मोटापे से पाना चाहते हैं मुक्ति, तो पढ़ें यह खबर...

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 08:22 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : न्यूट्रास्यूटिकल के जरिए अब लोगों को फिट करने के लिए नाइपर तैयार है। कढ़ी पत्ता और दालचीनी के अंदर वैज्ञानिकों ने ऐसे तत्व खोज निकाले हैं जो आसानी से थुलथुले शरीर में मौजूद फैट और लिपिड सैल्स का खात्मा कर सकेंगे। 

 

फार्मूला के आधार पर जल्द दवाएं तैयार की जाएंगी जो ओबैसटी के शिकार लोगों को कई बीमारियों से निजात दिलाएंगी वो भी किसी दुष्प्रभाव के बगैर। नाइपर का आयुर्वेद सैल पिछले कुछ महीनों से प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में औषधीय गुणों को खंगाल रहा था। 

 

हलदी, अदरक, लहसुन, प्याज, पहाड़ी पालक, मसालों के अंदर मौजूद तत्वों पर अध्ययन करने के बाद नाइपर की लैबोरेट्री में ऐसा तोड़ मिला जिसने साबित किया कि सिर्फ दो सप्ताह तक फार्मूला के आधार पर अगर कढ़ी पत्ता और दालचीनी का सेवन किया जाए तो मोटे व्यक्ति के वजन का पांचवा हिस्सा कम हो जाएगा। यही नहीं उसके शरीर के अंदर मौजूद बैड कोलैस्ट्रोल को कम कर देगा और गुड कोलैस्ट्राल का स्तर बढ़ जाएगा। 

 

सूत्रों की मानें तो मुंबई की चरक न्यूट्रास्युटिकल कंपनी के साथ मिलकर नाइपर एक प्रोजैक्ट भी शुरू करने जा रहा है जिसमें फूड कंपोनेंट्स का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाएगा। 

 

ऐसे किया रिसर्च :
नाइपर के आयुर्वेद फार्मेसी सैल के साइंटिस्ट प्रो.संजय जाचक और उनकी टीम ने ऐसे पदार्थों पर अध्ययन किया जिनमें औषधीय गुण छिपे हुए थे। प्याज, लहसुन, अदरक, पालक, पहाड़ी पालक, हलदी, कढ़ी पत्ता, दालचीनी, अजयावन आदि के पौधों के विभिन्न हिस्सों का लैब में परीक्षण किया गया। किसी के पत्तों तो किसी की जड़ में ऐसे पदार्थों की जानकारी मिली जो ओबैसिटी, शुगर, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों को बड़ी ही आसानी से पछाड़ सकते हैं। 

 

नाइपर ने सबसे पहले ओबैसटी को निशाना बनाने के लिए कढ़ी पत्ता और दालचीनी के साथ रिसर्च शुरू किया। रिसर्च के लिए लैब में कुछ माइस लिए गए और उन्हें पहले मोटा किया गया। 200 ग्राम के चूहों को फैट दे देकर 280 ग्राम का किया गया। उसके बाद सबसे पहले माइस को पाऊडर फार्म में कढ़ी पत्ता दो सप्ताह तक दिया गया। उसके बाद देखा कि 15 दिनों में चूहों के वजन का पांचवा हिस्सा घट गया। उसके बाद चूहों के दूसरे ग्रुप को दालचीनी पीस कर खिलाई गई और दो सप्ताह के बाद पाया कि उनके खून के बैड कोलैस्ट्रोल घट गए और गुड कोलैस्ट्रोल बढ़ गया। 

 

पहाड़ी पालक में है आर्थराइटिस से लडऩे की ताकत :
नाइपर की रिसर्च यह भी कहती है कि पहाड़ी या जंगली पालक की जड़ में आर्थराइटिस जैसी बीमारी से लडऩे की क्षमता है। पहाड़ी पालक डेढ़ हजार मीटर ऊंचाई वाले पहाड़ों पर मिलती है। नाइपर ने देहरादून और बद्रीनाथ के पहाड़ों से जंगली पालक के पौधे लिए और उनकी जड़ों को जब लैबोरेट्री में खंगाला तो उनमें आर्थराइटिस (गठिया)को पछाडऩे वाले तत्व मिले। 

 

जमीनी पालक में भी औषधीय गुणों की भरमार है क्योंकि विटामिन बी 12 बड़ी मात्रा में मौजूद होता है और शरीर का आयरन कंटैंट बढ़ाता है परंतु पहाड़ों पर उगने वाली पालक की जड़ नायाब है। जड़ को कंप्रैस करने के बाद उसकी पाउडर फार्म में कुछ पदार्थों को मिलाने के बाद ऐसी दवा बन सकती है जो न सिर्फ जोड़ों का दर्द दूर करेगी बल्कि बीमारी भी खत्म हो जाएगी। 


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