच है कि माता पिता के लिए अपनी हर औलाद प्यार होती है लेकिन फिर भी हमेशा से कहा जाता है कि बेटियां अपने पापा की लाडली होती हैं। इस सच के बावजूद कि बेटियां एक दिन पराए घर चली जाती हैं। आज फादर्स-डे के मौके पर हमने गौर किया उस ट्रेंड पर जहां अब बेटियों ने अपनी संस्कृति के साथ ही अपने माता-पिता की पहचान को हमेशा अपने साथ रखने का फैसला लेना शुरू कर दिया है। 
आज हम कुछ ऐसी बेटियों की बात करेंगे जिन्होंने शादी के बाद भी अपने पिता की दी हुई पहचान को खुद से अलग नहीं किया है।  
आज बेटियों द्वारा अपने पिता के नाम को जिंदगी भर अपने नाम से प्रतिपल उन्हें उनके साथ होने के एहसास को बढ़ावा देने के लिए एक ट्रेंड जोरों पर है जहां लड़कियां शादी के बाद भी अपने नाम के साथ लगा पिता का नाम हटा पति का नाम नहीं जोड़ रहीं। बल्कि अपने पिता की पहचान के साथ अपने पति की पेहचान को मिला सही मायने में दो परिवारों की जिम्मेदारियां अपने कन्धों पर ले रही हैं। 

-शिव कुमार शर्मा की सुपुत्री पूनम शर्मा की शादी को कई साल हो गए हैं लेकिन हमेशा से पिता का नाम रोशन करने का जज्बा इनके अंदर था शादी होने के बाद जब नाम बदलने का सवाल आया तो इन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया वजह सिर्फ ये थी कि उनके द्वारा दिया गया नाम कम से कम उनके साथ हमेशा रहना चाहिए। उनके इस फैसले में उनका साथ दिया उनके पति दीपक रलहन ने।  


-पेशे से टीचर रमा थापा अपनी बहन के साथ प्ले-स्कूल में ब'चों को पढ़ाती हैं। उनका मानना है कि जो नाम बचपन से उनकी पहचान बांके उनके साथ रहा उस नाम को एक दिन अचानक यूं ही बदल लेना उन्हें ठीक नहीं लगता।  मुझे याद है की पापा (नरेश थापा) हमेशा कहते थे कि बेटी मेरा नाम रोशन करेगी और ऐसा करने के लिए उनके नाम को खुद से जोड़े रखना अपने आप में बहुत अ'छा अनुभव है। 


-आज से 15 साल पहले मनिंदर पाल सिंह के साथ शादी के बंधन में बांधने वाली नीलम तारा ने आज तक अपना नाम नहीं बदला है उनका मानना है कि उनका नाम उनके पिता द्वारा दिया गया वो खास तौहफा है जिसकी कीमत कभी नहीं लगाई जा सकती। छोटी सी उम्र में अपने पिता को खोने के बाद मेरे नाम से जुड़ा उनका नाम ही था जो हमेशा उनके मेरे साथ होने का एहसास करवाता है। ऐसे में इस नाम को हमेशा अपने साथ रखना और इसे रोशन करने की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। 


पिता रोटी है कपड़ा है मकान है 
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है 
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं 
पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं 
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है 
पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है। 

-पिता के स्नेह और प्यार की सीमाएं नापना शायद खुद विधाता के लिए भी मुमकिन नहीं है। अपनी भावनाओं को भूल कर्तव्यों में जीवन लुटा देने वाले पिता कभी बता ही नहीं पाते कि वे अपनी संतान से कितना प्यार करते हैं, लेकिन असल में अपनी औलाद के सर पर हमेशा एक सुरक्षित छत रखना उनके जीवन का इकलौता मकसद बन जाता है। पंजाब केसरी के पाठकों द्वारा उनके पिता के लिए भेजे गए खास संदेश

पापा आप मेरी स्ट्रेंथ हैं, मेरा सपोर्ट सिस्टम हैं। जिंदगी के हर मोड़ पर हर फैसले में एक दोस्त की तरह मेरा साथ देने और एक टीचर की तरह मुझे समझाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। थैंक्यू मुझे ऐसी परवरिश देने के लिए, थैंक्यू मेरी हर जिद पूरी करने के लिए। लव यू पापा।

शांति स्वरूप द्वारा अपने पिता स्वर्गीय प्रेम चंद भंवाल के लिए :
‘पापा से रौनक बानी रहती है घर में, बहुत कुछ शिखा है बहुत कुछ सीखना भी है, 'यादा अल्फाज नहीं है बस इतना कहूंगा की असली जिंदगी में सुपर हीरोज मौजूद हैं और में जनता हूँ वो कौन हैं।
 
‘कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता’
‘कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता..’
‘कभी रोटी तो कभी पानी है पिता
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता
माँ अगर है मासूम सी लोरी
तो कभी न भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता’
‘कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता
माँ अगर घर में रसोई है
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता’


हैप्पी फादर्स डे पापा! ये दिन सिर्फ इसलिए ताकि आपको शुक्रिया बोल सकूँ हर उस लम्हे के लिए जिसमे आप ने हमारा साथ दिया। जब आपने एक भाई की तरह मुझे सहारा दिया। मेरी हर गलती को माफ किया और जब भी में गिरा मुझे फिर उठ कर चलने का हौंसला दिया। थैंक्यू पापा एंड वी लव यू पापा।


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